कैसे और क्यों बदलते हैं गिरगिट अपना रंग?

मेरठ

 31-01-2019 11:45 AM
रेंगने वाले जीव

हम सभी को गिरगिट की एक खासियत पता है कि यह अपना रंग बदल लेता है। परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये जीव अपना रंग कैसे और क्यों बदल लेता है? अन्य कोई भी जानवर या इंसान आम तौर पर अपना रंग प्राकृतिक तरीके से नहीं बदल सकते जैसे गिरगिट बदलता है। तो आईये जानते हैं गिरगिट ये जादुई कारनामा कैसे दिखाता है और ऐसी कौन सी चीज़ गिरगिट में होती है जो इसका रंग बदल देती है। साथ ही जानते हैं कि ये जीव किन परिस्थितियों में अपना रंग बदलता है।

कहते हैं गिरगिट अपनी सुरक्षा के लिए रंग बदलते हैं, उन्हें खुद को शिकारियों से बचाना होता है इस वजह से वह रंग बदलते हैं। शिकारियों से बचने के लिए ये जीव अपने रंग को उस रंग में ढाल लेते हैं जहाँ वो बैठे होते हैं, इसे छद्मावरण या अंग्रेज़ी में कैमौफ्लाज (Camouflage) भी कहा जाता है। पर देखा जाए तो गिरगिट करीब 21 मील प्रति घंटे की गति से भाग सकते हैं, तो फिर इन्हें क्या ज़रूरत हो सकती है किसी से छिपने की। वैज्ञानिकों का कहना है कि गिरगिट अपना रंग अपनी मनःस्थिति ज़ाहिर करने के लिए भी करते हैं। शोधकर्ताओं के एक प्रयोग के अनुसार एक नर गिरगिट अपना रंग किसी मादा गिरगिट की उपस्थिति में या फिर किसी नर प्रतिद्वंदी की उपस्थिति में अपने भाव प्रकट करने के लिये बदलता है। अपनी अलग अलग भावनाओं जैसे आक्रमकता, गुस्सा, दूसरे गिरगिटों को अपना मूड दिखाने और इस माध्यम से संवाद करने के लिए भी ये रंग बदलते हैं। वहीं इनके रंग बदलने के पीछे एक और कारण है और वो है अपने शरीर के तापमान को विनियमित करने के लिए। गिरगिट अपने शरीर में खुद से गर्मी उत्पन्न नहीं कर सकते, इसलिए उनकी त्वचा का रंग बदलना शरीर के अनुकूल तापमान को बनाए रखने का एक तरीका है। अधिक गर्मी को अवशोषित करने के लिए गिरगिट गहरे रंग के हो जाते हैं और जब उन्हें सूर्य की गर्मी की आवश्यकता नहीं होती है तो वे हल्के रंग के हो जाते हैं।

अब सवाल यह है कि ऐसी कौन सी चीज़ गिरगिट में होती है जो इसका रंग बदल देती है। दरअसल गिरगिट की त्वचा की सबसे बाहरी परत पारदर्शी होती है। इसके नीचे त्वचा की कई और परतें होती हैं जिनमें क्रोमाटोफोर (Chromatophores) नामक कोशिकाएं उपस्थित होती हैं। त्वचा की प्रत्येक परत में क्रोमैटोफोर विभिन्न प्रकार के वर्णक की थैलियों से भरे होते हैं। सबसे अंदर की परत में मेलानोफोर (Melanophores) उपस्थित होते हैं जो भूरे मेलेनिन (Melanin- वही रंगद्रव्य जो मानव त्वचा को रंग देता है) से भरे होते हैं। इससे ऊपर की परत में इरिडोफोर (Iridophores) कोशिकाएं मौजूद होती हैं, जिसमें एक नीला वर्णक होता है जो नीले और सफेद प्रकाश को दर्शाता है। सबसे ऊपर की परत में एरिथ्रोफोर (Erythrophores) और क्ज़ेंथोफोर (Xanthophore) कोशिकाएं पाई जाती हैं जिनमें क्रमशः लाल और पीले वर्णक होते हैं।

आम तौर पर, ये वर्णक कोशिकाओं के भीतर छोटी थैलियों में बंद होते हैं। लेकिन जब गिरगिट के शरीर के तापमान या मनोदशा में बदलाव होता है, तो इसका संकेत, तंत्रिका तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचता है और भाव के अनुसार ये संकेत संबंधित विशिष्ट क्रोमाटोफोर तक पहुंचता है। इससे कोशिका का रंग बदल जाता है। त्वचा की सभी परतों में विभिन्न क्रोमाटोफोर की गतिविधि को अलग-अलग करके, गिरगिट कई प्रकार के रंगों और पैटर्न (Patterns) का उत्पादन कर सकता है।

एक शोध के दौरान यूनिवर्सिटी ऑफ़ जिनेवा (University of Geneva) के वैज्ञानिकों को पता चला कि गिरगिट की त्वचा, प्रकाश परावर्तित कोशिकाओं की एक मोटी परत से ढकी होती है जिन्हें इरिडोफ़ोर (Iridophore) कहा जाता है, जो फोटोनिक क्रिस्टल (Photonic Crystals) नामक अतिसूक्ष्म क्रिस्टलों की एक परत के साथ अंतःस्थापित होती हैं। ये नैनो साइज़ (Nano sized) के क्रिस्टल होते हैं। इन क्रिस्टलों को कितनी बारीकी से समूहबद्ध किया जाता है, इसके आधार पर, ये प्रकाश की विभिन्न तरंग दैर्ध्य या वेवलेंथ (Wavelength) को दर्शाते हैं। यही परत प्रकाश के परावर्तन को भी प्रभावित करती है और गिरगिट का बदला हुआ रंग दिखाई पड़ता है।

संदर्भ:
1.https://www.livescience.com/50096-chameleons-color-change.html
2.https://www.wired.com/2014/04/how-do-chameleons-change-colors/
3.https://www.wired.com/2015/03/secret-chameleons-change-color-nanocrystals/

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id