अक्सर यह कयास लगाए जाते हैं कि जहां ज्यादा जनसंख्या होगी प्रदुषण भी वहीं ज्यादा होगा। किंतु विगत वर्षों में इंदौर ने इस तथ्य को पूर्णतः असत्य साबित कर दिया है, वर्ष 2018 में हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर शीर्ष स्थान पर रहा यदि बात की जाए जनसंख्या की तो यह मध्य प्रदेश का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है। लेकिन स्वच्छता हेतु इनके द्वारा उठाए गये कदमों ने इसे भारत में शीर्ष स्थान पर रख दिया है। यदि बात की जाए हमारे मेरठ शहर की तो स्वच्छता सर्वेक्षण में मतदान करने हेतु मेरठ शहर के स्थानीय लोगों ने कोई विशेष रूचि नहीं दिखाई, मेरठ शहर में कड़ी मसकत के बाद मात्र 1603 तथा मेरठ छावनी में 15,469 मत पड़े। जबकि मेरठ जसंख्या की दृष्टि से इंदौर और मेरठ के मध्य ज्यादा अंतर नहीं है।
यह आंकडें प्रदर्शित करते हैं कि लोग अपने स्थान विशेष में स्वच्छता हेतु उठाये जा रहे कदम से संतुष्ट नहीं हैं साथ ही शायद अभी पर्याप्त जागरूकता की भी आवश्यकता है। मेरठ के स्वच्छ शहर के सपने को साकार बनाने हेतु इंदौर से कुछ सीखने की आवश्यकता है:
1. प्रतिदिन कचरा निस्तारण
इंदौर में सर्वप्रथम स्थान-स्थान पर भिन्न भिन्न रंग के कचरे के डिब्बे रखे गये तथा लोगों को रंग के आधार पर जैविक और अजैविक कचरा डालने के लिये कहा गया किंतु यह इतना प्रभावी नहीं हुआ तब नगर निगम ने दरवाजे दरवाजे से कचरा लेने के लिए नगरपालिका कर्मियों की व्यवस्था की जिससे लोग भी जागरूक हो गये तथा उन्होंने अपने घरों और दुकानों में सफाई करना प्रारंभ कर दिया तथा कचरा नगरपालिका कर्मियों को सौपना प्रारंभ कर दिया। इसमें भी सुखे और गीले कचरे की विशेष व्यवस्था की गयी, जिससे इसका निस्तारण आसानी से किया जा सके। मेरठ ने अपना पहला कदम तो उठा दिया है, अब समय है स्वच्छता मिशन के अगले कदम की ओर बढ़ने का।
स्थान-स्थान पर कूड़ेदान होने के कारण आवारा पशुओं की संख्या इनके आसपास बढ़ती जा रही थी। इस समस्या से निपटने के लिए प्रशासन ने घर घर से कचरा एकत्रित करने की व्यवस्था की। साथ ही रात में सफाई करवाने के लिए कर्मचारी नियुक्त किये जो रात में ही सड़कों और दुकानों से कचरा एकत्रित कर देते हैं। स्थान स्थान से कचरा एकत्रित करने के लिए वाहनों की विशेष व्यवस्था की गयी है।
2.कचरे से खाद में परिवर्तन की व्यवस्था
इंदौर में विभिन्न इकाइयां कचरे को खाद में परिवर्तित करने में लगी हैं, गीला कचरा तथा सूखा कचरा अलग अलग रखा जा रहा है, जिससे खाद बनाने में भी सरलता हो रही है।
3.पोलिथिन के उपयोग को कम करना
प्लास्टिक प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण होती हैं, यहां के लोगों ने स्वयं ही इसका उपयोग कम कर दिया है साथ ही दुकानदारों ने भी निर्धारित मोटाई वाले प्लास्टिक बैग का उपयोग प्रारंभ कर दिया है।
4.वाहनों पर कूड़ेदान का उपयोग
लोगों ने अपने वाहनों पर कूड़ेदान का उपयोग प्रारंभ कर दिया है, जिससे वे सड़कों पर अनावश्यक कचरा नहीं डालते हैं। अक्टूबर में, आईएमसी ने वाहन मालिकों को 1,000 मुफ्त कूड़ेदान वितरित किए, ताकि उन्हें खिड़कियों से कचरे को बाहर न फेंकने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
4.बच्चों के मध्य जागरूकता
किसी भी तथ्य को घर तक पहुंचाने के लिए सबसे अच्छा माध्यम बच्चे होते हैं, इंदौर में भी बच्चों को स्वच्छता के लिए पर्याप्त जागरूक कर दिया गया है, आज यहां के बच्चे किसी को भी यदि कचरा फेंकते देखते हैं तो उन्हें तुरंत टोक देते हैं।
5.सार्वजनिक और सामाजिक कार्य
सार्वजनिक समारोह और रेलियों के माध्यम से लोगों को स्वच्छता के लिए जागरूक किया जा रहा है। यह कदम काफी प्रभावी भी रहा।
6.आठवीं प्रतीज्ञा
हम इसे एक बहुत अच्छा कदम कह सकते हैं, इसके अंतर्गत शादी की सात प्रतीज्ञा में एक आठवीं प्रतीज्ञा जोड़ी गयी जिसमें नवविवाहित जोड़े को स्वच्छता की शपथ दिलायी जाती है तथा शादी समारोह में कूड़ेदान वितरित किये जाते हैं।
स्वच्छता प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है, तो वहीं इससे कायम रखना भी प्रत्येक व्यक्ति का परम कर्तव्य है। जिसके लिए आज देशभर में विशेष कदम उठाए जा रहे हैं, जिसमें प्रशासन के साथ स्थानीय लोग भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। पिछले वर्ष (2018) भारत में स्वच्छता सर्वेक्षण कराया गया भिन्न भिन्न आकड़ें उभरकर सामने आये :
वर्ष 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में विभिन्न राज्यों से लोगों की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार रही:
संदर्भ:
1.https://bit.ly/2DApBcC
2.https://bit.ly/2UVY64a
3.https://bit.ly/2TMlyAR
4.https://swachhsurvekshan2019.org/Images/SS_2018_Report.pdf 5.https://swachhsurvekshan2019.org/CitizenFeedback/StateWiseSummary
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