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स्वाइन फ्लू एक सांस से जुड़ी संक्रामक बीमारी है जो छींकने या इसके रोगाणुओं(Germs) से संपर्क में आने से फैलती है। इससे बचने के लिए आपको इसके बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। यदि मेरठ की ही बात की जाए तो स्वाइन फ्लू का असर जिले में बढ़ता जा रहा है। तेजी से पैर पसार रहे इस रोग के जनवरी में 71 मामले सामने आये हैं, और यह संख्या यूपी में सबसे ज्यादा है। स्वाइन फ्लू के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जिनको स्वाइन फ्लू होने की अधिक संभावना है उनकी देखभाल करने की और स्वाइन फ्लू रोगियों को पृथक करने की सलाह दी है ताकि H1N1 वायरस (स्वाइन फ्लू का वायरस) को फैलने से रोका जा सके।
मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राज कुमार का कहना है कि स्वाइन फ्लू के मरीज को पृथक रखना एक महत्वपूर्ण कदम है, इससे संक्रमण रोकने में मदद मिलेगी और शहरवासियों को अपने घरों और आस-पास के क्षेत्रों में साफ-सफाई सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि अस्वस्थ परिस्थितियों के कारण संक्रमण न फैलें। कचरा भी एक माध्यम है जिसके वजह से संक्रामक रोग फैलते है, हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने मेरठ के डीएम और यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक महीने के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था, जिसमें 22 ग्रामीणों की मौत से संबंधित रिपोर्ट दर्ज की गई थी, जो कथित तौर पर डंपिंग साइट के निकट अपने गाँव में रहते थे और संक्रामक रोगों के कारण मर गये।
मेरठ में कचरे की समस्या बढ़ती ही जा रही है, और तो और अब गाजियाबाद का कचरा भी मेरठ में डंप किया जा रहा है। मेरठ नगर निगम (MMC) ने गाजियाबाद के नगर निगम (GMC) की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या को देखते हुये प्रति दिन 200 मीट्रिक टन का कचरा अपने डंपिंग स्थलों में डंप करने की अनुमति दी है। ये दिन प्रतिदिन बढ़ता हुआ कचरा जिले में स्वाइन फ्लू जैसे संक्रामक रोगों के फैलने का कारण बनता जा रहा है इसलिये अपने आस पास सफाई रखे और डंपिंग स्थलों से दूर रहे।
भारत में वर्ष 2014 में स्वाइन फ्लू के 937 मामले सामने आये थे जिनमें से 218 की मौत हो गई थीं। फरवरी 2015 के मध्य तक दर्ज मामलों की संख्या 2,000 से अधिक लोगों की मृत्यु के साथ 33,000 का आंकड़ा पार कर गई। किसी व्यक्ति में स्वाइन फ्लू की पहचान करना बेहद जरूरी होता है। क्योंकी इसकी सही समय पर पहचान ना होने पर उसे गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है यहां तक की आपको अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है। तो चलिये जानते हैं स्वाइन फ्लू के कारण, लक्षण और उपचार क्या हैं:
स्वाइन फ्लू क्या है और इसके क्या लक्षण है:
स्वाइन फ्लू एक तीव्र संक्रामक रोग है, जो एक विशिष्ट प्रकार के इंफ्लुएंजा वाइरस (H1N1) के द्वारा होता है, जो की सामान्य रूप से सूअरों को प्रभावित करता है। यह पहली बार 2009 में पहचाना गया था और धीरे धीरे यह रोग इतना बढ़ गया की अगस्त 2010 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस संक्रमण को एक वैश्विक महामारी घोषित कर दिया था। वर्तमान में, H1N1 अभी भी मनुष्यों में मौसमी फ्लू वायरस के रूप में फैल रहा है। स्वाइन फ्लू के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के एक से तीन दिन बाद विकसित होते हैं और लगभग सात दिनों तक रहते हैं। प्रभावित व्यक्ति में सामान्य मौसमी सर्दी-जुकाम जैसे ही लक्षण होते हैं, जैसे:
• नाक से पानी बहना या नाक बंद हो जाना
• गले में खराश
• सर्दी-खांसी
• बुखार
• सिरदर्द, शरीर दर्द, थकान, ठंड लगना, पेटदर्द।
• कभी-कभी दस्त उल्टी आना आदि।
संक्रमण के कारण:
मौसमी फ्लू की तरह ही होता है, इसका संक्रमण रोगी व्यक्ति के खांसने, छींकने आदि से निकली हुई द्रव की बूंदों के सम्पर्क में आने से होता है। रोगी व्यक्ति मुंह या नाक पर हाथ रखने के पश्चात जिस भी वस्तु को छूता है, उस संक्रमित वस्तु को स्वस्थ व्यक्ति द्वारा छूने से भी रोग का संक्रमण हो जाता है।
किन लोगों में रोग फैलने की अधिक संभावना होती है:
• कमजोर व्यक्ति
• बच्चे (5 साल से छोटे बच्चे)
• गर्भवती महिलाएं
• वृद्धजन
• स्वास्थ्य सेवा तथा आपातकालीन सेवा के कर्मचारी गणों में संक्रमण की सम्भावना काफी रहती है
• जीर्ण रोगों से ग्रसित व्यक्ति
• अति गम्भीर बीमारी से ग्रस्त मरीज़, इस समूह के अंतर्गत निम्नलिखित लोग आते हैं
• कैंसर से ग्रसित व्यक्ति
• दीर्घकालिक फेफडों या स्वसन सम्बन्धी बीमारी से ग्रस्त व्यक्तिदिल की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति
• गुर्दे की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति
• लीवर की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति
• दिमाग की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति
• मधुमेह से ग्रस्त व्यक्ति
• तंत्रिका संबंधी विकार से ग्रसित व्यक्ति
• कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली से ग्रसित व्यक्ति
बचाव:
रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्र 6 महीने से अधिक उम्र के सभी लोगों को फ्लू टीकाकरण की सलाह देते हैं। टीका या वैक्सीन एक इंजेक्शन तथा नासिका स्प्रे के रूप में उपलब्ध है। 2 वर्ष की आयु से 49 वर्ष की आयु तक के स्वस्थ लोगों के द्वारा नसिका स्प्रे का उपयोग किया जा सकता है (गर्भवती महिलाओं को छोड़कर)।
निम्नलिखित उपाय स्वाइन फ्लू को रोकने तथा इसके प्रसार को सीमित करने में भी मदद करते हैं:
• यदि आप बीमार हैं तो घर पर रहें। अगर आपको स्वाइन फ़्लू है, तो आप लक्षणों को पहचान कर शीर्घ ही डॉक्टर से आपना इलाज करवाए और घर पर ही आराम करें।
• सर्दी-जुकाम, बुखार होने पर भीड़भाड़ से बचें एवं घर पर ही रहकर आराम करें।
• खांसी, जुकाम, बुखार के रोगीयों से दूर रहें।
• आंख, नाक, मुंह को छूने के बाद किसी अन्य वस्तु को न छुएं व हाथों को साबुन/ एंटीसेप्टिक द्रव(लिक्विड) से धोकर साफ करें।
• खांसते, छींकते समय मुंह व नाक पर साफ़ कपड़ा रखें।
• घर के भीतर संक्रमण होने की संभावना को कम करने की कोशिश करें। यदि आपके घर का कोई सदस्य स्वाइन फ्लू से ग्रस्त है, तो बीमार व्यक्ति की व्यक्तिगत देखभाल के लिए घर के एक ही सदस्य को ही नामित करें।
• यदि आप किसी प्रकार इस फ्लू से ग्रसित हो गये हैं तो तरल पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करें। निर्जलीकरण को रोकने के लिए पानी, जूस और गर्म सूप का सेवन करें।
• तनावमुक्त रहें, तनाव से रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो जाती है जिससे संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। आराम करें और उचित नींद लें।
• यदि घर के आसपास गंदगी है तो उसे साफ करवाएं।
उपचार:
इस वायरल संक्रमण से बचाव के लिए आप विषाणुरोधक दवाएं ले सकते हैं। ओसेल्टामविर (टेमीफ्लु), पैरामविर (रेपिवाब), बालोक्सवीर (ज़ोफ़लुज़ा) और ज़नामिविर (रेलेंज़ा) का उपयोग स्वाइन फ्लु को ठीक करने के लिए दवा उपचार के तौर पर किया जाता है। ये विषाणु रोधक दवाएं फ्लु को पूर्ण रूप से ठीक नहीं करती हैं, लेकिन कुछ लक्षणों को कम करने में सहायक होती हैं। ये आपको बेहतर महसूस करा सकती हैं। फ्लू से पीड़ित रोगी को दर्द भी हो सकता है। ओवर-द-काउंटर दर्द उपचार और सर्दी तथा फ्लू की दवाएं, दर्द और बुखार से राहत देने में मदद कर सकती हैं। एसिटेमिनोफेन या इबुप्रोफेन दर्द को कम करने में मदद कर सकती है।
लेकिन फिर भी आपके या आपके बच्चे के लिए कुछ भी उपचार लेने से पहले अपने चिकित्सक से संपर्क ज़रूर करें। ध्यान रखें कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को एस्पिरिन न दें क्योंकि इससे रेये सिंड्रोम का खतरा हो जाता है। याद रखें कि दर्द निवारक आपको दर्द से निजात दिला सकते हैं परंतु ये फ्लू लक्षणों को तेज़ी से दूर नहीं करेंगे और इनके दुष्प्रभाव भी होते हैं जैसे कि इबुप्रोफेन से पेट में दर्द, रक्तस्राव और अल्सर हो सकता है और एसिटेमिनोफेन का लंबे समय तक सेवन करने से ये आपके यकृत के लिए हानिकारक हो सकती है।
स्वाइन फ्लु के अधिकतर मरीज़ सही इलाज से ठीक हो जाते हैं। उपचार के अंतर्गत पर्याप्त आराम, आहार और चिकित्सक की सलाह से दवाएं लें। दवाएं इस फ़्लू को पूर्णता रोक तो नहीं सकती, पर इसके खतरनाक नतीजों को कम कर जान जरूर बचा सकती हैं।
संदर्भ:
1.https://bit.ly/2WJilUC
2.https://bit.ly/2DWgch9
3.https://en.wikipedia.org/wiki/2015_Indian_swine_flu_outbreak
4.https://www.fortishealthcare.com/india/diseases/swine-flu-h1n1-flu-324
5.https://www.webmd.com/cold-and-flu/flu-guide/h1n1-flu-virus-swine-flu#3
6.https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/swine-flu/diagnosis-treatment/drc-20378106
7.https://bit.ly/2MTtxJZ