मेरठ क्षेत्र की मछली प्रजातियों में विविधता की कमी से प्रकृति को हानि

मेरठ

 01-12-2018 05:45 PM
मछलियाँ व उभयचर

ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में मानव प्रकृति के अधिक समीप था। लेकिन औद्योगीकरण की प्रक्रिया आरम्भ होने के बाद स्थिति में कई तरह के बदलाव आए। बड़े एवं भारी उद्योगों की स्थापना के साथ ही प्रकृति को काफी नुकसान पहुंचाया गया है। ऐसा ही भारी नुकसान मेरठ की मछलियों को पहुंच रहा है।

भारत में मत्स्य पालन बहुत व्यापक रूप से विकसित है। मेरठ के आर.जी.पी.जी. कॉलेज की श्रीमती मनु वर्मा और श्रीमती सीमा जैन और चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी की श्रीमती शोभना और श्री ह्रदय शंकर सिंह के एक पेपर 'लोस ऑफ़ डाइवरसिफिकेशन ऑफ़ फिश स्पीशीज़ इन मेरठ रीजन: अ थ्रेट टू नेचुरल फौना' (Loss of Diversification of fish species in Meerut region: A Threat to natural fauna) को गहनता से समझने पर पता चलता है कि भारत में मछलियों की आबादी 11.72% प्रजातियों, 23.9 6% जेनेरा (Genera), 57% फैमली (Family) और 80% वैश्विक मछलियों का प्रतिनिधित्व करती है। अब तक सूचीबद्ध 2200 प्रजातियों में से 73 (3.32%) ठंडे ताजे पानी वाले इलाके, 544 (24.73%) गर्म ताजे पानी वाले इलाके, 143 (6.50%) खारे पानी और 1440 (65.45%) समुद्री पारिस्थितिक तंत्र से संबंधित हैं। लेकिन मत्स्य पालन जलीय बीमारियों और परजीवियों के बुलावे, स्थानांतरण और फैलाव में रोगवाहक का कार्य करता है। वहीं प्रजातियों में हो रहे रोग संचरण और परजीवी उपद्रव के उच्च जोखिम में वृद्धि के कारण कृषि प्रबंधकों को उद्योगों को विकसित करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। विविधता और मत्स्य पालन व्यवसाय में नुकसान के तीन प्रमुख कारण हैं:- परजीवी संक्रमण; जीवाणु, वायरल, फंगल और प्रोटोजोआ की बिमारियां; और विदेशी प्रजातियों का परिचय।

जैसा कि हम सब जानते हैं कि मछली में अधिक मात्रा में प्रोटीन (Protein) पाया जाता है, इसके अलावा इसमें उपलब्ध पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (Polyunsaturated Fatty Acid) भी स्वास्थ्य के लिए एक अच्छा स्रोत है। लेकिन मछली के स्वास्थ्य की स्थिति उसकी अनुवांशिक संरचना, पूर्व और वर्तमान के पर्यावरण की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। मछलियों के लिए तनावपूर्ण पर्यावरणीय कारक वास्तव में रोगजनक जीवों के लिए सर्वोत्तम वातावरण प्रदान करते हैं और इसके परिणामस्वरूप उनके विषैलेपन में वृद्धि करते हैं। विदेशी प्रजातियों द्वारा लाए गए रोगजनक जीवों के देशी प्रजातियों में फैल जाने से भी बिमारियों का फैलाव बढ़ जाता है, जो एक गंभीर समस्या का कारण बन जाता है।

रोगजनक जीव प्रकृति में बेहद प्रचुर मात्रा और विविधता में फैले हुए हैं। पृथ्वी में रह रहीं 50% प्रजातियां किसी ना किसी प्रकार के रोगजनक जीव (वायरस, जीवाणुओं और यूकेरियोटिक/Eukaryotic प्रजातियां) हैं। जिनमें केवल मनुष्यों को ही नहीं बल्कि पशुओं, फसलों और वन्यजीवन को बीमारियों से प्रभावित करने वाले एजेंट (Agent) भी शामिल हैं।

मेरठ में पायी जाने वाली कुछ मछलियां, उनकी फैमली और बीमारियों के प्रकार की एक सूची :-

मेरठ में कई मछलियां पायी जाती हैं लेकिन उपरोक्त कारण या किसी अन्य कारण से आज मानव जाति के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण कई मछलियों की प्रजातियां विलुप्त होने की सूची में है। निम्न सूची में आप मेरठ में दुर्लभ रूप से पायी जाने वाली मछलियों की प्रजातियों के बारे में जान सकते हैं:

गहन मत्स्य पालन में मछलियों के रोगों के उपचार के बारे में ना सोचकर निवारण के बारे में सोचा जा रहा है। मछलियों में रोगोपचार तीन तरीकों से किया जा सकता है, बाहरी उपचार, सिस्टमिक (Systemic) उपचार और पेरेन्टरल (Parenteral) उपचार। भारत ताजे पानी के विभिन्न प्रजातियों से भरे देशों में से एक है। जब यहां कई प्रजातियां उपलब्ध हैं, तो विदेश की प्रजातियों को मंगाने की आवश्यकता नहीं है। साथ ही अत्यधिक जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर उन पर निगरानी रखें और संरक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करें। और जहां पर विलुप्त होने वाली प्रजातियां हैं, उन्हें अभयारण्य या जलीय विविधता प्रबंधन क्षेत्रों के रूप में घोषित किया जाना चाहिए।

संदर्भ:
1.https://www.academia.edu/23166742/Loss_of_Diversification_of_fish_species_in_Meerut_region_A_Threat_to_natural_fauna

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id