कार्यात्मकता वह सिद्धांत है, जिसमें इमारतों को केवल भवन के उद्देश्य और कार्य के आधार पर डिजाइन किया जाता है, उसमें कोई अधिक भव्य अलंकृत विस्तार नहीं किया जाता है, बस स्पष्ट रेखाएं होनी चाहिए। आधुनिक वास्तुकला के संबंध में, यह सिद्धांत पहले प्रकट होने से कम आत्मनिर्भर है और पेशे में भ्रम और विवाद का विषय है। इमारतों में कार्यात्मकता के सैद्धांतिक अभिव्यक्ति को विट्रुवियन त्रय (Vitruvian triad) में खोजा जा सकता है, जहाँ वास्तुकला के तीन उत्कृष्ट लक्ष्यों ‘उपयोगिता’, ‘सुंदरता’ और ‘दृढ़ता’ के बारे में देखा जा सकता है। कार्यात्मक वादियों का मानना था कि अगर किसी इमारत के कार्यात्मक पहलुओं को पूरा किया जाता है, तो प्राकृतिक वास्तुशिल्प सुंदरता से चमक जाएगी।
फर्नीचर हमारे घरों का एक अभिन्न हिस्सा है, जिनके आकृति स्वरुप में हमें भिन्नता देखने को मिलती है। इन फर्नीचरों को तैयार करने के लिए भी विभिन्न शैलियों का प्रयोग किया जाता है। जिनमें से ये सजावटी फर्नीचर और कार्यात्मक फर्नीचर प्रमुख हैं, तो चलिए जानते हैं इनके बारे में।
आधुनिकतावादी डिजाइन आंदोलन से पहले फर्नीचर को एक आभूषण के रूप में देखा व् बनाया जाता था। एक टुकड़ा बनाने में जितना समय लगता था, उतना ही उसका मूल्य और मांग बढ़ती। नए संसाधनों और प्रगति होने के साथ-साथ, एक नया दर्शन उभरा, जिसने डिजाइन के उद्देश्य से बनाई जा रही वस्तुओं के जोर को स्थानांतरित कर दिया और कार्यक्षमता, पहुंच और उत्पादन को बढ़ावा देना शुरू कर दिया ।
सुलभ, बड़े पैमाने पर उत्पादित डिजाइन का विचार न केवल औद्योगिक यांत्रिकी पर लागू किया गया बल्कि वास्तुकला और फर्नीचर के सौंदर्यशास्त्र के लिए भी लागू किया गया था। इससे फर्नीचर हर आर्थिक वर्ग के व्यक्ति के लिए सस्ता हो गया था। व्यावहारिकता के इस दर्शन को कार्यात्मकता (Functionalism) कहा जाता है। यह एक लोकप्रिय "कैचवर्ड" (Catchword) बन गया और आधुनिक डिजाइन के सिद्धांतों के प्रारूप में एक बड़ी भूमिका निभाई। कार्यात्मकता ने शैलीगत और ऐतिहासिक रूपों की नकल को खारिज कर दिया और एक टुकड़े में कार्यक्षमता की स्थापना की मांग की।
प्रभावशाली समूह
डी स्टिजल(De Stijl) - डी स्टिजल (द स्टाइल) आंदोलन, 1917 में एम्स्टर्डम में थियो वान डोयसबर्ग द्वारा स्थापित किया गया था। आंदोलन रूप और रंग के आवश्यक तत्वों को अत्यधिक तत्वों को कम करके अमूर्तता और सार्वभौमिकता को बढ़ावा देने के सिद्धांतों पर आधारित था।
डॉयचे विर्कबंड (Deutscher Werkbund) - जर्मनी के म्यूनिख में 1907 में स्थापित, डोचर वर्कबंड कलाकारों, डिजाइनरों और निर्माताओं का एक संगठन था, जिसने बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में एक डिजाइन और नए विचारों के माध्यम से प्राप्त सांस्कृतिक स्वप्नलोक बनाने के लिए धक्का दिया था। उन्होंने "फॉर्म फॉलो फंक्शन" के साथ-साथ गुणवत्ता, सामग्री ईमानदारी, कार्यक्षमता और स्थिरता जैसे "नैतिक रूप से शुद्ध" डिजाइन सिद्धांतों के आधुनिक विचार साझा किए।
द बॉहॉस स्कूल (The Bauhaus School) - आर्किटेक्ट वाल्टर ग्रोपियस द्वारा जर्मनी के वीमर में 1919 में स्थापित बॉहॉस स्कूल एक कला स्कूल था, जिसमें कला के सभी पहलुओं को जोड़ा गया था। बॉहॉस ने कला और डिजाइन के सभी क्षेत्रों की एकता को बढ़ावा दिया: टाइपोग्राफी से लेकर टेबलवेयर, कपड़े, प्रदर्शन, फर्नीचर, कला और वास्तुकला तक।
आधुनिक फर्नीचर के प्रतिष्ठित उदाहरण:
1896 में, शिकागो के वास्तुकार लुई सुलिवन ने ‘फॉर्म एवर फॉलो फंक्शन’ (form ever follows function) का वाक्यांश अंकित किया था, हालांकि इस वाक्यांश के शब्द ‘फंक्शन’ की समकालीन समझ को उपयोगिता या उपयोगकर्ता की जरूरतों की संतुष्टि से संबंधित नहीं करता है। इसके बजाए इसको तत्वमीमांसा पर आधारित जैविक तत्व की अभिव्यक्ति और अर्थ ‘नियति’ के रूप में संबंधित किया जा सकता है। 1930 के दशक के मध्य में, कार्यात्मकता डिजाइन के बजाय लोग सौंदर्यवादी दृष्टिकोण की तरफ रुख करने लगे थे। कार्यात्मकता ने शैलीगत और ऐतिहासिक रूपों की नकल को अस्वीकृत कर दिया और विशेष खंड की स्थापना की मांग की। 1928-1970 की अवधि में पूर्व चेकोस्लोवाकिया (Czechoslovak) में कार्यात्मकता एक प्रमुख वास्तुकला शैली थी। यह पहले औद्योगिक विकास और बाद में समाजवाद की अवधि के दौरान "एक नए मानव और नए समाज बनाने के प्रयास" से मोहित होने का परिणाम था।
ये तो हुई कार्यात्मकता डिजाइन की बात, अब हम आपको बताते हैं कला और शिल्प आंदोलन के बारे में| कला और शिल्प आंदोलन सजावटी और ललित कलाओं का अंतरराष्ट्रीय आंदोलन था, जो मुख्य रूप से ग्रेट ब्रिटेन में शुरू हुआ और लगभग 1880 और 1920 के बीच यूरोप और उत्तरी अमेरिका में फैला था। यह सरल रूपों का उपयोग करते हुए पारंपरिक शिल्पकारिता का आधार है और अक्सर सजावट के लिए मध्ययुगीन, रोमांटिक या फॉल्क शैलियों का उपयोग किया जाता है। 1920 के दशक में आधुनिकतावाद द्वारा विस्थापित होने तक इसका यूरोप की कला पर गहरा प्रभाव देखने को मिला था। जो वहाँ के शिल्पकारों, डिजाइनरों और टाउन प्लानर्स के बीच लंबे समय तक जारी रही थी।
इस शब्द का पहली बार उपयोग टी.जे. कोबडेन-सैंडरसन ने 1887 में आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स एग्जीबिशन सोसाइटी की एक बैठक में किया था, हालांकि यह जिस सिद्धांत और शैली पर आधारित था, वो कम से कम बीस वर्षों से इंग्लैंड में विकसित हो रही थी। यह वास्तुकार ऑगस्टस पुगिन, लेखक जॉन रस्किन और डिजाइनर विलियम मॉरिस के विचारों से प्रेरित हुई थी। ब्रिटिश द्वीपों में शीघ्र ही और पूरी तरह से यह आंदोलन विकसित हो गया था और ब्रिटिश साम्राज्य और यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाकी हिस्सों में भी फैल गया था। यह आंदोलन उस समय की सजावटी कलाओं की खराब स्थिति और उन स्थितियों के खिलाफ एक प्रतिक्रिया के रूप में उभरा था।
कला और शिल्प आंदोलन के कई नेताओं को आर्किटेक्ट (उदाहरण के लिए विलियम मॉरिस, ए.एच. मैकमर्डो, सी.आर. एशबी, डब्ल्यू.आर. लेथबी) के रूप में प्रशिक्षित किया गया था और इस आंदोलन का सबसे अधिक दृश्यमान और स्थायी प्रभाव रहा था। गर्ट्रूड जेकेल ने गार्डन डिजाइन के लिए कला और शिल्प सिद्धांतों को इस्तेमाल किया था। उसने अंग्रेजी वास्तुकार, सर एडविन लुटियन के साथ काम किया, जिनकी परियोजनाओं के लिए उन्होंने कई परिदृश्य बनाए, और उन्होंने सुरे में गॉडलिंग के पास अपने घर मुंस्टेड वुड को डिजाइन किया था।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Functionalism_(architecture)
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Modern_furniture
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Arts_and_Crafts_movement
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