औपनिवेशिक काल के दौरान भारत के विभिन्न हिस्सों में कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण किया गया था। एक आकर्षक इतिहास को समेटे हुए मेरठ का ‘सेंट जॉन द बैपटिस्ट’ (St. John the Baptist), या ‘सेंट जॉन्स चर्च’ (St. John’s Church) का निर्माण 1819 से 1821 तक ब्रिटिशों द्वारा कराया गया था।
19वीं सदी के आरंभ में इस चर्च का निर्माण ब्रिटिश सेना के पादरी रेवरेंड हेनरी फिशर द्वारा मेरठ में पदस्थ ब्रिटिश सिपाहियों और अधिकारियों की अध्यात्मिक और धार्मिक ज़रूरतों को ध्यान में रख कर किया गया था। यह चर्च आकर्षक लॉन (Lawn), पेड़ों और हरियाली से घिरा हुआ है, साथ ही हमें इसमें विशिष्ट अंग्रेजी शैली का अनुरुप देखने को मिलता है, और इसे पल्लाडियन (Palladian) या शास्त्रीय शैली पर बनाया गया है, जो यहां प्रार्थना करने के लिए खुला स्थान प्रदान करता है।
इसके समीप ही सेंट जॉन चर्च समाधि भी स्थित है, जहां कई अंग्रेजों की समाधियां देखने को मिलती हैं। यहां पर स्थित कुछ समाधियां कई वर्षों पुरानी हैं, जिनके शीर्ष पर उत्कीर्णित पत्थर, नक्काशीदार स्तंभ और किनारों पर पुरावस्तु की संरचना देखने को मिलती है। यहाँ मौजूद सबसे पुरानी कब्र वर्ष 1810 की है। यहां पर 1857 से पहले की समाधियां भी देखने को मिलती हैं, जिनमें से एक है 31 अक्टूबर 1814 में खलांगा के युद्ध में मारे गए जनरल ह्यूग रॉबर्ट रोलो गिलेस्पी की समाधि।
1857 के विद्रोह में मारे गए 9 लोगों की कब्रें यहाँ मौजूद हैं। अन्य समाधियों में से कुछ हैं 17 जून 1869 में 23 साल की उम्र में मृत्यु को प्राप्त हुई रॉबर्ट फार्नन की पत्नी इसाबेला हेनरीएटा की समाधि और कप्तान आर.डब्ल्यू. चैम्बर्स की पत्नी शार्लोट चैम्बर्स की समाधि, जिनकी 23 साल की उम्र में 10 मई 1857 को हत्या कर दी गई थी। वर्तमान में इस समाधि-क्षेत्र में कई समाधियां मौसम की वजह से काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, और कई क्षेत्रों में झाड़ियां भी उग आई हैं। वहीं 1857 के विद्रोह के दौरान ब्रिटिश नागरिकों और सैनिकों की समाधियों की देख-रेख की ज़िम्मेदारी रॉबर्ट रॉबिन्सन को सौंपी गई थी।
मेरठ का सबसे पुराना अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालय सेंट जॉन स्कूल है, इसकी स्थापना 1882 में की गयी थी। इसे 1830 में सैन्य दल के बच्चों के लिए नि:शुल्क शुरू किया गया और 1874 तक सरकारी अनुदान पर चलाया गया। 1874 से 1881 तक स्थानीय लोगों के लिए मेरठ में कोई विद्यालय ना होने के कारण स्थानीय स्तर पर विद्यालयी शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु इसकी दो शाखाएं और खोली गईं। 1881 में सोल्जर्स चैपल (Soldier’s Chapel) द्वारा लड़कियों के लिए उच्चतर विद्यालय और वहीं 1882 में लड़को के लिए उच्चतर और निम्नतर विद्यालय खोला गया। यह विद्यालय उनके लिए खोला गया जो महंगे विद्यालय में अपने बच्चों को नहीं भेज सकते थे।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/St._John%27s_Church,_Meerut
2.http://specials.rediff.com/news/2007/may/09slide1.htm
3.https://valmayyoung.wordpress.com/2018/08/11/st-johns-cemetery-meerut/
4.http://meerutup.tripod.com/p1-1.htm
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.