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ऊपर दिए गए तस्वीर में आप जो महल देख रहे है यह मेरठ की मुस्तफा महल की है जिसे एक पोस्टकार्ड (Postcard) से लिया गया है। मुस्तफा महल एक प्राचीन भवन है, जिसका निर्माण 1899 में नवाब इश्क खान ने अपने पिता नवाब मुस्तफा खान शेफ्ता के सम्मान में करवाया था। नवाब मुस्तफा खान उर्दू एवं फ़ारसी के मशहूर कवि थे। महल की पूरी योजना स्वयं नवाब मोहम्मद इश्क खान द्वारा 30 एकड़ ज़मीन में की गयी थी। इसकी अंदरूनी हिस्सों की भव्यता, सजे हुए द्वार और कलाकृतियाँ इस महल के कुछ मुख्य आकर्षण हैं। यह महल मेरठ के छावनी क्षेत्र में स्थित है और यहां के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है तथा दुनिया भर की शैलियों जैसे ब्रिटिश, राजस्थानी और अवधी वास्तुकला के मिश्रण का एक बेहतरीन उदाहरण है।
आजादी की लड़ाई और आंदोलन में नवाब इश्क खान और उनके पिता ने कई विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाई थी। यह महल कभी स्वतंत्रता संग्राम की कार्यस्थली थी। कई वर्षों तक देश की आजादी की रणनीति इसी महल में बनती थी। दरअसल नवाब मुस्तफा खान एक देशभक्त, कवि और आलोचक थे जो मिर्ज़ा ग़ालिब के करीबी दोस्त थे। 1857 की क्रांति में उन्होने अपनी मातृभूमि के समर्थन में बड़े पैमाने पर लिखा था, जिस कारण से उन्हें सात साल तक जेल में कैद किया गया था। उनके बेटे नवाब इश्क खान एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और राष्ट्रीय कार्यकर्ता, और उदारवादी स्वभाव के व्यक्ति थे।
अपने पिता के सम्मान में उन्होंने इस महल को खुद डिजाइन (Design) किया, उन्होनें 1887 में महल का निर्माण शुरू किया और ये 1899 में बनकर तैयार हुआ। उस समय यह महल 42,000 वर्ग गज पर बना हुआ था और इसे बनाने में 15 लाख रुपये की लागत आयी थी। पंरतु अब इसका लगभग आधा क्षेत्र ही बचा हुआ है। इस महल का एक प्राचीन पोस्टकार्ड भी है जो उस समय की ऐतिहासिकता को अपने अंदर संजोए हुए है। यदि आप इस पोस्टकार्ड और आज के मुस्तफा महल को देखेंगे तो पाएंगे कि इतने वर्षों बाद भी मुस्तफा महल का जादू आज भी बरकरार है।
स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न चरणों के दौरान ये महल महात्मा गाधी, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना, सरोजिनी नायडू और कई ऐसे आजादी के नायकों की बातचीत का साक्षी रहा है और उनकी मेजबानी कर चुका है। महल के अन्दर रखी अनेक प्राचीन कलाकृतियाँ, तस्वीरें, लकड़ी की नक्काशी आदि वस्तुएं उस युग का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस महल का सारा फर्नीचर लन्दन से आयात किया गया था जो आज भी महल में मौजूद है।
इसके अलावा मुस्तफा महल में उस समय की और भी कई चीज़ों को संरक्षित किया गया है जैस पेंडुलम घड़ियां, प्राचीन झूमर, संदूक, ड्रेसिंग टेबल (dressing table), विशाल दर्पण और कई ऐसे प्राचीन वस्तुएं आदि। ये सभी वस्तुएं यहां के गौरवशाली अतीत की याद दिलाते हैं। इस महल के आंतरिक कक्षों के नाम रंगों के नाम पर रखें गये थे और कमरों का उपयोग वर्ष के मौसम के अनुसार किया जाता है।
संदर्भ:
1. http://www.meerutonline.in/city-guide/mustafa-castle-in-meerut