क्या आप जानते हैं कि भारत में डॉक्टरों द्वारा रोगियों के भीतर प्रविष्ट किये जाने वाले कई चिकित्सीय उपकरण विदेशों से आयात किये जाते हैं जोकि उनके अपने देशों में प्रतिबंधित होते हैं? आपको जान कर हैरानी होगी कि भारत विश्व के चिकित्सीय उपकरणों के सबसे बड़े बाजारों में से एक है, और इस कारोबार में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। परंतु भारत चिकित्सीय उपकरण उद्योग में मुख्य रूप से आयात पर निर्भर है। आज भी भारत चिकित्सीय उपकरण क्षेत्र में हाईटेक (High Tech) उत्पाद और प्रौद्योगिकी के लिए अन्य देशों पर निर्भर है। सरकार को घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता घटाने के लिए भारत में प्रौद्योगिकी विकसित करने की आवश्यकता है।
चिकित्सीय उपकरण के उद्योग में बढ़ोतरी के साथ-साथ, विनियमन में कमी, दोषपूर्ण उपकरण की बिक्री और भ्रष्टाचार भी बढ़ा है, जिसके चलते इंटरनेशनल कॉन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आई.सी.आई.जे.-International Consortium of Investigative Journalists) तथा 36 देशों में 58 समाचार संगठनों के 250 से अधिक पत्रकारों और डेटा (Data) विशेषज्ञों की एक टीम ने चिकित्सा उपकरण उद्योग के विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए सैकड़ों मामलों की जांच की। इस जांच में उन्होंने 1,500 से अधिक सार्वजनिक आंकड़े और 80,00,000 से अधिक उपकरणों से संबंधित आंकड़े एकत्र किए।
इस जांच में तीन मुख्य मुद्दों को छेड़ा गया:
1. पहला ये कि, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के दर्जनों देशों में सरकारें चिकित्सीय उपकरणों का विनियमन नहीं करती हैं अर्थात इन देशों की सरकारों द्वारा चिकित्सीय उपकरणों की जांच के लिये कोई विशेष प्रकार के नियम नहीं बनाये गये हैं। बिना जांच के ही इन उपकरणों को हमारे देश में आयात कर दिया जाता है। स्वयं जांच किये बिना इस मामले में यूरोपीय प्राधिकारियां और यू.एस. फ़ूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US Food and Drug Administration; FDA या USFDA) पर विश्वास कर लिया जाता है।
2. दूसरा ये कि, डॉक्टरों द्वारा उपकरणों के सुरक्षित होने के आश्वासन देने के बावजूद अधिक मात्र में उपकरण स्थापित करने के बाद उनमें खराबी सामने आयीं। जांच के मुताबिक खराब उपकरण के कारण पिछले दशक में 17,00,000 घायल हो गए थे और करीब 83,000 मौत हो गई थीं।
3. तीसरा ये कि, कई बार डॉक्टर और निर्माता इन घटनाओं की जानकारी देने में विफल रहते हैं और जब जानकारी दी जाती है तो कई बार वह असत्यापित तथा अपूर्ण जानकारी हो सकती है।
मेक इन इंडिया वेबसाइट (Make in India Website) के अनुसार भारत में कुल मिला कर स्वास्थ्य में 96.7 अरब डॉलर का उद्योग होता है जिसमें चिकित्सीय उपकरण के बाजार का आकार 5.2 अरब अमरीकी डॉलर का है जोकि माना जाता है 2025 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। वर्तमान में, जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद एशिया में चौथा सबसे बड़ा चिकित्सीय उपकरण बाज़ार भारत में है। भारत में चिकित्सीय उपकरण पर नियंत्रण केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सी.डी.एस.सी.ओ.) द्वारा रखा जाता है। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन, भारतीय औषधि और चिकित्सीय उपकरणों के लिए राष्ट्रीय नियामक निकाय है। ये उन सभी उपकरणों का विनियमन करता है जिनका उपयोग ‘नैदानिक या चिकित्सकीय उद्देश्यों’ में किया जाता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि भारत में चिकित्सीय उपकरणों को नियंत्रित करने वाले नियम कौन से हैं?
भारत में, औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और 1 जनवरी, 2018 को पारित चिकित्सीय उपकरण नियम, 2017 के माध्यम से चिकित्सा उपकरणों को ‘ड्रग्स’ (Drugs) के रूप में विनियमित किया जाता है। नए नियम ग्लोबल हार्मोनाइजेश्न टास्क फ़ोर्स (Global Harmonisation Task Force) के अनुरूप जोखिम के आधार पर चिकित्सा उपकरणों को चार वर्गों में वर्गीकृत किया गया है: वर्ग A (कम जोखिम), वर्ग B (मध्यम जोखिम), वर्ग C (मध्यम उच्च जोखिम) और वर्ग D (उच्च जोखिम)। इन उपकरणों की कीमतों पर निगरानी राष्ट्रीय फ़र्मास्युटिकल मूल्यनिर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority of India; NNPA) द्वारा रखी जाती है। नवीनतम डी.पी.सी.ओ. (औषध मूल्य-नियंत्रण आदेश- Drug price control order) 2013 में जारी किया गया था जिसमें दवाओं के साथ-साथ कार्डियक स्टेंट (Cardiac stents), ड्रग-इल्युटिंग स्टेंट (Drug-eluting stents), कंडोम, अंतर्गर्भाशयी उपकरण आदि की कीमत तय कर दी गई थी। गैर-अनुसूचित श्रेणी के तहत आने वाले अन्य चिकित्सा उपकरणों की अधिकतम खुदरा कीमतों पर भी निगरानी एन.पी.पी.ए. द्वारा रखी जाती है।
कुछ सवाल जो एक मरीज़ को अपने शरीर में इम्प्लांट (Implant) लगवाने से पहले सर्जन से पूछने चाहिए:
1. क्या उस डॉक्टर के पास सर्जरी करने का एक अधिकृत लाइसेंस (License) है?
2. किस उपकरण को शरीर में लगाया जा रहा है तथा क्या वह उपकरण नियामक द्वारा व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए अनुमोदित है?
3. इम्प्लांट से जुड़े दीर्घकालिक और अल्पकालिक जोखिम क्या हैं?
4. यदि इम्प्लांट अपना काम ठीक से ना करे या उसमें कोई खराबी आ जाये, तो इसकी सूचना किसे दी जाएगी?
5. रोगी को डॉक्टर/अस्पताल से सभी दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के मांग करनी चाहिए – शरीर में लगाये गए उपकरण की मॉडल संख्या, सभी घटकों की बैच संख्या आदि।
भारत में इतने नियम और कानून तो है परंतु विडम्बना यह है कि बाहर से आयात चिकित्सक उपकरणों तथा इम्प्लांट की गुणवत्ता, नैदानिक परीक्षण, मूल्य निर्धारण या प्रदर्शन के लिए कोई निरीक्षण नहीं होता है और यहाँ पर वे आसानी से बिकने लगते हैं। कई कंपनियों के उपकरणों को विश्व स्तर पर उपयोग करने से मना कर दिया गया है, लेकिन भारत में इनका उपयोग अभी भी जारी है। आज भारत के बाजार में 35,000 करोड़ रुपये से अधिक के उपकरण उपलब्ध हैं, जिनमें से 70% उपकरण विदेशों से आयात किये गए हैं। समग्र रूप में यही कहा जा सकता है कि भारत में घरेलू चिकित्सा उपकरण उद्योग के आधार को सुदृ़ढ़ बनाने की आवश्यकता है ताकि रोगियों के हितों के संरक्षण के लिए विनियामक व्यवस्था को कारगर ढंग से लागू किया जा सके।
संदर्भ:
1.https://indianexpress.com/article/india/implantfiles-an-icij-express-investigation-why-implants-were-probed-5464032/
2.https://indianexpress.com/article/india/big-medical-device-bazaar-faulty-implants-basement-surgeries-lives-at-risk-5463991/
3.https://indianexpress.com/article/world/implant-files-new-database-tracks-faulty-medical-devices-across-the-globe-5464036/
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