आज जैसे टेलीविज़न और मोबाइल हमारे मनोरंजन का माध्यम बन गया है ठीक वैसे ही कुछ समय पूर्व जब टेलीविज़न का आविष्कार नहीं हुआ था तब रेडियो था जिसपे हम समाचार और संगीत सुन कर अपना मनोरंजन करते थें। रेडियो ही एक मात्र मनोरंजन और समाचार प्राप्त करने का साधन था पर आज टेलीविज़न के आने के बाद रेडियो का इस्तेमाल लोग कम करते हैं। वैसे आज भी गाँव घरों में बड़े बुज़ुर्ग रेडियो पर ही समाचार सुनना पसंद करते हैं और पहले के मुकाबले रेडियो का आकार और वजन में भी बदलाव आया है और रेडियो छोटे आकारों में भी मिलने लगे है। तो चलिए आज एक वीडियो के माध्यम से देखते हैं कि आखिर यह बीते समय की आधुनिक वास्तु अपने अस्तित्व में आई कैसे?
रेडियो के आविष्कार की शुरुआत एक ब्रिटिश वैज्ञानिक जेम्स क्लर्क मैक्सवेल नें 1864 में की थी परन्तु उनके निरंतर प्रयास के बावजूद भी किसी का भी ध्यान उनके आविष्कार पर नहीं गया और उनकी मृत्यु हो गई। उनके जाने के बाद एक और ब्रिटिश वैज्ञानिक ओलिवर हेविसाइड ने इस अधूरे खोज को शुरू किया पर वह भी इस खोज में कामयाब नहीं हो पाये और उसके बाद हेनरिक हर्ट्ज़ नामक एक वैज्ञानिक ने इस खोज को आगे बढ़ाया और चुम्बकीय रेडियो तरंगों पर काम किया, वह काफी सफल भी रहे। हर्ट्ज़ के खोज पर एक पुस्तक बनाया गया और उसे पढ़ के ही जगदीश चन्द्र बासु समेत कई वज्ञानिकों ने रेडियो पर फिर से खोज शुरू की और रेडियो तारंगों के इस खोज में कामयाब भी हुए। 1920 में फ्रैंक कोनार्ड को सरकार ने पहली बार रेडियो स्टेशन शुरू करने की इजाजत दी और उन्हें रेडियो ब्रोडकास्टिंग (Radio broadcasting) के जनक के नाम से भी लोग जानने लगे और उसके बाद कई सारे रेडियो स्टेशन की शुरुआत की जिनमें से लन्दन का बीबीसी रेडियो ब्रोडकास्टिंग अति विख्यात हुआ।
भारत में 1936 में ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना की गयी और 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा। समय के साथ रेडियो का उपयोज काफी लोग करने लगे और घरों में लोग रेडियो रखने लगे पर आज रेडियो का इस्तमाल काफी कम हो गया है और लोग इसके जगह टी.वी देखना ज्यादा पसंद करते हैं।
तो क्लिक कीजिये ऊपर दी गयी वीडियो पर और चित्रों के साथ इस कहानी को और भी गहराई से जानकार बनाइये अपने रविवार को एक रोमांचक रविवार।
सन्दर्भ:
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