क्या आपका कुल्हड़ माइक्रोवेव सेफ है?

मेरठ

 19-12-2018 09:48 AM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

एक समय था, जब मेरठ के घरों में लोग भोजन पकाने और परोसने के लिए मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल किया करते थे। लेकिन आगे चलकर इसका प्रचलन काफी कम हो गया और यह परंपरा बस दही की हांडी और मटकों तक सीमित रह गई। कब स्टील (Steel) और एल्युमिनियम (Aluminium) के बर्तनों ने इनकी जगह ले ली, पता ही नहीं चला। वर्तमान में तो ज्यादातर शहरी लोग खाना माइक्रोवेव (Microwave) में बनाते हैं, इस वजह से भी मिट्टी के बर्तन के उपयोग में कमी आई है। क्योंकि अब ज़माना है माइक्रोवेव-सेफ (Microwave Safe) बर्तनों का, जिसका सीधा-सीधा प्रभाव मेरठ, खुर्जा (यहाँ मिट्टी के कलात्मक बर्तन बनते हैं) आदि के आस-पास स्थानीय कुम्हारों पर भी देखने को मिलता है।

माइक्रोवेव में हर प्रकार के बर्तनों का उपयोग नहीं होता है क्योंकि इसमें विद्युत चुम्बकीय तरंगों का उत्सर्जन होता है जिसे पानी, वसा और शर्करा के अणुओं द्वारा ऊष्मा के रूप में अवशोषित किया जाता है जिससे कि तापमान बढ़ता है और भोजन पक जाता है। लेकिन अब भारत में माइक्रोवेव सेफ मिट्टी के बर्तनों का ट्रेंड (Trend) दिखाई देने लगा है।

भारत के कुछ राज्यों में माइक्रोवेव सुरक्षित मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जा रहा है। प्लाटिक (Plastic) के विपरीत इन पर्यावरण अनुकूल बर्तनों को आप माइक्रोवेव में रख कर खाना गर्म कर सकते हैं और विषैले होने के डर से भी मुक्त रह सकते हैं। इनकी कीमत भी कम होती है। हालांकि मेरठ में अभी तक माइक्रोवेव सुरक्षित मिट्टी के बर्तनों का निर्माण नहीं हुआ है और कोई गारंटी भी नहीं है कि यहां के स्थानीय मिट्टी के बर्तन कब तक माइक्रोवेव सुरक्षित होंगे। परंतु भारत के कुछ स्थानों पर माइक्रोवेव सुरक्षित मिट्टी के बर्तन का निर्माण हो रहा है। मलप्पुरम (केरल) के पारंपरिक टेराकोटा पॉट (Terracotta Pot) निर्माताओं ने अपने शिल्प को एक आधुनिक मोड़ दिया है जिसमें उन्होंने मिट्टी के बने बर्तनों को माइक्रोवेव फ्रेंडली बनाया है।

इसके निर्माता बताते हैं कि माइक्रोवेव फ्रेंडली मिट्टी के बर्तन एक प्रक्रिया के माध्यम से बनाए जाते हैं जिसमें बर्तन को उसके गीले अवतार में ही बार-बार पीटना शामिल होता है, जिस कारण बर्तन में वायु छिद्रों का निर्माण नहीं हो पाता है और ये माइक्रोवेव सेफ बन जाता है। साथ ही ये भी सुनिश्चित करना होता है कि मिट्टी में कोई धातु न मौजूद हो। माइक्रोवेव सेफ बर्तनों की कीमत 200 रुपये से 500 रुपये के बीच होती है तथा इनमें फ्राइंग पैन (Frying pan), प्लेट और मग आदि शामिल हैं। स्थानीय निर्माता बताते हैं कि ज़्यादातर ये बर्तन डॉक्टरों द्वारा खरीदे जाते हैं, जो मिट्टी के बर्तनों की वास्तविक गुणवत्ता को जानते हैं। मिट्टी के बर्तनों में ताप एक समान रहता है जिससे खाद्य पोषक तत्व संरक्षित रहते हैं। इसमें खाना जल्दी पक जाता है और अन्य धातु के समान इसमें तापमान में वृद्धि होने पर भी खाद्य पदार्थों के साथ बर्तन की प्रतिक्रिया भी नहीं होती है।

टेराकोटा कला से निर्मित बर्तन नदी के किनारे और धान के खेतों में पाई जाने वाली लाल मिट्टी से बनते हैं। ये मिट्टी ईंट और टाइल बनाने में भी प्रयोग की जाती है, परंतु बर्तन बनाने वाली मिट्टी काफी बारीक (45 माइक्रोन व्यास) होती है। मिट्टी में से सारी अशुद्धियों (रेत और धातु) को निकाल दिया जाता है, क्योंकि यदि इसमें लौह तथा एल्युमीनियम जैसी धातुओं के कण रह जाये तो ये टूट सकते हैं। इसके बाद बर्तनों को बिजली या लकड़ी की भट्टियों में 800-900 डिग्री सेल्सियस पर पकाया जाता है।

परंतु इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि भले ही आपको ये बोला गया हो कि ये मिट्टी के बर्तन माइक्रोवेव सेफ हैं तो इसका मतलब नहीं है कि वो बर्तन माइक्रोवेव के लिये पूरी तरह से सुरक्षित है। हस्तनिर्मित सिरेमिक बर्तन मिट्टी या पत्थर से बने पदार्थों से बनाये जाते हैं। ये कितने माइक्रोवेव सेफ हैं ये इस बात पर निर्भर करता है कि ये जल को कितनी मात्रा में अवशोषित करते हैं। बर्तनों की जल अवशोषण क्षमता उसके मूल पदार्थ पर निर्भर करती है, जैसे कि पत्थर के बर्तन आमतौर पर लगभग 2-5% जल को अवशोषित करते हैं जबकि चीनी मिट्टी के बर्तन 0-1% जल अवशोषित करते हैं। ये जल धुलाई के समय इन बर्तनों के अति सूक्ष्म छिद्रों में भर जाता है और जब आप इसका उपयोग माइक्रोवेव में करते हैं तो छेदों में उपस्थित इस जल में गर्मी तेजी से उत्पन्न होने लगती है। परंतु छेद इस गर्मी और भाप को आसानी से फैलने नहीं देते हैं, जिस कारण ये अत्यधिक गर्म हो जाते हैं, कभी-कभी उच्च जल धारण क्षमता वाले सिरेमिक माइक्रोवेव में फूट भी जाते है। इसलिये माइक्रोवेव फ्रेंडली मिट्टी के बर्तन खरीदने से पहले ये जरूर देख लें कि उसकी मिट्टी की जल अवशोषण दर क्या है।

संदर्भ:
1.
https://www.quora.com/Can-you-microwave-handmade-ceramics
2.https://bit.ly/2BtJhhb
3.https://bit.ly/2BsmEtO

RECENT POST

  • चलिए अवगत होते हैं, भारत में ड्रॉपशिपिंग शुरू करने के लिए लागत और ज़रूरी प्रक्रियाओं से
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:30 AM


  • आध्यात्मिकता, भक्ति और परंपरा का संगम है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:26 AM


  • भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लचीलेपन का श्रेय जाता है, इसके मज़बूत डेयरी क्षेत्र को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     13-01-2025 09:26 AM


  • आइए, आज देखें, भारत में पोंगल से संबंधित कुछ चलचित्र
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:30 AM


  • जानिए, तलाक के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए, कुछ सक्रिय उपायों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:26 AM


  • इस विश्व हिंदी दिवस पर समझते हैं, देवनागरी लिपि के इतिहास, विकास और वर्तमान स्थिति को
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:31 AM


  • फ़िनलैंड के सालाना उपयोग से अधिक विद्युत खपत होती है, क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:27 AM


  • आइए जानें, भारत और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के बीच के अंतरों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:26 AM


  • आइए जानें, हमारी प्रगति की एक प्रमुख चालक, बिजली के व्यापार के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:43 AM


  • भारत में परमाणु ऊर्जा का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक सशक्त कदम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id