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औद्योगीकरण के इस बढ़ते दौर में हस्तनिर्मित वस्तुएं कहीं विलुप्त सी होती जा रही हैं, ऐसी स्थिति में हस्तनिर्मित वस्तुओं का मूल्य अधिक होना स्वाभाविक है। इसी चीज़ का फायदा उठाते हुए व्यापारी मशीन निर्मित वस्तुओं को हस्तनिर्मित वस्तुओं के मूल्य पर बेचते हैं, उचित जानकारी के अभाव में हम उन वस्तुओं को खरीद भी लेते हैं। ऐसी ही वस्तुओं में आते हैं कालीन, जो हस्तनिर्मित और मशीन निर्मित दोनों रूपों में बाजार में आते हैं। रामपुर के लोग लम्बे समय से ही कालीनों को घर की साज-सज्जा में इस्तेमाल करते आ रहे हैं। लेकिन इन मशीन निर्मित और हस्तनिर्मित कालीनों के बीच अंतर ना जानने पर हमारी ठगे जाने की संभावना बढ़ सकती है। तो आइए जानते हैं इनके बीच के कुछ अंतरों को।
एक हस्तनिर्मित कालीन को विशेष रूप से डिज़ाइन (Design) किए गए करघे के उपयोग के साथ और हाथ से बुनकर बनाया जाता है। इस करघे को हथकरघा भी कहा जाता है। यह करघा हाथ से संचालित होता है जिसके लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। हस्तनिर्मित कालीन बनाना एक प्राचीन कला है। हस्तनिर्मित कालीन के तीन मुख्य प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
हैंड नॉटेड कार्पेट (Hand Knotted Carpets)- हैंड नॉटेड तकनीक में करघे का आकार कालीन के आकार पर निर्भर करता है और बुनाई नीचे से ऊपर की ओर की जाती है। आकार, रंग संयोजन और डिज़ाइन के अनुसार एक कालीन को पूरा करने में कई महीने लगते हैं। यह कालीन के पैटर्न (Pattern) और जटिलता पर निर्भर करता है। इसमें कालीन के किनारों पर झालर का होना आम है। हालांकि कई बार इन्हें हटा भी दिया जाता है।
हैंड टफ्टेड कार्पेट (Hand Tufted Carpets)- ये भी हस्तनिर्मित कालीन है, लेकिन इसमें प्रक्रिया और तकनीक पूरी तरह से अलग है। इस कालीन को तैयार करने के लिए ड्रिल गन (Drill Gun) की मदद से बुनाई करी जाती है। इसमें इस्तेमाल होने वाले कपड़े सूती के होते हैं। ये हैंड नॉटेड कार्पेट बनाने से सस्ता होता है, क्योंकि इसमें ड्रिल गन का उपयोग किया जाता है और बुनाई करने में भी कम समय लगता है।
फ्लैट वोवन दरी (Flat Woven Durries)- यह बिना परत के बनाए जाते हैं और इसका कोई निश्चित आकार नहीं होता है। यह कपास, ऊन और जूट की सामग्री से बनता है। यह उच्च टिकाऊ दरियाँ हैं।
मशीन से बने कालीन को बड़े मशीन में निर्मित किया जाता है, जिन्हें पावर लूम (Power Loom) कहा जाता है। पावर लूम को कंप्यूटर (Computer) द्वारा नियंत्रित किया जाता है और इससे बहुत तेज़ उत्पादन किया जाता है। हस्तनिर्मित कालीनों की तुलना में ये बहुत सस्ते होते हैं। मशीन से बने कालीन का स्थायित्व अधिकतम 15 वर्ष है। यदि कालीन नायलॉन (Nylon), पॉलिएस्टर (Polyester), ओलेफिन (Olefin) या किसी भी सिंथेटिक फाइबर (Synthetic Fibre) से निर्मित है, तो कालीन 100% मशीन निर्मित कालीन है।
कई लोग कालीन खरीदते वक्त उनकी पहचान करने में असमर्थ रहते हैं, तो आइए चलें आपको बताते हैं कि कैसे करें हस्तनिर्मित और मशीन निर्मित कालीन की पहचान। निम्नलिखित अंतरों से आप इसका पता लगा सकते हैं:
झालर (फ्रिंज/Fringes) - हस्तनिर्मित कालीन में किनारी की झालर उसकी निर्माण प्रक्रिया के साथ ही उभरती है। इन्हें कालीन के निर्माण के बाद या पहले कालीन में नहीं लगाया जा सकता है। जबकि मशीन से बने कालीनों में, निर्माण प्रक्रिया के दौरान झालर नहीं बनती हैं। इन्हें कालीन के निर्माण के पूरा होने के बाद कालीन में सिला जाता है। जब आप कालीन के झालर वाले हिस्से को करीब से देखेंगे तो आप इसमें अंतर बता सकते हैं।
किनारे - कालीन के लम्बे सिरे के किनारे का हिस्सा बाहरी किनारों के धागे को मोड़कर बनता है, जिसे बाद में लपेटकर एक साथ जोड़ा जाता है। किनारों का उपयोग अक्सर कालीन के उद्भव की पहचान करने के लिए किया जा सकता है, क्योंकि विभिन्न बुनाई क्षेत्रों में किनारों के परिष्करण की विभिन्न शैलियाँ और तरीके होते हैं। एक हस्तनिर्मित कालीन में किनारों को हाथ से सिला जाता है, जिससे अक्सर कालीन के किनारे कुछ असमान हो जाते हैं और पूरी तरह से सीधे नहीं होते हैं। लेकिन मशीन निर्मित कालीनों में किनारे आम तौर पर बहुत बारीक और सटीक होते हैं।
पैटर्न और डिज़ाइन - मशीन से बने कालीन पर पैटर्न आम तौर पर बहुत सटीक होता है और डिज़ाइन को आम तौर पर एक तरफ से दूसरी तरफ प्रतिबिंब किया जाता है। मशीन से बने कालीन के डिज़ाइन में शायद ही कोई विसंगतियां पाई जाती हैं, जो हस्तनिर्मित में आम बात होती हैं। अक्सर हस्तनिर्मित कालीन को बुनने वाले व्यक्ति किसी डिज़ाइन का उपयोग नहीं करते हैं बल्कि वह बुनते-बुनते ही अपनी इच्छानुसार डिज़ाइन बनाते हैं और अंत में एक आकर्षक आकृति उभर कर आती है।
पीछे का भाग - मशीन और हस्तनिर्मित कालीन के बीच अंतर को देखने के लिए सबसे अधिक बताए जाने वाले तरीकों में से एक है कालीन के पीछे के भाग की जांच करना। मशीन से बने कालीन के पीछे की गाँठ और बुनाई लगभग हमेशा सही और समान होती है - कभी-कभी आप बहुत विशिष्ट सफेद रेखाएं देख सकते हैं। वहीं हस्तनिर्मित कालीनों के पीछे गांठें पूरी तरह से परिष्कृत नहीं होती हैं। इसके अलावा आप हस्तनिर्मित कालीन के पीछे मौजूद गाठों में अक्सर पाएंगे कि उनके बीच की दूरी भी भिन्न हो सकती है।
आकार और आकृति - मशीन से बने कालीनों का आकार आमतौर पर सटीक होता है, जबकि हस्तनिर्मित कालीनों में कुछ मामूली भेद हो सकता है।
रंग में भिन्नता - हस्तनिर्मित कालीनों में रंग में मामूली बदलाव होने की अधिक संभावना होती है। विभिन्न वर्गों में रंगे हुए ऊन का उपयोग करने से अक्सर रंग में बदलाव हो जाता है। जबकि मशीन निर्मित कालीनों में आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री को एक ही वर्ग में रंगा जाता है, इसलिए उसके सारे रंग समान होते हैं।
संदर्भ:
1.https://www.carpetvista.com/blog/54/machine-vs-handmade
2.https://www.rugsandbeyond.com/blog/difference-between-handmade-and-machine-made-carpets/
3.https://www.catalinarug.com/blog/hand-made-vs-machine-made-rugs-tell-difference/