रज़ा लाइब्रेरी में मौजूद लखनऊ के ला मार्टिनियर से मिलती जुलती कला

मेरठ

 04-12-2018 01:19 PM
घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

भारत में सांस्कृतिक पारंपरिक और धार्मिक विविधता के साथ-साथ कला एवं कलाकारों में विविधता देखने को मिलती है। आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसी ही एक कला के विचित्र स्वरूप की, जिसे जोसाइयः वेजवुड द्वारा तैयार किया गया तथा इसके कुछ नमूने आज भी भारत में संरक्षित हैं।

जोसाइयः वेजवुड ने 1795 में इंग्लैंड के बर्सलेम, स्टैफोर्डशायर में एक स्वतंत्र कुम्हार के रूप में अपना व्यवसाय शुरू किया और चिकनी मिट्टी का उपयोग कर उन्होंने कई परीक्षण किए, जिसमें उन्हें काफी कामयाबी भी मिली थी। अपने संपूर्ण जीवनकाल के दौरान उन्होंने कई वस्तुओं में चीनी मिट्टी से कला की, जिनमें से कुछ आज भी प्रसिद्ध हैं- क्वीन्स वेयर (Queen’s ware) (1762), ब्लैक बसाल्ट (Black Basalt) (1768) और जैस्पर (Jasper) (1774) आदि। वेजवुड का प्रसिद्ध जैस्परवेयर (Jasperware), एक मिट्टी का पात्र है, जिसका उपयोग विभिन्न विषयों में कला के लिए किया जाता है। 1770 में वेजवुड द्वारा जैस्परवेयर को विकसित किया गया, जिसे उन्होंने मैट फिनिश (Matte Finish) और विभिन्न रंगों में उत्पादित किया, जिसमें सबसे प्रसिद्ध एक तरह का नीला रंग, जिसे वेजवुड ब्लू (Wedgweood Blue) के नाम से भी जाना जाता है, हुआ।

भारत में वेजवुड के दो प्रसिद्ध नीले और सफेद जैस्परवेयर की कला लखनऊ और रामपुर में भी मौजूद है। एक तो लखनऊ के ला मार्टिनियर की चौथी मंजिल पर और दूसरा रामपुर के रज़ा पुस्तकालय की पहली मंजिल पर मौजूद है। लखनऊ के ला मार्टिनियर में म्यूज़ेज़ बावर (Muses’ bower) नाम के कमरे की छत को वेजवुड के कलाकारों द्वारा डिज़ाइन (Design) की गयी उभरी हुई नक्काशी से सजाया गया था। यहां पर जॉन फ्लेक्समैन (जॉन फ्लेक्समैन को वेजवुड ने अपनी कंपनी के लिए नियोजित किया था) द्वारा डिज़ाइन की जाने वाली नौ म्यूज़ेज़ और अपोलो का एक समूह सबसे लोकप्रिय छवियों में से एक है। वर्तमान में म्यूज़ेज़ बावर और उसके उपकक्ष ला मार्टिनियर कॉलेज के वरिष्ठ विद्वानों के लिए निजी अध्ययन कक्ष के रूप में उपयोग किये जाते हैं।

अब हम आपको बताते हैं कि ये नौ म्यूज़ेज़ क्या हैं? ग्रीक पौराणिक कथाओं के अनुसार नौ म्यूज़ेज़ प्रेरणा, कला, विज्ञान और अन्य सभी रचनात्मक कार्यों की देवियाँ हैं। और ऐसा माना जाता है कि इन नौ म्यूज़ेज़ में से किसी एक की सहायता और प्रेरणा के बिना कोई भी कार्य सफल नहीं हो सकता है। सभी म्यूज़ेज़ देवताओं के राजा ज़ीउस (Zeus) और स्मृति की देवी म्नेमोसाइन (Mnemosyne) की बेटियां थीं। इन नौ म्यूज़ेज़ के नाम और उनकी भूमिकाएं निम्न हैं:

1. कैलीओप (Calliope)-
कैलीओप महाकाव्य और गीति काव्य की देवी। चित्रण में कैलीओप को युवा और सुंदर, सर पर सोने के ताज और हाथ पर लेखन पुस्तक या होमर के ओडिसी ग्रंथ के साथ दर्शाया गया है।

2. क्लियो (Clio)-
क्लियो इतिहास की देवी। क्लियो को अक्सर बैंगनी वस्त्र पहने हुए और एक हाथ में ध्वजवाहक और दूसरे में उनकी इतिहास की पुस्तक पकड़े हुए दर्शाया गया है।

3. यूटरपे (Euterpe)-
यूटरपे, जिसे ‘खुशी की दाता’ भी कहा जाता है, संगीत की देवी। यूटरपे के सर पर लॉरेल-ताज, और हाथ पर अक्सर बांसुरी बजाते हुए या पकड़े हुए दर्शाया गया है।

4. इरेटो (Erato)-
इरेटो गीति काव्य की देवी। इरेटो अक्सर हिना और गुलाब के पुष्प की माला पहने हुए दिखायी जाती हैं। और कभी-कभी हाथ में वीणा या बाण पकड़े हुए दर्शायी जाती है।

5. मेलपोमीन (Melpomene)-
मेलपोमीन त्रासदी की देवी। इन्हें आमतौर पर एक हाथ में त्रासिक अभिनेता का मुखौटा पकड़े हुए और दूसरे में चाकू या गदा पकड़े हुए दर्शाया जाता है।

6. पॉलीहिमिया (Polyhymnia)-
पॉलीहिमिया पवित्र भजन, ज्यामिति और कृषि की देवी। पॉलीहिमिया अक्सर अपने मुंह को एक उंगली के सहारे पकड़े हुए दर्शायी जाती है।

7. टर्पसीकोरी (Terpsichore)-
टर्पसीकोरी नृत्य की देवी। आश्चर्यजनक बात यहा है कि इन्हें अक्सर बैठे हुए दिखाया जाता है, शायद नृत्य के बाद विश्राम की अवस्था में दर्शाया जाता है।

8. थालिया (Thalia)-
थालिया हास्य और ग्रामीण कविता की देवी। इनके हाथों में हास्य मुखौटा देखने को मिलता है।

9. उरानिया (Urania)-
उरानिया नक्षत्र-विद्या की देवी। उरानिया के हाथों में ग्लोब (Globe) और कभी-कभी दिशा सूचक यंत्र या एक लकड़ी पकड़े हुए देखने को मिलता है।

वहीं अंसर-उद-दीन दो दशकों से लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों का नवीकरण करते आ रहे हैं। इतने सालों बाद लखनऊ के ला मार्टिनियर कॉलेज में कॉन्स्टेंटिया पैलेस का नवीकरण करने पर इन्होंने फ्रांसीसी विरासत को संरक्षित करने के लिए फ्रेंच सरकार से पुरस्कार भी जीता।

संदर्भ:
1.https://www.tornosindia.com/muses-in-la-martinieres-constantia-a-work-of-wedgwoods-neoclassical-art/
2.https://row.wedgwood.com/history
3.https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/French-honour-for-restoring-Constantia-Palace-in-Lucknow/articleshow/51591746.cms
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Jasperware

RECENT POST

  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id