मेरठ के समीप स्थित सहारनपुर में भारत का सबसे पहला वनस्पति उद्यान मौजूद है। इस महत्वपूर्ण स्थान को हमारे द्वारा भुला दिया गया है, तो आइए जानते हैं इसके ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) से जुड़े इतिहास के बारे में।
भारत के सबसे पुराने वनस्पति उद्यान की स्थापना लगभग 1750 में की गयी और 1817 में इसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अधिग्रहित कर इसका अधिकार जिले के सर्जन (District Surgeon) को सौंप दिया गया था। चीन से लाए गये कुछ चाय के पौधे पर शोध और भारतीय लोगों से उनका परिचय यहीं से कराया गया था। परंतु हम में से बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि हिमालय और असम में चाय के पौधे होने की संभावना कलकत्ता और सहारनपुर के उद्यानों के अधीक्षकों द्वारा ही जताई गयी थी। 1887 में जब भारत के वनस्पति सर्वेक्षण को देश के वनस्पति विज्ञान में सुधार के लिए स्थापित किया गया था, तो इस सर्वे में सहारनपुर को उत्तरी भारतीय वनस्पति के सर्वेक्षण के लिए केंद्र बनाया गया और इसे वनस्पतियों और जीवों के अध्ययन में उत्तम माना गया था। सहारनपुर के इस वनस्पति उद्यान को ऐतिहासिक रूप से भारत में विज्ञान और अर्थव्यवस्था में योगदान के लिए कलकत्ता के वनस्पति उद्यान के बाद द्वितीय स्थान पर माना गया है।
सहारनपुर के वनस्पति उद्यान में कई निदेशकों का योगदान रहा है, उदाहरण के लिए:
1823 में जॉन फोर्ब्स रोयल को सहारनपुर में वनस्पति उद्यान के अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। इनकी दिलचस्पी हिंदू चिकित्सकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक वनस्पति उपचार में थी। उन्होंने इन उपचारों की प्रभावशीलता पर ध्यान केंद्रित कर इनको समझने का प्रयास किया। 1831 में वे सेवानिवृत्त हो गए।
1832 में, जॉन रोयल के बाद ह्यू फाल्कनर सहारनपुर में वनस्पति उद्यान के अधीक्षक बने। 1842 के सहारनपुर के सफर में इन्हें शिवालिक पर्वत पर जीवाश्म स्तनधारियों के अध्ययन के लिए जाना जाने लगा।
रॉबर्ट किड द्वारा 1787 में कलकत्ता में वनस्पति उद्यान की स्थापना की गयी थी।
विलियम रोक्सबर्ग को कर्नल रॉबर्ट किड की मृत्यु के उपरांत कलकत्ता वनस्पति उद्यान में अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया। उनके नियुक्त होने के तुरंत बाद उन्होंने काफी तेज़ी से प्रगति की और कलकत्ता के पास शिवपुर में कंपनी उद्यान के अधीक्षक के रूप में 1793 में उन्हें नियुक्त किया गया।
कलकत्ता वनस्पति उद्यान को अब जे.सी. बोस वनस्पति उद्यान कहा जाता है। जे.सी. बोस मशहूर नगर योजनाकार पैट्रिक गेडेस के लिए एक प्रेरणा थे, और उनका भारत में दिलचस्पी रखने का यही कारण था। गेडेस ने जेसी बोस के जीवन पर एक जीवनी भी लिखी है, जिसे आप इस लिंक https://archive.org/details/lifeandworksirj00geddgoog से डाउनलोड कर सकते हैं।
वर्तमान में निजी संरक्षण के तहत सहारनपुर के वनस्पति उद्यान में कई प्रकार के पौधे और फूल हैं और इसके चारों ओर हरियाली देखने को मिलती है। साथ ही इसमें लगभग 173 पेड़, 59 झाड़ियों और 3 लताओं सहित 235 पौधों की प्रजातियां मौजूद हैं। इस उद्यान की प्रमुख प्रजातियां स्टरकुलिया अलाटा (Sterculia alata), स्वीटेनिया महोगनी (Swietenia mahogani), टेक्टोना ग्रांडिस (Tectona grandis), शोरिया रोबस्टा (Shorea robusta), बायशोफिया जवानिका (Bischofia javanica), अल्बिज़िया (Albizia sp.), फायकस (Ficus spp.), अकेशिया (Acacia sp.), आदि हैं।
वाणिज्यिक, प्रयोगात्मक और सजावटी शोषण के लिए पिछली कुछ शताब्दियों के दौरान कई विदेशी पौधों की प्रजातियों को यहाँ स्थापित किया गया था। 1796 में प्रायोगिक उद्देश्यों के लिए स्वीटेनिया महोगनी (Swietenia mahogani) को भारत लाया गया। आज भी अन्य पौधों के साथ इस पौधे को इस उद्यान में देखा जा सकता है, जिन्हें उचित संरक्षण और सुरक्षा की अवश्यकता है। थूजा (Thuja sp), जूनिपेरस (Juniperus sp.), साइकस (Cycas spp), अगाथिस (Agathis sp.) आदि इस उद्यान में अनावृतबीजी के प्रतिनिधिक हैं।
ऊपर दिए गए चित्रों में आप 1839 के इस वनस्पति उद्यान और वर्तमान के इस वनस्पति उद्यान का नक्शा देख सकते हैं। इनमें विभिन्न मतभेदों के साथ आप ये देख सकते हैं कि पूर्व के नक्शे में एक ‘लिननियन बाग’ (जो पौधों के प्रकार के वर्गीकरण को दिखाता है) दिखाया गया है, जो वर्तमान में नहीं है।
संदर्भ:
1.http://www.isca.in/IJBS/Archive/v4/i6/3.ISCA-IRJBS-2015-052.pdf
2.https://commons.wikimedia.org/wiki/File:SaharanpurBotanicalGarden.jpg
3.https://en.wikipedia.org/wiki/John_Forbes_Royle
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Hugh_Falconer
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Robert_Kyd
6.https://en.wikipedia.org/wiki/William_Roxburgh
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