भारत में रोज़गार के औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र की स्थिति

मेरठ

 10-01-2019 12:21 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

रोजगार क्षेत्रों को प्रमुखतः दो भागों में विभाजित किया जाता है: औपचारिक या संगठित क्षेत्र और अनौपचारिक या असंगठित क्षेत्र। अब प्रश्‍न उठता है कि यह है क्‍या और इनका निर्धारण कैसे किया जाता है? तो इसकी सामान्‍य की परिभाषा है, वे सभी उद्यम या रोजगार क्षेत्र जो सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं तथा इनमें सरकारी नियमों और विनियमों का अनुपालन किया जाता है संगठित क्षेत्र में आते हैं तथा असंगठित क्षेत्र वह क्षेत्र हैं जो सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं है, इस क्षेत्र के नियम और विनिमय तो हाते हैं परन्तु उनका अनुपालन नहीं किया जाता है जैसे फेरीवाला।

संगठित और असंगठित क्षेत्र के मध्‍य अंतर इस प्रकार है:

भारत में करीब 81% कार्यरत व्यक्ति असंगठित क्षेत्र में काम करके अपना जीवन यापन करते हैं, वहीं संगठित क्षेत्र में केवल 6.5% और घरेलू क्षेत्र में 0.8% व्यक्ति काम करते हैं। पांच दक्षिण एशियाई देशों में, भारत और नेपाल (90.7%) के साथ बांग्लादेश (48.9%), श्रीलंका (60.6%) और पाकिस्तान (77.6%) असंगठिकरण में सर्वोच्च हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, सबसे अधिक संगठित रोजगार 13.5% बांग्लादेश में है, लेकिन यहां सर्वोच्च घरेलू रोजगार 26.7% है। वूमेन एंड मेन इन द इनफॉर्मल इकॉनमी - आ स्टैटिस्टिकल पिक्चर (थर्ड एडिशन) (Women and Men in the Informal Economy – A Statistical Picture (Third edition)) की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 130 करोड़ लोग या एशिया-प्रशांत में कार्यरत आबादी के 68.2% असंगठित अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए हैं।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में लगभग सभी कृषि रोजगार (94.7%) असंगठित में आते हैं, और दक्षिण एशिया में कृषि रोजगार 99.3% तक असंगठित है। वहीं औद्योगिक क्षेत्र में, असंगठित नौकरियां 68.8% हैं, जो सेवा क्षेत्र की असंगठित नौकरियों से 54.1% से भी अधिक हैं। जब एक उभरते और विकासशील देशों में असंगठित रोजगार ही रोजगार का मुख्य स्रोत है, तो सभी क्षेत्रों में उच्च स्तर की असंगठितता की उम्मीद की जा सकती है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 द्वारा कहा गया है कि आधिकारिक अनुमानों की तुलना में अर्थव्यवस्था में संगठित क्षेत्र की नौकरियाँ कई अधिक हैं। सामाजिक सुरक्षा और कर कवरेज (tax coverage) जैसे दो मापदंडों का उपयोग करते हुए सर्वेक्षण ने यह अनुमान लगाया है कि संगठित क्षेत्र की नौकरियां गैर-कृषि क्षेत्रों में श्रमिक संख्या के 31 प्रतिशत और 54 प्रतिशत के मध्‍य हो सकती हैं। सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त करने वाले कर्मचारियों या कर शुद्ध परिप्रेक्ष्य का सर्वेक्षण करने पर ज्ञात होता है कि देश में अभी संगठित क्षेत्र में 22 करोड़ कर्मचारी हैं। सामाजिक सुरक्षा की दृष्टिकोण से औपचारिक रोजगार की मात्रा 6 करोड़ है।

आर्थिक सर्वेक्षण स्पष्ट रूप से बताता है कि औपचारिक क्षेत्र का आकार (सामाजिक सुरक्षा या जीएसटी नेट (GST net) में या फिर यहां परिभाषित किया गया है) निजी गैर-कृषि क्षेत्र में कुल व्‍यवसायों का मात्र 13% है। हालांकि, यह उनके कुल कारोबार का 93% है। व्‍यवसायों का लगभग 0.6%, कुल कारोबार का 38%, निर्यात का 87% और जीएसटी देयता का 63% लेखांकन कर और सामाजिक सुरक्षा दोनों के लिहाज से औपचारिक क्षेत्र का "हार्ड कोर" कहा जा सकता है। दूसरे छोर पर, कुल 87% व्‍यवसाय, कुल कारोबार के 21% का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो कि विशुद्ध रूप से अनौपचारिक हैं तथा कर और सामाजिक सुरक्षा जाल दोनों से बाहर हैं। वर्तमान समय में हर महीने 0.13 करोड़ कामकाजी उम्र के लोगों की बढ़ोत्तरी के चलते भारत को प्रति वर्ष 0.8 करोड़ नौकरियों का सृजन करने की आवश्यकता है।

संदर्भ:
1. http://www.sociologygroup.com/formal-informal-sector-differences/
2. https://bit.ly/2RHy3jk
3. https://bit.ly/2FnGJVA
4. https://bit.ly/2QAM2Tm
5. https://bit.ly/2HwMVgo

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