मेरठ भारत के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। इसका अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां से हड़प्पा सभ्यता के भी अवशेष मिले हैं। दोआब (गंगा और यमुना) के केंद्र में बसा मेरठ शहर अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण आज विशाल आबादी का गढ़ बना हुआ है। भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम में भी मेरठ की अहम भूमिका रही। औपनिवेशिक काल के दौरान अनेक विदेशी चित्रकार और फोटोग्राफर भारत आये और उन्होंने भारत के चित्र और मानचित्र तैयार किये या उनकी तस्वीर ली। उन्नीसवीं सदी में भारत के शुरुआती फोटोग्राफरों में से एक डॉ जॉन मरे द्वारा मेरठ की तस्वीर (1839) ली गयी। इसके लिए इन्होंने उस कैमरे का उपयोग किया जिससे ताजमहल की पहली तस्वीर ली गयी थी।
जिस दौरान यह तस्वीर ली गयी उस समय फोटोग्राफिक इमल्शन स्पेक्ट्रम के सभी रंगों के लिए समान रूप से संवेदनशील नहीं थे, अधिकांश फोटोग्राफर्स के लिए एक ही तस्वीर में परिदृश्य और आकाश दोनों को लेना असंभव था। उदाहरण के लिए यदि इमारतों को स्पष्ट दिखाया गया है तो आकाश धुंधला दिखाई देगा। मरे ने अपने मोमी कागज़ पर आसमान को काला करके इस समस्या को हल कर दिया ताकि मुद्रित होने पर, ताजमहल के ऊपर का आकाश पारदर्शक और उज्ज्वल दिखाई दे।
मरे द्वारा मेरठ का विस्तृत वर्णन अपनी पुस्तक द प्रिसिंपल डिजि़ज़ेस विच प्रिवेल्ड इन द 1st ब्रिगेड ऑफ हॉर्स आर्टलरी एट द प्लेस (the principal Diseases which prevailed in the 1st brigade of horse artillery at that place) में किया। मेरठ का वर्णन करते हुए इन्होंने लिखा है कि दोआब के केन्द्र में बसा यह शहर अत्यंत उत्पादक है, जिसकी मिट्टी हल्की और जलोढ़ है। इसके कई भाग गर्मियों के दौरान भी हरे भरे रहते हैं तो वहीं वर्षा ऋतु में बहुमूल्य वनस्पतियों से भर जाता है। यहां की सड़कें रेतीली और कठोर हैं, जो सुगम्य हैं। मेरठ से तीस कि.मी. पर स्थित गढ़मुक्तेश से कलकत्ता तक गंगा नदी में हर मौसम में नांव चलती हैं।
गंगा नदी मेरठ के पूर्व से लगभग 25 मील की दूरी पर गुजरती है। मेरठ के दाहिने भाग में यह हरिद्वार से गढ़मुक्तेश तक फैली (लगभग 60 मील) है। जिसकी चौड़ाई में भिन्नता देखने को मिलती है, इसके एक मील से चार मील तक की भूमि दलदली और जंगली है। इस रास्ते को कॉडर (cauder) कहा जाता है। इसका निर्माण नदी के तल में विभिन्न परिवर्तनों द्वारा किया गया है। बाघों के आखेटन हेतु यह आखेटकों का लोकप्रिय स्थान है। कॉडर (cauder) और मेरठ के बीच मिट्टी हल्की, रेतीली और जलोढ़ है, यह पूर्णतः समतल है कहीं कहीं कुछ पेड़ और जंगली भूमि देखने को मिलती है। स्टेशन के अधिकारियों के बगीचों में कुछ पेड़ हैं, लेकिन वे हवा के मुक्त संचलन को नहीं रोकते हैं।
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कल्ला नदी पूर्व से लगभग तीन मील दूर है; जो स्टेशन से होकर गुजरने वाली एक छोटी शाखा है। इसका पृष्ठ भाग निचला और दलदला है। ठंड और गर्म के मौसम में यहां सामान्य धारा प्रवाहित होती है जो वर्षा ऋतु में बाढ़ का रूप भी ले लेती है।
हिमालय के पहाड़ बारिश के बाद की सुबह में स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। वे उत्तर-पूर्व से लगभग 70 मील दूर हैं। लंढोर अभ्यारण्य 120 मील दूर है। यह वर्ष के सभी मौसमों में यात्रा के लिए सुलभ है, जिसकी यात्रा में 30 घण्टे का समय लगता है। जिसमें डाक (dak) के यात्रियों को केरी पास (दून की घाटी का प्रवेश द्वार) पर रोक दिया जाता है। वर्षा ऋतु के अंतिम चरण में गंभीर बुखार की समस्या बढ जाती है, हालांकि पालकी में तेजी से गुजरने पर बुखार के प्रकोप से बचा जा सकता है। आम तौर पर नागरिक और अधिकारी अपने परिवारों को गर्मी और बारिश के मौसम में मसूरी भेजते हैं। जहां बच्चे यूरोप के समान सबसे स्वस्थ मौसम का अनुभव कर सकते हैं। शिमला कन्वेन्सेन्ट स्टेशन हर मौसम से लिए सुगम्य है।
मेरठ को भारत के सबसे स्वस्थ स्टेशनों में से एक माना जाता है। पिछले चार वर्षों के दौरान औसत मृत्यु दर 2 1/3 प्रतिशत रही है। यूरोपीय लोगों के बीच तथा मूल निवासियों में यह 1/3 प्रतिशत रही है। जलवायु, तापमान और आर्द्रता में होने वाले बड़े परिवर्तन से होकर गुजरती है, लेकिन ये आमतौर पर क्रमिक और नियमित होते हैं। पांच महीने के लिए मौसम, अर्थात अक्टूबर से अप्रैल तक बहुत शांत, और स्फूर्तिदायक रहता है। प्रबल हवाएँ थोड़ी-थोड़ी बारिश के साथ पश्चिमी और उत्तर की ओर बहती हैं। जनवरी में सुबह के समय मैदान अक्सर कड़ाकेदार ठंड से ढक जाता है। ऊनी कपड़े और आग आराम के लिए आवश्यक हो जाते हैं। नवंबर में, और मार्च में, सूर्य की प्रत्यक्ष किरणें बहुत शक्तिशाली होती हैं तथा इससे बचना आवश्यक हो जाता है - यह वर्ष का सबसे स्वस्थ मौसम होता है; रोग एक संक्रामक प्रकृति के होते हैं, हालांकि बुखार में कमी और रोगाणुरोधी जुलाब, और आम तौर पर उनको हटाने के लिए विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। हेपेटिक बीमारी, इस अवधि के दौरान फोड़े होना आम बात है।
संदर्भ:
1. https://archive.org/details/b22274789/page/n1© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.