हम सड़क के महत्व को नजर अंदाज़ नहीं कर सकते पर अपने इस व्यस्त जीवन में सड़क नियमों का पालन करना हम भूल गये है। आपने अपने जीवन में कई बार सड़क हादसों के बारे में सुना होगा और इनसे बचने की कामना भी की होगी, तो आइये आज हम इन सड़क हादसों के बारे में कुछ और जाने और इनके कारणों पर भी एक नज़र डालें।
सड़क पर होने वाले हादसों का मुख्य कारण है दिन प्रतिदिन बढ़ता हुआ ट्रैफिक (traff।c)। भारत की आबादी के साथ साथ हमारे देश में ट्रैफिक की समस्या भी प्रतिदिन बढती जा रही है। आज कल के नौजवानों में गाडी चलाने को लेकर एक अलग ही उत्साह होता है, ऐसे में वो ट्रैफिक नियमो का उल्लंघन करने से जरा भी नहीं चूकते, यही कारण है कि ज्यादातर सड़क हादसों के शिकार अक्सर नौजवान होते है।
सड़क हादसों का प्रमुख कारण : तेज गति में गाड़ी चलाना है
भारत में एक वाक्य बहुत प्रसिद्ध है “दुर्घटना से देर भली"। भारत सरकार की गणना के अनुसार 2017 में सड़क हादसों की गिनती लगभग 4,64,910 थी , जिनमे 70.4 % हादसों का कारण तेज ड्राइविंग था। सड़क पर होने वाले हादसों में ओवेर्स्पीडिंग (OVERSPEED।NG) सबसे प्रमुख कारण है जिसके कारण कई बड़े हादसों में लगभग 66.7% लोगों को अपना जीवन खोना पड़ता है और 72.8% लोग घायल होते है। इन हादसों को रोकने के लिए और सड़क पर नियम बनाए रखने के लिए सरकार ने कई बड़े कदम उठाए जैसे :
• सरकार द्वारा सड़क हादसों को रोकने के लिए Motor Veh।cle Act ,1988 के अन्तर्गत कई कानून लागू किये गये है जिनके अनुसार वाहन चालक को वाहन चलाते समय अपने साथ लाइसेंस , वाहन का बीमा प्रमाण पत्र आदि होना अनिवार्य है, ऐसा न करने पर चालक को सरकार द्वारा निर्धारित सज़ा भुगतनी पड़ सकती है।
• अगर कोई व्यक्ति शराब पी कर वाहन चलाता है या ड्राइविंग लाइसेंस न होने की स्थिति में उसे निर्धारित सजा से दुगनी सजा भुगतनी पड़ सकती है। ( भारत सरकार द्वारा निर्धारित सजा : 10,000 रू और 3 साल की कैद है )
• तेज गति से ड्राइविंग या ओवेर्स्पीडिंग (overspeeding) को रोकने के लिए सरकार ने स्पीड डिटेक्शन डिवाइस (speed detection device) का प्रयोग शुरू किया, जिसके द्वारा चलते वाहन की गति का पता लगाया जा सकता है और निर्धारित गति से तेज वाहन चलाने वाले वाहन चालक को जुर्माना या सजा भुगतनी पड़ती है। ( हर वाहन के लिए अलग अलग सज़ा गति निर्धारित होती है )
सड़क हादसों में सबसे ऊपर नाम आता है उत्तरी भारत का जिनमें दिल्ली ,गाजियाबाद , मेरठ आदि शामिल हैं। इन हादसों को रोकने के लिए भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने कई कदम उठाये। सरकार की एक नीति के अनुसार नई दिल्ली से मेरठ तक के हाईवे को 4 हिस्सों में बाँट दिया गया है ; जिनमे
• पहला :- निज्ज़ामुदीन से दिल्ली यू.पी बोर्डर
यह हिस्सा 8.7 कि.मी की लम्बाई में बना हुआ है, जिसमे 14 लेन (lane), 4 फ्लाईओवर(flyover) और 3 व्हीकल अंडरपास (underpaas) शामिल है।
• दूसरा :- दिल्ली यू.पी बॉर्डर से दासना
यह हिस्सा 19.2 कि.मी की लम्बाई में बना हुआ है, जिसमे 14 लेन (lane), 16 व्हीकल अंडरपास(vehicle underpaas) और 6 पैदल अंडरपास(underpaas) शामिल है।
• तीसरा :- दासना से हापुड
यह हिस्सा 22.2 कि.मी की लम्बाई में बना हुआ है, जिसमे 8 लेन (lane),1 फ्लाईओवर(flyover) और 12 अंडरपास(underpaas) शामिल है ।
• चौथा :- दासना से मेरठ
यह हिस्सा 46 कि.मी की लम्बाई में बना हुआ है, जो कि एक एक्सप्रेस वे है।
सरकार का नेशनल हाईवे को इन चार हिस्सों में बाँटने का कारण है, उत्तरी भारत में तेजी से बढ़ते हुए सड़क हादसों को रोकना। सरकार द्वारा मेरठ हाईवे (h।ghway) का परिक्षण किया गया तो हिन्दुस्तान टाइम्स ( h।ndustan t।mes) के अनुसार वहाँ के ट्रक ड्राइवर्स का कहना था कि कई बार रात को अंधेरे के कारण वह रास्ता भूल जाते है, जिनके कारण वह रोंग साइड ड्राइविंग(wrong s।de dr।v।ng) का शिकार होते है , जो की सड़क हादसों का कारण बनती हैं।
भारत सरकार द्वारा दर्ज किए गये सड़क हादसों की गणना:
वर्ष सड़क हादसे
2017 4,64,910
2016 4,80,652
2015 5,01,423
संदर्भ :-
1.https://www.hindustantimes.com/delhi-news/10-days-after-its-grand-opening-chaos-on-eastern-peripheral-expressway/story-bKfPdgyXp2FkGRMiQsqIKO.html
2.https://www.autocarindia.com/industry/road-accidents-in-india-claim-more-than-14-lakh-lives-in-2017-410111
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Delhi%E2%80%93Meerut_Expressway
4.https://www.acko.com/articles/traffic-rules-violat।ons/5-measures-taken-by-offic।als-to-reduce-road-accidents/
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