मेरठ और खेल-कूद का रिश्ता काफ़ी पुराना रहा है। फिर चाहे वह घुड़सवारी का खेल हो या अधिकतर भारतीयों के सबसे पसंदीदा खेल क्रिकेट का। और मेरठ में तो क्रिकेट का जूनून होने की वजहें भी काफ़ी हैं जैसे कि कई खिलाड़ियों की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में मौजूदगी, और साथ ही मेरठ के क्रिकेट सामग्री के कारखाने। तो आइये आज बात करते हैं इतिहास के पन्ने पलटकर क्रिकेट की ‘एशेज़ सीरीज़’ (ASHES Series) से जुड़े एक रोचक तथ्य के बारे में।
एशेज़ एक टेस्ट क्रिकेट खेलों की श्रृंखला है जो ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेले जाते हैं। एशेज़ अंग्रेज़ी शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘राख’। तो आखिर राख का क्रिकेट से क्या सम्बन्ध हो सकता है? इसका इतिहास पीछे जाता है सन 1882 तक, जब ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को उन्हीं के देश में आकर इस सीरीज़ में हरा दिया था। इस हार के बाद इंग्लैंड टीम का काफ़ी तिरस्कार किया गया था। ‘स्पोर्टिंग टाइम्स’ (Sporting Times) नामक अख़बार में इंग्लैंड टीम पर उपहास करते हुए ‘रेजिनाल्ड शर्ली ब्रुक्स’ (Reginald Shirley Brooks) द्वारा एक शोक सन्देश दिया गया जिसमें लिखा था, “इंग्लिश क्रिकेट की मधुर याद में, जिनका 29 अगस्त 1882 को ओवल ग्राउंड में निधन हो गया। सभी प्रियजनों द्वारा काफ़ी दुःख का एहसास किया जा रहा है। शव का अंतिम संस्कार कर उसकी अस्थियों (राख) को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा।” यह पहली बार था जब इस राख का ज़िक्र किया गया था।
इसके बाद 1882-1883 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच फिर कुछ खेलों की व्यवस्था की गयी और इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लाई ने संकल्प लिया कि वे “इंग्लिश क्रिकेट की अस्थियों (राख)” को वापस ला कर रहेंगे। और फिर इस श्रृंखला में जीत हुई इंग्लैंड की। इसी श्रृंखला के दौरान एक छोटे से लाल रंग के मिट्टी से बने कलश का निर्माण किया गया था जिसमें क्रिकेट स्टंप (Stump) के एक बेल (Bail) को जलाकर उसकी राख को संरक्षित किया गया था तथा तबसे यह एशेज़ श्रृंखला को चिह्नित करने लग गया।
इस कलश और सम्पूर्ण एशेज़ श्रृंखला से जुड़े और भी कई ऐसे रोचक तथ्य हैं जिन्हें आप लेख में सबसे ऊपर दी गयी वीडियो पर क्लिक कर जान सकते हैं।
सन्दर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/The_Ashes_urn
2.https://www.youtube.com/watch?v=7Mg18RqQFq0
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