सोशल मीडिया पर जाली खबरों को रोकने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम

मेरठ

 02-04-2019 07:35 AM
संचार एवं संचार यन्त्र

सोशल मीडिया (Social Media) आज मानव विशेषकर युवाओं के लिए एक नशा या मूलभूत आवश्‍यकता बन गयी है। आज पलक झपकते ही कोई भी खबर अनगिनत लोगों तक पहुंच जाती है। इसी कारण जाली खबरें देश के लिए एक विकट समस्‍या बन रही है। आज सोशल मीडिया तो लगभग हर हाथ त‍क पहुंच गया है किंतु इसके लाभ और हानि की सही जानकारी से बहुत कम लोग ही अवगत हैं, जिस कारण वे जाने अनजाने में जाली खबर फैलाने वालों के लिए एक अच्‍छा माध्‍यम बन जाते हैं। भारत में अधिकांश लोग सोशल मीडिया से प्राप्‍त जानकारी की पुष्टि किये बिना उसे आगे स्‍थानांतरित कर देते हैं, जिस कारण जाली खबरें भी पल भर में आग की भांति फैल जाती हैं। पिछले कुछ समय में इन फेक खबरों के चक्‍कर में कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर एक विडियो वायरल (Viral) हुई जिसमें कुछ बाईक वाले सड़क पर खेल रहे बच्‍चों के समूह में से एक बालक को अगवा कर ले जाते हैं। इस विडियो के कारण भारत के कई राज्‍यों में दहशत और हिंसा का माहौल बन गया, जिसके चलते तमिलनाडु में दो लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस विडियो को जब केरल के कन्‍नूर के विद्यालय की दो छात्राओं द्वारा ध्‍यान पूर्वक देखा गया तो पता चला कि यह सीसीटीवी में कैद की गयी विडियो नहीं है वरन् यह एक पाकिस्‍तानी एनजीओ द्वारा बच्‍चों के अपहरण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए बनाई गई थी। इसी प्रकार की अनेक जाली खबरें आए दिन सोशल मीडिया साईट (Social Media Site) पर प्रसारित होती रहती हैं, कई बार इस प्रकार की खबरें शहर में दंगें की स्थिति भी पैदा कर देती हैं। जाली खबरों के कारण छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, बेंगलुरु, राजस्थान में भी कई लोगों की हत्‍याएं कर दी गयी हैं। 2017 में, जिले में एक खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान के विरोध में टीका के हानिकारक प्रभावों की चेतावनी देने वाले अनेक संदेश वायरल हुए। जिसने अभियान को सफलता पूर्वक संचालित करने में अवरोध उत्‍पन्‍न किया। इसी प्रकार केरला में फैले निफा वायरस को लेकर अनेक अफवाहें फैलाई गयी।

केरल के कन्‍नूर में लगभग 150 सरकारी विद्यालयों में सोशल मीडिया में फैलने वाली जाली खबरों के विषय में जागरूकता बढाने के लिए पढ़ाया जाएगा। इस कार्यक्रम का नाम सत्‍यमेव जयते रखा गया है, जो भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 51 (ए) (एच) के विचारों को विकसित करने का प्रयास करेगा, जो नागरिकों के भीतर वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद एवं जांच और सुधार की भावना को विकसित करने का प्रयास करता है। इस कार्यक्रम के तहत बच्‍चों को सिखाया जाता है कि यदि उनके पास इस प्रकार की कोई संदिग्‍ध खबर आती है तो उसे आगे प्रसारित करने से पूर्व किसी विश्‍वसनीय समाचार पत्र, समाचार पत्रिकाओं या किसी अन्य विश्वसनीय माध्यम से इसकी पुष्टि कर लें। जैसा कि हम जानते हैं कि मेरठ में भी अपराधों की उच्च दर है, इसलिए नकली समाचारों और अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए मेरठ में भी ऐसी पहल करनी चाहिए।

इस समस्‍या को भारत सरकार द्वारा भी गं‍भीरता से लिया जा रहा है, क्‍योंकि सार्वजनिक क्षेत्रों में दंगे फैलाने के लिए विभिन्‍न उपद्रवी संघटन और लोग इसे एक हथियार के रूप में उपयोग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए केन्‍द्र सरकार को कानून बनाने के लिए कहा गया है। सभी राज्‍य इस समस्‍या से निजात पाने के लिए अपने-अपने स्‍तर पर कदम उठा रहे हैं। उत्‍तर प्रदेश की पुलिस लगभग 367,000 से अधिक डिजिटल स्वयंसेवकों के साथ मिलकर कानू‍नी व्‍यवस्‍था को आहत पहुंचाने वाली जाली खबरों को रोकने के लिए कार्य करेगी। इस डिजिटल सेना का चयन पुलिस ने अपनी अधिकारिक वेबसाईट के माध्‍यम से किया। जिसमें प्रत्येक गांव, शहर, वार्ड और इलाके के कम से कम दो लोगों को शामिल करने का लक्ष्‍य रखा गया। इसके तहत स्कूल प्रधानाचार्यों, शिक्षकों, सेवानिवृत्त सरकारी सेवकों, पुलिस पेंशनरों, पूर्व और वर्तमान विधायकों, पत्रकारों, सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं, पूर्व और सी-टिंग ग्राम प्रधानों, ब्लॉक विकास परिषदों के सदस्यों, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, डॉक्टरों, अधिवक्ताओं आदि की नियुक्ति करने की योजना है। इस समूह के सदस्‍य व्हाट्सएप ग्रुप के माध्‍यम से एक दूसरे से जूड़ेगें, जिसमें जिले के अधिकारी भी शामिल होंगे।

संदर्भ:
1. https://bit.ly/2FFMyw9
2. https://bit.ly/2CLnNOw
3. https://bit.ly/2UlM9Ir

RECENT POST

  • मेरठ की ऐतिहासिक गंगा नहर प्रणाली, शहर को रौशन और पोषित कर रही है!
    नदियाँ

     18-09-2024 09:18 AM


  • क्यों होती हैं एक ही पौधे में विविध रंगों या पैटर्नों की पत्तियां ?
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:16 AM


  • आइए जानें, स्थलीय ग्रहों एवं इनके और हमारी पृथ्वी के बीच की समानताओं के बारे में
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:34 AM


  • आइए, जानें महासागरों से जुड़े कुछ सबसे बड़े रहस्यों को
    समुद्र

     15-09-2024 09:27 AM


  • हिंदी दिवस विशेष: प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण पर आधारित, ज्ञानी.ए आई है, अत्यंत उपयुक्त
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:21 AM


  • एस आई जैसी मानक प्रणाली के बिना, मेरठ की दुकानों के तराज़ू, किसी काम के नहीं रहते!
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:10 AM


  • वर्षामापी से होता है, मेरठ में होने वाली, 795 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा का मापन
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:25 AM


  • परफ़्यूमों में इस्तेमाल होने वाले हानिकारक रसायन डाल सकते हैं मानव शरीर पर दुष्प्रभाव
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:17 AM


  • मध्यकालीन युग से लेकर आधुनिक युग तक, कैसा रहा भूमि पर फ़सल उगाने का सफ़र ?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:32 AM


  • पेट्रोलियम के महत्वपूर्ण स्रोत हैं नमक के गुंबद
    खनिज

     09-09-2024 09:43 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id