भारत के चिक चॉकलेट कहे जाने वाले एंटोनियो जेवियर वाज़ (Antonio Xavier Vaz) का जन्म 1916 में हुआ। वह गोवा के रहने वाले थे। उन्हें गोयं ट्रम्पेटर (तुरी बजने वाला ) के नाम से भी जान जाता था। उन्होंने बॉम्बे के ताजमहल होटल में जैज़ बैंड का नेतृत्व किया और बॉम्बे के सबसे प्रसिद्ध जैज़ संगीतकारों में से एक बने। एक हिंदी फिल्म संगीत संगीतकार भी थे और विभिन्न साउंडट्रैक में तुरही बजाते थे।
लुई आर्मस्ट्रांग (Louis Armstrong)एक अमेरिकी ट्रम्पेटर, संगीतकार, गायक और अभिनेता थे जो जैज़ में सबसे सबसे प्रभावशाली एवं प्रथम श्रेणी का काम करने वाले कलाकार। भारतीय चिक चॉकलेट ने अपने आर्मस्ट्रांग प्रतिरूपण गंभीरता से लिया। उन्होंने हाई सोसाइटी, हैलो डॉली और पांच पेनीज़ जैसी फिल्मों को देखा और लुई आर्मस्ट्रांग की चाल-ढाल और गाना, जितना संभव हो सका उतनी उनकी नक़ल करने की कोशिश’ की। इस बात को उनकी बेटी उर्सुला ने भी स्वीकार किया। वह आर्मस्ट्रांग के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित थे।
उस समय के कई गोयन संगीतकारों की तरह, चिक चॉकलेट ने रात में जैज़ के लिए अपना जुनून जताया, लेकिन उनकी सुबह फिल्म स्टूडियो में बिताई गई, जिससे उनकी स्विंगिंग व्यवस्थाओं के साथ फिल्मों को जीवंत बनाया गया। उन्होंने पहली बार संगीतकार श्री रामचंद्र के साथ काम किया और राष्ट्र के कानों को अपनी धुन से प्रभावित किया। गोरे-गोर (समाधि से 1950) और शोला जो भड़के (अल्बेला, 1951) की धुनें, जो आज भी लोगो के दिलो में जीवित है। उन्होंने मदन मोहन के साथ भी काम किया, जिन्होंने उन्हें एक खुद की तस्वीर दी, जिसमे लिखा था "मेरे सबसे वफादार कामरेड, चिकी - मेरी सभी शुभकामनाओं के साथ(To my most faithful comrade, Chick – with all my best wishes.)।"
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