कृषि के क्षेत्र में किसानों के लिए पॉलीहाउस(polyhouse) वरदान सिद्ध हो रहा है। यह किसानों को न्यून लागत पर अधिक लाभ पहुंचाने में सहायक सिद्ध हो रहा है जिस कारण आज भारत के किसान बड़ी मात्रा में इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। किंतु फिर भी आज कई लोग ऐसे हैं जिन्हें इसके विषय में संपूर्ण जानकारी नहीं है।
चलिए जानते हैं इसके विषय में थोड़ा गहनता से:
पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस पॉलीथीन(greenhouse polythene) -पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस पॉलीथीन(greenhouse polythene)से बना एक रक्षात्मक छायाप्रद घर होता है जो कांच या पॉलीएथिलीन(polyethylene) जैसी पारभासी सामग्री से बना होता है जहाँ पौधों को विकसित किया जाता हैं इसकी आकृति अर्धवृत्ताकार, वर्गाकार या लम्बे आकार की हो सकती है। इसमें लगे उपकरणों की सहायता से इसके अन्दर ताप, आर्द्रता, प्रकाश आदि को नियन्त्रित किया जाता है। पॉलीहाउस तकनीक का उपयोग संरक्षित खेती के लिये किया जा रहा है। इस तकनीक से जलवायु को नियंत्रित कर विपरित मौसम में भी खेती की जा सकती है। पॉलीहाउस के माध्यम से बिना मौसम की सब्जियां, फूल और फल आदि को सुरक्षित और सरल तरीके से उगाया जा सकता है जिसका उपयोग करके किसान बहुत ही अच्छी खेती कर सकते हैं।
ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस के बीच अंतर-
● पॉलीहाउस एक प्रकार का ग्रीनहाउस है या हम कह सकते हैं कि यह ग्रीनहाउस का एक छोटा संस्करण है, जहां पॉलीएथिलीन का उपयोग आवरण के रूप में किया जाता है।
● लाथहाउस और ग्रीनहाउस तकनीक में आवरण हेतु लकड़ी का उपयोग किया जाता है।
● ग्रीनहाउस की तुलना में पॉली हाउस काफी सस्ता है, लेकिन ग्रीनहाउस की आयु पॉलीहाउस की तुलना में अधिक होती है।
पॉलीहाउस में उगाई जाने वाली फसलें-
● पॉलीहाउस में उगाये जाने वाले फलों में तरबूज़, आड़ू, पपीता, स्ट्राबेरी (Strawberry) , रसभरी, खट्टे फल आदि हैं।
● पॉलीहाउस में पत्तागोभी, करेला, शिमला मिर्च, मूली, फूलगोभी, मिर्च, धनिया, प्याज, पालक, टमाटर जैसी सब्जियां उगाई जा सकती हैं।
● पॉलीहाउस में उगायी जाने वाली औषधियों में हल्दी तथा अदरक सम्मलित हैं।
● कार्नेशन (Carnation), जरबेरा, गेंदा, ऑर्किड (Orchid) और गुलाब जैसे फूल भी आसानी से उगाए जा सकते हैं।
पॉलीहाउस खेती के लाभ -
पॉलीहाउस जैविक खेती का ही हिस्सा है इसीलिए यह किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है।
● पॉलीहाउस में पौधों को नियंत्रित तापमान पर उगाया जाता है जिससे फसलों की गुणवत्ता भी अच्छी होती है तथा फसल के नुकसान या क्षति की संभावना भी कम रहती है।
● पॉलीहाउस में किसी भी प्रकार के कीट फसल को हानि नहीं पहुंचा पाते हैं। साथ ही बाहरी जलवायु का फसलों की वृद्धि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
● पॉलीहाउस में सजावटी फसलों का उत्पादन भी आसानी से किया जा सकता है।
● यह उपज को लगभग 5 से 10 गुना तक बढ़ा देता है।
● इसमें पानी द्रप्स सिंचाई प्रणाली द्वारा दिया जाता है। इससे पारंपरिक खेती के मुकाबले पानी बहुत कम लगता है।
● मौसम के आधार पर पूरे साल फसलें उगाई जा सकती हैं।
पॉलीहाउस के प्रकार-
पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली के आधार पर, पॉलीहाउस दो प्रकार के होते हैं:
1. पर्यावरण नियंत्रित पॉलीहाउस - इनका निर्माण मुख्य रूप से फसलों की बढ़ती अवधि को बढ़ाने के लिए या प्रकाश, तापमान, आर्द्रता आदि को नियंत्रित करके मौसम की उपज को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
2. प्राकृतिक रूप से हवादार पॉलीहाउस - इस प्रकार के पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस में फसलों को खराब मौसम की स्थिति और प्राकृतिक कीटों तथा रोगों से बचाने के लिए पर्याप्त हवादार और कोहरा प्रणाली के अतिरिक्त कोई भी पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली नहीं है।
पॉलीहाउस की तीन उपश्रेणियां :
1. कम लागत या न्यून तकनीकी वाले पॉलीहाउस।
2. मध्यम लागत या मध्यम तकनीकी वाले पॉलीहाउस।
3. महंगे या उच्च तकनीकी वाले पॉलीहाउस।
पॉलीहाउस निर्माण में शामिल लागत उसके श्रेणी पर निर्भर करती है:
1. संवातन प्रणाली और शीतलक पैड रहित कम लागत/न्यून तकनीक वाले पॉलीहाउस की कीमत 400 रूपये से 500 रूपये वर्गमीटर हैं।
2. संवातन प्रणाली और शीतलक पैड सहित मध्यम लागत/मध्यम तकनीक वाले पॉलीहाउस की कीमत 900 रूपये से 1200 रूपये वर्गमीटर है।
3. पूर्ण रूप से स्वचालित नियंत्रण प्रणाली वाले उच्च तकनीक के पॉलीहाउस की कीमत 2500 रूपये से 4000 रूपये वर्ग मीटर है।
पॉली हाउस की लागत के प्रकार
1. निश्चित लागत: भूमि, कार्यालय कक्ष, श्रमिक कक्ष, संकुलन कक्ष, शीतगृह, ड्रिप(Drip) तथा स्प्रिंकलर(Sprinkler) प्रणाली जैसी अन्य निश्चित सुविधाओं की लागत निश्चित होती है।
2. परिवर्तनीय / आवर्ती लागत: खाद, उर्वरक, कीट और रोग नियंत्रण रसायन, रोपण सामग्री, बिजली और परिवहन शुल्क आवर्ती व्यय के अंतर्गत आते हैं।
पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस की खेती धीरे-धीरे किसानों और बागवानी में कुशल व्यक्तियों के मध्य काफी लोकप्रियता हासिल कर रही है। ‘राष्ट्रीय बागवानी मिशन’ के तहत सरकार ने पॉलीहाउस के निर्माण और उसमें फसल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसकी कुल लागत पर 50% तक का अतिरिक्त अनुदान देने की योजना बनायी है। आज किसान ही नहीं वरन् स्नातक लोग अपनी नौकरी छोड़ इसे अपनाने में रूचि ले रहे हैं। पॉलीहाउस में कम ऊंचाई वाली फसलों का ही उत्पादन किया जा सकता है तथा इसे घर के आस पास खाली स्थानों पर लगाया जा सकता है। बिजनौर में आज किसान पॉलीहाउस में गेरबेरा, गुलाब, लिली, शिमला मिर्च, टमाटर, खीरा, कद्दू जैसे फूल और सब्जियां उगा रहे हैं।
संदर्भ:
1. https://meerut.prarang.in/posts/718/postname
2. https://krishijagran.com/agripedia/what-are-the-benefits-of-polyhouse-cultivation/
3. https://www.agrifarming.in/polyhouse-subsidy-cost-profit-report
4. https://timesofindia.indiatimes.com/city/meerut/polyhouse-farming-a-boon-for-flower-vegetable- growers-in-bijnor/articleshow/65095168.cms
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