सुगंधों के अनुभव की विशेष प्रक्रिया

मेरठ

 07-12-2018 12:32 PM
गंध- ख़ुशबू व इत्र

इस जीव जगत में हो रहे दृश्‍य और अदृश्‍य परिवर्तनों को अनुभव करने के लिए मानवीय शरीर में पांच प्रमुख ज्ञानेंद्रियां (आँख, कान, नाक, जीभ, त्वचा) हैं। जिनमें प्रत्‍येक ज्ञानेइन्‍द्रिय के भिन्‍न भिन्‍न कार्य होते हैं जैसे- आंख से देखना, कान से सुनना, त्‍वचा से संवेदनाओं की अनुभूति, नाक से सूंघना, जीभ से स्‍वाद आदि। इनमें से एक के भी अभाव में हम इस अलौकिक जगत की खूबसूरती को पूर्णतः महसूस नहीं कर सकते हैं। जैसे बात करें फूलों की जो कि प्रकृति का सबसे खूबसूरत आभूषण है किंतु इनकी खूबसूरती का प्रत्‍यक्ष अनुभव हमें इनकी सुगन्‍ध से होता है। जिसका आभास हमें नाक से होता है। एक दिलचस्प बात यह है कि विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि मां के गर्भ से ही नवजात शिशु स्वाद और सुगंध को महसूस करने में सक्षम होता है।

यह सभी जानते हैं कि नाक के माध्‍यम से गंध का आभास होता है, हमारी नाक की ग्राही कोशिकाएँ, तंत्रिका से जुड़ी होती हैं। जब कोई कण वाष्पशील होता है तो वो उसमें सुगंध उत्पन्न करने की एक सशक्त क्षमता होती है। और जब ये अणु ग्राही कोशिकाओं के साथ बंध जाते हैं, तो गंध हमारी नाक की ग्राही कोशिकाओं तक पहुंचती है और तंत्रिकाएं उत्तेजित हो जाती हैं तथा यह तंत्रिका तुरंत दिमाग को सूचना भेजती है। इस प्रकार हम उस कण की सुगंध महसूस कर पाते हैं। किंतु कौन सी गंध अच्‍छी है और कौन सी बुरी इसका निर्धारण कैसे होता है? यह एक रूचिकर प्रश्‍न है, जिस पर अक्‍सर विशेषज्ञों के मध्‍य बहस चलती रहती है।

वैज्ञानिकों के कई वर्ष के शोध के पश्‍चात पता चला कि मानवीय घ्राण समूह में विशेष तंत्रिकाएं होती हैं। ये तंत्रिकाएं केवल उन्‍हीं कणों के संपर्क में आने पर प्रतिक्रिया करती हैं, जिनके लिए वे बनी हैं अर्थात सुगंध हो या दुर्गन्‍ध दोनों सूक्ष्‍म कणों में विभाजित होती हैं तथा तंत्रिकाएं अपने अनुकुलित कणों को स्‍वीकार करती हैं। लेकिन विज्ञान अभी भी इस बात की खोज कर रहा है कि विशेष ग्राही कोशिकाएं किस प्रकार अच्‍छी गंध और बुरी गंध की पहचान करती?

सबसे व्यापक स्वीकार्य सिद्धांत यह है कि हमारे नाक में लगभग 350 गंध संबंधी ग्राही कोशिकाएँ होती हैं। जिनकी अलग-अलग संरचनाएं होती हैं, जोकि कणों के आकार के आधार पर सक्रिय होती हैं अर्थात वे अपने अनुकुल आकार के कणों को ही ग्रहण करती हैं। कणों के ग्राही कोशिकाओं में बंध जाने के बाद तंत्रिकाएं सक्रिय हो जाती हैं। इन गंध संबंधी तंत्रिका सक्रियण का एक विशिष्ट पैटर्न (pattern) होता है जो मस्तिष्क में अलग-अलग गंध का प्रतिनिधित्व करती जिससे हमें गंधों को अलग करने में मदद मिलती। इस सिद्धांत को लॉक-एंड-की (lock-and-key) के नाम से भी जाना जाता है।

परंतु इस में भी एक बड़ा अपवाद यह है कि समान आकार और संरचना वाले दो अणु जिनकी गंध पूरी तरह से अलग है, उनकी पहचान कैसे होती है? इसके बाद एक नये शोध से पता चला कि गंध के कणों और उनकी ग्राही कोशिकाओं के बीच परस्पर प्रतिक्रिया एक भौतिक प्रक्रिया पर आधारित होती है, जोकि क्वांटम भौतिकी से संबंधित है। हाल के सिद्धांत के अनुसार गंध के अणु की परमाणु संरचना के कंपन द्वारा ग्राही कोशिकाओं में प्रतिक्रिया होती है और प्रतिक्रिया जानकारी गंध संबंधी प्रणाली के माध्यम से पहचानी जाती है। लेकिन यह सिद्धांत भी यह बताता है कि कैसे हम गंध अणुओं के साथ रासायनिक रूप प्रतिक्रिया करते हैं।

प्रश्न अभी भी वहीं का वहीं है कि कैसे हमें कोई भी गंध अच्छी या बुरी लगती है। यह कुछ हद तक पसंद और नापसंद करने के पीछे मानसिक प्रभाव पर भी निर्भर होता है, उदाहरण के लिए, हममें से कई लोगों को पेट्रोल की गंध बहुत पसंद होती है, वहीं दूसरे व्यक्ति को इसके विपरीत अनुभव होता अर्थात उसे ये गंध पसंद नहीं आती। शोधकर्ताओं का कहना है कि विभिन्न गंध को पहचाने और महसूस करने के लिये हमारे मस्तिष्क में अलग-अलग प्रक्रियाएं होती है। तो यह कहना उचित होगा कि सुगंध की पहचान हमारी स्मृति, पंसद और नापंसद पर निर्भर होती है। ऐसा कोई जरूरी नहीं होता है की जो गंध आपको सुगंध लगे वो दूसरे को भी अच्छी लगे, हो सकता है उसे वह बिल्कुल भी पसंद ना हो।

संदर्भ:
1.https://science.howstuffworks.com/environmental/green-science/pollution-sniffer1.htm
2.https://www.quora.com/How-does-our-brain-distinguish-between-good-and-bad-smells

RECENT POST

  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM


  • मेरठ क्षेत्र में किसानों की सेवा करती हैं, ऊपरी गंगा व पूर्वी यमुना नहरें
    नदियाँ

     18-12-2024 09:26 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id