तम्बाकू खाना सेहत के लिए हानिकारक होता है, ये तो हम सभी जानते हैं, इसका सेवन किसी भी रूप में किया जाए वो सेहत केलिए नुकसानदायक ही होता है। तम्बाकू का ऐसा ही एक रूप है गुटखा जिसे कत्था और सुपारी को मिलाकर तैयार किया जाता है। गली की हर छोटी से छोटी दुकान पर अलग अलग स्वाद और रंग बिरंगे पाउच (Pouch) में मिलने वाले गुटखे को शौक के रूप में खाने वाले लोगों को कब इसकी लत लग जाती है उन्हे पता भी नही चलता है। परंतु क्या आप जानते हैं तम्बाकू का ये रूप आपको मौत के मुँह तक ले जाता है। गुटखा खाने के हानिकारक प्रभाव न केवल दांतों पर बल्कि शरीर के कई भागों पर भी पड़ता है। तो चलिए, आज आपको बताते है गुटखा खाने से सेहत को होने वाले नुकसानों के बारे में-
कैंसरजन्य प्रभाव (Carcinogenic Effects):
गुटखे का लगातार सेवन करने वाले लोगों के मुंह के भीतर ओरल सबम्यूकोअस फाइब्रोसिस (oral submucous fibrosis) बनने लगते है और मुँह में कैंसर की कोशिकाएं विकसित होने लगती है जिसके बाद मुँह का खुलना धीरे धीरे बंद होने लगता है तथा मुँह में पूरी तरह फैल चुका ये कैंसर बहुत बार जानलेवा भी साबित होता है।
इसके नियमित उपयोग से अन्य मुंह के कैंसर के साथ-साथ यकृत (Liver), गर्भाशय (uterus), पेट और फेफड़ों के कैंसर का भी जोखिम बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त दिल की धड़कन में तेजी, कम रक्तचाप और अस्थमा आदि समस्याएं भी शामिल है।
क्या आप जानने है तंबाकू के अन्य रूपों की तुलना में गुटखा सबसे अधिक हानिकारक होता है। गुटखा में कत्था और सुपारी के अतिरिक्त 4,000 रसायनों का संयोजन होता है, जिसमें से कम से कम 40 तो कैंसरजन्य यौगिक ही हैं। इसमें आर्सेनिक, बेंजोपाइरिंस, क्लोरीन और अमोनियम यौगिकों के साथ-साथ मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन भी शामिल होते हैं।
श्वास प्रतिक्रिया (Breathing Reaction):
एनआईएच के अनुसार, कुछ लोग गुटका का उपयोग करने के बाद सांस लेने की समस्याओं का अनुभव करते हैं। कुछ लोगों को घरघराहट और सांस लेने की दर में बढ़ोत्तरी का अनुभव होता है।
शारीरिक प्रतिक्रियाएं (Body Reactions):
बीटल पत्तियों में मौजूद रसायन आपकी त्वचा के रंग में परिवर्तन कर सकते हैं। गुटखा ऐसी परिस्थितियों का कारण बन सकता है जहां आपको मांसपेशी कठोरता, कंपकंपी, शरीर के कुछ हिस्सों को स्थानांतरित करने में कठिनाई, और अनैच्छिक मुंह या चेहरे की गति का अनुभव होता है।
विषाक्तता (Toxicity):
एनआईएच के अनुसार, कुछ लोगों को गुटका उपयोग से विषाक्तता के लक्षणों का अनुभव होता है। इनमें लार उत्पादन में वृद्धि, पसीना आना, असंतोष, बुखार, आंखों की समस्या, भ्रम, उदासीन महसूस करना, स्मृति विलंब आदि समस्याएं शामिल हो सकती हैं। गुटखा और पान मसाला में निकोटीन (nicotine) होता है जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
उपारोक्त समस्याओं के आलावा गुटखे के लगातार सेवन से मतली, पेट की ऐंठन, निम्न रक्तचाप दिल की धड़कन का बढ़ना, मसूड़ों को नुकसान, मुंह सूखने का अनुभव करना, कृत विषाक्तता, टाइप 2 मधुमेह के विकास का जोखिम आदि समस्याएं भी शामिल है। इस सभी समस्याओं के चलते भारत के कई राज्यों ने गुटका और उसकी सभी प्रकार की बिक्री, निर्माण, वितरण और भंडारण पर प्रतिबंध लगा दिया है। मई 2013 तक, भारत के 24 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में गुटका पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। असम भारत का पहला राज्य है जिसने धुएं रहित तंबाकू पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद अन्य राज्यों नें भी धुएं रहित तंबाकू पर प्रतिबंध लगा दिया। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, गोवा, तेलंगाना जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम, महाराष्ट्र, केरल, हिमाचल प्रदेश आदि शामिल है।
केंद्र ने पूरे भारत में तंबाकू और निकोटीन युक्त खाद्य उत्पादों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें गुटका, पान मसाला, ज़रदा और तम्बाकू आधारित मुंह फ्रेशर्स शामिल हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय नें सारे राज्यों को इन खाद्य उत्पादों के उत्पादन, प्रचार और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए सख्त आदेश जारी कर दिए हैं। यह कदम 23 सितंबर, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश (चबाने वाले तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध) के बाद शुरू किया गया। बिहार, कर्नाटक, मिजोरम, केरल और मध्य प्रदेश नें सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने के लिए आदेश दिया गया है।
संघीय खाद्य सुरक्षा और विनियमन (निषेध) अधिनियम 2011 के तहत गुटखे को एक वर्ष तक प्रतिबंधित किया भी गया था। यह प्रतिबंध राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन, और स्थानीय पुलिस द्वारा लागू किया जाना था। किंतु कानून का प्रवर्तन आम तौर पर ढीला पड़ जाता है और गुटका की अवैध बिक्री फिर से होने लगती है। हालांकि इसकी अवैध बिक्री पर जेल की सजा या जुर्माना भी लगाया गया है।
आज प्रतिबंध के बावजूद भी कई राज्यों में ये गुटका, पान मसाला, ज़ारदा आदि जैसे धुएं रहित तम्बाकू खुले आम बिक रहे हैं। लोग इसके आदी हो चुके है, उनके लिये इसका त्याग करना मुश्किल होता जा रहा है। परंतु वे चाहे तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Gutka
2.https://www.quora.com/Is-tobacco-banned-in-any-state-of-India
3.https://www.thehindu.com/news/national/karnataka/gutka-more-harmful-than-other-forms-of-tobacco/article4769653.ece
4.https://www.livestrong.com/article/112423-side-effects-gutkha/
5.https://www.dnaindia.com/health/report-centre-issues-order-for-complete-india-ban-on-tobacco-laced-gutka-paan-masala-2281135
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