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यह बात जान कर आपको आश्चर्य होगा किइस्लाम एक ऐसा धर्म है जहां शिक्षण में शहरी व्यवस्था को बनाये रखने पर भीध्यान दिया जाता है।कई विद्वानों द्वारा इस्लाम को शहरी धर्म के रूप में देखा जाता है, जो व्यक्तिगत पूजा कीबजायसांप्रदायिक कार्यक्रमों का पक्ष लेता है।इस्लाम में शहर के रूप और डिज़ाइन (Design) पर विशेष ज़ोर दिया जाता है,ताकि समुदाय की सामाजिक,आर्थिक और सांस्कृतिक जरूरतों को अधिक कार्यक्षमता और प्रतिक्रियात्मकता के साथ पूरा किया जा सके। आज हम इसी विषय पर लिखे गए दो शोध पेपर (श्री नोमान खान और डॉ. रुबह सऊद द्वारा) का अध्ययन कर इसे अच्छे से समझेंगे।
क्या आपको पता है इस्लामी शहर के घरों के आंगन, छत,सड़कें और यहां तक कि उद्यानों को भी इस प्रकार बानाया जाता है कि वे प्राकृतिक परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हों। इस्लाम धर्म में शहरीकरण का यह सबसे पहला सिद्धांत है, जिसमें प्राकृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रख कर शहर को डिज़ाइन किया जाता है। इन शहरों में अक्सर मस्जिद को केंद्र में स्थापित किया जाता है, यहां तक कि सड़कों और गलियों को भी इस प्रकार बनाया गया है की निजी जीवन में सार्वजनिक क्रियाओं का खलल ना पड़ सके और सारे स्थान आसानी से एक दूसरे से जुड़े रहें तथा सुरक्षा के लिहाज से शहरों को दीवार से घेरा जाता है। ये दीवार विभिन्न दरवाज़ों के साथ शहर को चारों ओर से घेरे हुए रहती है।यहशहर समाजिक संगठन समूह, जातीय मूल और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को साझा करने वाले सामाजिक समूहों पर आधारित है। इसलिए इन सामाजिक ज़रूरतों को पूरा करते हुए शहर का विकास किया गया था। शहरों में मुख्य मस्जिद के बाहर स्थित सूक (बाज़ार) में आर्थिक गतिविधियां होती हैं।
भारत में इस्लाम धर्म का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में हुआ था और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में मुस्लिम संस्कृतियों का प्रभावदेखने को मिला है। यदि हम बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी के शहर रामपुर की ही बात करेंतो आपको इस शहर की बनावट में इस्लामी अवधारणासाफ-साफ नज़र आ जाएगी।इसकी स्थापना नवाब फैज़ुल्लाह खान ने की थी। उन्होंने 1774-1794 तक यहाँ शासन किया।उन्होंनेअपने शासन मेंराज्य में शिक्षा के मानकों को बढ़ाने के लिए बहुत से कार्य किये।यदि आप रामपुर की बनावट पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि इस शहर की बनावट भी काफी हद तक इस्लामी शहरों से मिलती है:
हर इस्लामिक शहर की तरह रामपुर में भी जामा मस्जिद केंद्र में स्थित है, ये मुख्य मस्जिद शहर केकेंद्र में स्थित मानी जाती है और ये चारों ओर से बाज़ार से घिरी हुई है। यदि यह मस्जिद शहर के भौगोलिक केंद्र में न भी हो तो यह ज़रूर शहर के सांस्कृतिक केंद्र में स्थित होती है।
सभी बाज़ार मुख्य मस्जिद से बाहर की ओरस्थितहैं, और यदिमुख्य बाज़ारकी बात करें तो यह जामा मस्जिद और महल परिसर की आसपास की सड़कों परस्थित हैं।
रामपुर में ज्यादातर ऐतिहासिक इमारतें और किले आपको मुख्य मस्जिद के पास स्थित मिल जाएंगे।यदि आप रामपुर का किला देखंगे तो पाएंगे कि ये जामा मस्जिद के नज़दीक है और चारों ओर से दीवारों से घिरा हुआ है जिसमें शाही महल, कार्यालय, अदालतें, ऊंची इमारतें, इमामबाड़ा आदि स्थित हैं।
रामपुर में सड़कों का जाल हर कहीं फैला हुआ है, इन सड़कों का निर्माण व्यक्तिगत संबंधों, आम हितों और नैतिक एकता को मज़बूत करने के लिए किया गया था। ये सड़केंआवासीय क्षेत्रों में संकीर्ण और सार्वजनिक स्थानों में बड़ी होती हैं।
अन्य इस्लामी शहरों की भाँती रामपुर भी चारों ओर से दीवार से घिरा हुआ है जिसमें प्रवेश करने के लिए शहर के कुछ द्वार मौजूद हैं, जैसे- हज़रतपुर गेट,बिलासपुर गेट,पहाड़ी गेट,बरेली गेट,शाहबाद गेट,नवाब गेट, आदि।
संदर्भ:
1.http://www.muslimheritage.com/article/introduction-islamic-city
2.https://www.academia.edu/5785534/RAMPUR_CITY_Its_Islamic_Concept
3.https://goo.gl/mEuzRx
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Rampur,_Uttar_Pradesh