भारत के पहले और विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत से तो भारत का लगभग हर एक नागरिक वाकिफ है। यह महाकाव्य मुख्यतः पाण्डवों और कौरवों के मध्य राज सिंहासन के लिए हुए युद्ध पर केंद्रित था। महाभारत के दौरान दो स्थान हस्तिनापुर (कौरवों की राजधानी) और इन्द्रप्रस्थ (पांडवों की राजधानी) प्रमुख थे जिनके मध्य यह पूरा महाकाव्य रचा गया। यह दोनों क्षेत्र आज भी अस्तित्व में हैं, इन्द्रप्रस्थ को अब दिल्ली के नाम से जाना जाता है तथा हस्तिनापुर मेरठ के पास स्थित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से 1950-52 में विख्यात पुरातत्त्वविद् ब्रज बासी लाल द्वारा हस्तीनापुर का उत्तखनन किया गया। यह 1968 से 1972 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक रहे और इन्होंनें शिमला के भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान (Indian Institute Of Advanced Reserch) के निदेशक के रूप में भी कार्य किया है। ब्रजवासी लाल ने विभिन्न यूनेस्को समितियों में भी अपनी सेवा प्रदान की। उन्हें 2000 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया। 1950-52 के बीच, लाल ने कौरवों की राजधानी हस्तिनापुर सहित हिंदू महाकाव्य महाभारत में वर्णित साइटों की पुरातत्व पर कार्य किया। उन्होंने सिन्धु-गंगा के विभाजन और ऊपरी यमुना गंगा दोआब में कई चित्रित ग्रे वेयर (पीजीडब्ल्यू) साइटों की भी खोज की।
हस्तिनापुर की खुदाई में सामने आयी खोजों का वास्तव में महाभारत काल के साथ कोई संबंध है, यह तथ्य अभी भी विवादास्पद बना हुआ है। इन्हीं खोजों में सामने आया 'विदुर-का-टीला' यह कई टीलों का संग्रह है जिनमें से कुछ 50 से 60 फीट ऊंचे हैं तथा कुछ फर्लांगों (एक मील का आठवां भाग) तक विस्तृत हैं। इन टीलों का नाम विदुर के नाम पर रखा गया है, महाभारत के अनुसार विदुर, धृतराष्ट्र और पांडु के सौतेले भाई थे। विदुर का टीला मेरठ से 37 किलोमीटर (23 मील) उत्तर-पूर्व में है। यह कौरवों की राजधानी और महाभारत के पांडवों के प्राचीन शहर हस्तिनापुर के अवशेषों से बना था, जो गंगा की बाढ़ से बह गया था।
हस्तिनापुर के आसपास की पुरातात्विक खुदाई में, लगभग 135 लोहे की वस्तुऐं जिसमें तीर और भाले, शाफ्ट, चिमटे, हुक, कुल्हाड़ी तथा चाकू शामिल थे, जो कि एक प्रबल लोहे के उद्योग की ओर संकेत करते है। ईंटों से बने मार्ग, जलनिकासी प्रणाली, और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के संकेत भी मिले हैं। आगे की खुदाई में द्रौपदी - की - रसोई (द्रौपदी की रसोई) और द्रौपदी घाट सामने आये, जिसमें तांबे के बर्तन, लोहे की मुहरें, सोने और चांदी से बने आभूषण, टेराकोटा डिस्क और कई आयताकार आकार के हाथीदांत के पासे के उपयोग वाला चौपर का खेल मिला जो लगभग 3000 ई.पू. के हैं। ब्रज बासी लाल द्वारा खोजे गये विदुर के टीले का संबंध वास्तव में विदुर से था, इसके कोई पुख्ता प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
संदर्भ :
1.http://mahabharata-research.com/about%20the%20epic/excavations%20of%20hastinapur.html
2.https://www.indianholiday.com/tourist-attraction/meerut/monuments-in-meerut/vidura-ka-tila.html
3.https://en.wikipedia.org/wiki/B._B._Lal
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