क्या आपके घर में एक बढ़ता हुआ बच्चा है? यदि हां तो आपने भी अन्य माता पिता की तरह ये सोच लिया होगा कि आप उसे क्या बनना चाहेंगे? एक चिकित्सक? वकील? वैज्ञानिक? या व्यवसायिक अधिकारी? लाजमी भी है ऐसा सोचना, हर माता पिता यही चाहते हैं कि उनके बच्चों को सुख समृद्धि मिले, एक अच्छी नौकरी हो, उनका चार जनों में सम्मान हो, वे एक सफल व्यक्ति बने। परंतु इसका प्रभाव जब बच्चों पर पड़ता है तो वे भी भौतिकवादी बन जाते हैं अर्थात वे भी संसारिक लाभों को उठाने के लिये जीवन की दौड़ में भागने लगते हैं। इस कारण वे कहीं ना कहीं अपने नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों तथा महत्वाकांक्षी सोच को पीछे छोड़ते जाते हैं।
परंतु सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सफलता का पैमाना क्या है? क्या ढेर सारा पैसा कमा कर आप एक सफल व्यक्ति बन जाते हैं? पैसा कमाने से आप अमीर तो बन सकते है परंतु सफल इंसान नहीं बन सकते या आप सिर्फ एक ऊचे पद की नौकरी पा कर सफल नहीं बन सकते। आपने अक्सर सुना होगा की धनवान व्यक्तियों में उनके अहंकार का कारण उनका धन होता है। क्या एक अहंकारी व्यक्ति को सभी सम्मान पूर्वक नजरों से देखते है? शायद नहीं। हम ये नहीं कह रहे हैं की पैसा अच्छी चीज नहीं है या जीवन के लिये जरूरी नहीं, परंतु पैसा के चक्कर में अपने नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों तथा महत्वाकांक्षी सोच को पीछे न छोड़ें।
लोग वास्तव में जीवन से क्या चाहते हैं? वे क्यों धन, प्रतिष्ठा और शक्ति जैसे दिखावटी चीजों के पीछे भागते हैं? वास्तव में वे आंतरिक संतुष्टि चाहते है परंतु आंतरिक संतुष्टि धन, प्रतिष्ठा और शक्ति से परे है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि वे उपरोक्त माध्यमों से सुख तथा संतुष्टि हासिल कर सकते हैं। लेकिन इन सब चीजों से वास्तव में जीवन में आंतरिक संतुष्टि की प्राप्ति नहीं होती है। हमारी शिक्षा की प्रणाली भी मुख्य रूप से छात्रों को कुशल चिकित्सक, वकील तथा वैज्ञानिक आदि बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रख कर विकसित की गई थी। परंतु इसके अलावा शिक्षा संस्थानों को थोड़ा ध्यान छात्रों को सफल इंसान बनाने में भी देना चाहिये, उनके नैतिक गुणों और नवाचार को बढ़ावा दिया जाना चाहिये तभी वे एक सफल व्यक्ति कहलाएंगे।
ज्ञान का अर्थ सिर्फ किताबी या विषय के ज्ञान से नहीं है यहाँ पर ज्ञान का मतलब है हर उस चीज़ का ज्ञान जो आपको एक अच्छा और सफल इंसान बनाने में सहायक होता है। वर्तमान में हमारी शिक्षा प्रणाली को कुछ सुधार की जरूरत है, आज हमें ये सोचने की आवश्यकता है कि हमारे स्कूलों में छात्रों को न केवल भौतिक रूप से सफल होने के लिए, बल्कि एक मनुष्य के रूप में भी सफल होने के लिए कैसे पढ़ाया जाए, कैसे उन्हें एक अच्छा कर्मचारी, या एक अच्छा बॉस बनाया जाएं, कैसे उन्हें सिखाया जाए कि वे दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करें, कैसे अपने आप को प्राप्त करें, कैसे स्वस्थ रहें, कैसे ध्यान करें, कैसे अपनी क्षमताओं को विकसित करें, कैसे एक सामंजस्यपूर्ण जीवन जीये तथा कैसे जीवन में संतुलन बनाये रखें आदि।
यदि हम एक सीमित ज्ञान को संपूर्ण शिक्षा के रूप में देखते हैं, तो हम जीवन को समझने में असफल हैं। सीमित ज्ञान हमारे जीवन में हमें संपूर्ण शिक्षा प्रदान नहीं कर सकता है। मनुष्य के रूप में अपनी पूरी क्षमताओं को विकसित करके और स्वयं के अज्ञात पहलुओं की खोज करके ही हम सफल हो सकते हैं। साथ ही जो लोग ज्ञान के साथ-साथ जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया रखते है वे लोग ही जिंदगी में सफल व्यक्ति कहलाते हैं।
संदर्भ:
1. SWAMI KRIYANANDA. 2006. Education For Life. Crystal Clarity Publishers.
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