जातिप्रथा, सतिप्रथा, अशिक्षा आदि के विरुद्ध खड़ा रामकृष्ण मिशन

मेरठ

 19-11-2018 12:07 PM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

भारतीय संस्‍कृति विश्‍व के लिए एक आदर्श रही है। किंतु इसने अपने इस सफर में अनेक उतार चढ़ाव देखे हैं। औपनिवेशिक काल के दौरान भारत में ब्रिटिशों के आगमन के साथ ही पाश्‍चात्‍य सभ्‍यता का भी प्रवेश हुआ तथा यह अत्‍यंत तीव्रता से भारत में फैली। साथ ही भारत में विभिन्‍न प्राचीन सामाजिक विकार (जातिप्रथा, सतिप्रथा, अशिक्षा, निर्धनता, लिंग भेद, कर्मकाण्‍ड, आध्‍यात्मिकता का पतन इत्‍यादि) अपने कदम मजबूत करने लगे थे, जिस कारण भारतीय संस्‍कृति पतन की ओर बढ़ने लगी।

ऐसे परिवेश में जन्‍म हुआ एक महान संत रामकृष्‍ण परमहंस (1836-1886) का, जिन्‍होंने भारतीय संस्‍कृति को एक नई दिशा दी। इनके बताए गये मार्ग पर चलाया गया मिशन (रामकृष्‍ण मिशन) आज भी विश्‍व स्‍तर पर समाज सेवा के रूप में कार्य कर रहा है। चलिए एक नज़र डालें इस मिशन के उद्देश्यों और दर्शन पर:

मानवता की सेवा के पुजारी रामकृष्‍ण परमहंस ने 'जीव ही शिव है' का उपदेश दिया। इनका झुकाव आध्‍यात्मिकता और ईश्‍वर प्राप्ति की ओर था तथा शारदा देवी (आध्‍यात्‍म में विदूषी महिला) इनकी जीवन संगिनी रहीं। इन्‍होंने सभी धर्मों को सम्‍मान देने के साथ ही बिना किसी भेदभाव (पंथ, वर्ण धर्म आदि के आधार पर) के निस्‍वार्थ सेवा को ही ईश्‍वर प्राप्ति का मार्ग बताया। अपने जीवन के अंतिम क्षणों में वे दक्षिणेश्‍वर में रहे।

रामकृष्‍ण जी के ध्‍येय को व्‍यवहार में उतारने के लिए स्‍वामी विवेकानंद (विद्वान, प्रसिद्ध वक्‍ता और रामकृष्‍ण जी के प्रमुख शिष्‍य) जी ने 1886 में बारानगर (प.बं.) में एक मठ की स्‍थापना की। समय-समय पर इस मठ का स्‍थान बदलता रहा। अंततः 1 जनवरी 1989 को स्‍वामी विवेकानंद ने बेलूर (वर्तमान मुख्‍यालय; ऊपर दिए गए चित्र में बेलूर मैथ को दिखाया गया है) में मठ की स्‍थापना की। शारदा देवी जी ने इस मठ को अपने घर से ही मार्गदर्शन प्रदान किया। आज भी रामकृष्‍ण मठ (आध्‍यात्मिक विकास हेतु) और रामकृष्‍ण मिशन (कल्‍याणकारी कार्य हेतु) के सभी कार्य इसी मठ द्वारा नियंत्रित होते हैं।

जनकल्‍याण के लिए स्‍वामी विवेकानंद ने विश्‍व को संदेश दिया कि “उठो जागो और तब तक मत रूको, जब तक लक्ष्‍य की प्राप्ति ना हो जाए”। स्‍वामी जी समाज के कमजोर वर्ग के प्रति अत्‍यंत चिंतित थे तथा उन्‍होंने हमारे जीवन का ध्‍येय बताते हुए कहा कि 'चंडाल को तक धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्ति में सहायता करें'। स्‍वामी विवेकानंद जी ने शिकागो में हो रहे विश्‍व धर्म सम्‍मेलन में हिन्‍दू धर्म का नेतृत्‍व किया। इनके द्वारा चलाए गये इस मिशन ने एक आन्‍दोलन का रूप ले लिया, इसमें लगभग संपूर्ण भारत से लोगों ने हिस्‍सा लिया, जिसमें से 50,000 अनुयायी मात्र पश्चिम बंगाल से ही थे। रामकृष्‍ण मठ और मिशन ने अपने कार्यों और विचारधारा के कारण विश्‍व स्‍तर पर लोकप्रियता हासिल की।

वर्तमान समय में इस मिशन द्वारा किए जाने वाले कुछ प्रमुख सामाजिक कार्य:

चिकित्‍सा सेवा:
अस्‍पताल, बाह्य रोगी औषधालय, वृद्धाश्रम, विशेष नेत्र शिविर इत्‍यादि। ये मठ और मिशन कलकत्‍ता, इटानगर, लखनऊ, वाराणासी आदि में अस्‍पताल सुविधा उपलब्‍ध करा रहे हैं।

आर्थिक सहायता:
निर्धन और बेघर लोगों को आर्थिक सहायता उपलब्‍ध कराना।

प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सहायता:
बाढ़, आकाल, सूखे आदि से पीड़ित जनमानस को आवश्‍यक सुविधा उपलब्‍ध कराना।

जन कल्‍याणकारी कार्य:
गन्‍दी बस्‍ती उद्धार परियोजना, ग्रामीण जनजीवन का कल्‍याण, समाज कल्‍याण इत्‍यादि उपलब्‍ध कराए जा रहे हैं। इनके कुछ प्रमुख केंद्र वृंदावन, लखनऊ, इलाहबाद, गुवाहाटी आदि में स्थित हैं।

शैक्षिक सहायता:
बेघर और ज़रूरतमंद बच्‍चों के लिए निःशुल्‍क पुस्‍तकालय, कोचिंग कक्षाएं, अनुसूचित जाति और जनजाति के विद्यार्थियों के लिए निःशुल्‍क होस्‍टल तथा नेत्रहीन बच्‍चों के लिए ब्रेल प्रेस (Braille Press) जैसी सहायता उपलब्‍ध करा रहे हैं।

आज भी यह मिशन बिना किसी राजनैतिक और आर्थिक स्‍वार्थ के मानवता के हित में लगा हुआ है तथा रामकृष्‍ण और स्‍वामी विवेकानंद जैसे महान पुरूषों के उच्‍च विचारों से जन-जन को अवगत करा रहा है। सामाजिक जागरूकता और जनकल्‍याण में यह मिशन काफी हद तक सफल रहा है।

संदर्भ:
1.सांस्कृतिक एटलस, राष्ट्रीय एटलस एवं थिमैटिक मानचित्रण संगठन (NATMO)
2.https://belurmath.org/

RECENT POST

  • आइए देखें, अपने अस्तित्व को बचाए रखने की अनूठी कहानी, 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     24-11-2024 09:17 AM


  • आर्थिक व ऐतिहासिक तौर पर, खास है, पुणे की खड़की छावनी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id