 
                                            समय - सीमा 276
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                                            भारत अपने अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य, परंपरा, संस्कृती और विभिन्नता की समृद्धि के लिए हमेशा से ही विश्व के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। यही कारण है कि लगभग विश्व के हर क्षेत्र से लोग यहां आये। उनमें से कुछ यहीं बस गये तो कुछ यहां की संस्कृति और परंपराओं को विरासत के तौर पर अपने देश ले गये। भारत भ्रमण पर आये कई ऐतिहासिक यात्रियों ने अपने इस अद्भुत अनुभव को चित्रों और पुस्तकों के माध्यम से संजो कर रखा, जो आज भी हमें उस दौरान के भारत का स्वरूप बताते हैं। एक ऐसी ही ब्रिटिश यात्री थी लेडी फैनी पार्क्स (Lady Fanny Parkes) जो भारत की खूबसूरती से अत्यंत प्रभावित थीं तथा भारत को बहुत करीब से जानना चाहती थीं। इसके लिए इन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया।
फैनी पार्क्स 1822 में अपने पति चार्ल्स पार्क्स के साथ भारत आयीं तथा 1845-46 में वे भारत से लौटे। इन्होंने अपनी संपूर्ण यात्रा के प्रत्येक दिन को ‘वॉन्ड्रिंग्स ऑफ अ पिलग्रिम’ (Wanderings of a Pilgrim In search of the Picturesque) नामक पुस्तक में संजोया। इसमें भारत के अद्भुत नज़ारों का संग्रह किया गया था, तथा इसे 1850 में प्रकाशित हुयी। भारत आने के पश्चात फेनी के पति कलकत्ता रूके तथा फैनी भारत भ्रमण पर निकल पड़ी। इन्होंने उत्तर भारत के आगरा, कानपुर, मेरठ, दिल्ली, लन्दौर (मसूरी), फतेहगढ़ आदि का भ्रमण किया तथा ये जिस भी क्षेत्र में गयीं वहां का चित्र तैयार किया। फैनी ने भारत के लोगों, यहां के रीति रिवाजों, परंपरा, संस्कृति, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु इत्यादि पर गहनता से अध्ययन किया। इनके द्वारा सूक्ष्मता से भारत पर किये गये अध्ययन की समीक्षाकर्ताओं द्वारा सराहना की गयी। वॉन्ड्रिंग्स ऑफ अ पिलग्रीम में इन्होंने मेरठ के दुर्लभ दृश्यों को भी संकलित किया है।
मेरठ में इनके प्रवेश वाले दिन मौसम काफी नासाज़ रहा। तेज़ रेतिली मिट्टी की हवाएं चलने के साथ ही ठंड भी बढ़ गयी थी। आसपास का संपूर्ण क्षेत्र वीरान था, काफी दूरी तक यात्रा करने के पश्चात इन्हें हरियाली नजर आयी जहां इन्होंने अपना तंबू लगवाकर रुकने की व्यवस्था करवायी। भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड ऑकलैंड ने इनसे मुलाकात की, तथा फैनी ने लॉर्ड ऑकलैंड और मिसेज़ ईडन के साथ जश्न में शिरकत की। अगले दिन फैनी सूरज कुंड तथा मेरठ की बड़ी टंकी में घूमने गयीं। गर्वनर जनरल द्वारा रात्रि में जश्न का आयोजन कराया गया, जहां विशाल रात्रिभोज के साथ नृत्य तथा अन्य मनोरंज की व्यवस्था की गयी थी। फैनी ने मेरठ में स्थित अबू के मकबरे तथा यहां के बंदीगृह की भी यात्रा की।
मेरठ के जश्न में उपस्थित गवर्नर जनरल की बहन ईडन ने लेडी फैनी पार्क्स के विषय में कुछ इस प्रकार से टिप्पणी की:
“मेरठ में हुयी सबसे पहली सभा में मुझे सबसे पहले दिखाई देने वाली महिला श्रीमती पार्क्स थीं। वह वहां कैसे पहुंची यह कोई नहीं जानता और ना ही कभी जान पायेगा। यहां आने के एक दिन बाद उन्होंने हमारी समीक्षा की- तथा मुझे किला देखने के लिए प्रोत्साहित किया और न केवल किला बल्कि कोहरे के छंटते ही मुझे पार्क्स सवारी करती हुयी नज़र आयी। यदि वह इतनी मोटी नहीं होती तो मैं कह सकती थी कि वह नज़ारा बहुत ही अद्भुत और अलौकिक था।”
मेरठ से इन्होंने दिल्ली के लिये प्रस्थान किया। इस प्रकार फैनी ने भारत के विभिन्न अनुभवों को अपनी डायरी में संजो दिया, जो आज भी हमारे सामने तत्कालिन भारत के परिदृश्य को दर्शाती है। इन्होंने भारत के लोगों से घनिष्ठता बनाई तथा यहां के रीति रिवाजों का भी अनुसरण किया। वास्तव में फैनी ने अपनी यात्रा का संपूर्ण वृत्तांत अपनी माता के लिए लिखा। ब्रिटिश भारत का परिदृश्य दिखाने में फैनी पार्क्स का उल्लेखनीय योगदान रहा है।
संदर्भ:
1.https://archive।org/details/wanderingsofpilg02parluoft/page/188
2.https://blogs.ucl.ac.uk/eicah/fanny-parks-case-study/fanny-parks-case-study-who-was-fanny-parks/
3.https://blogs.ucl.ac.uk/eicah/fanny-parks-case-study/fanny-parks-case-study-wanderings-of-a-pilgrim-in-search-of-the-picturesque/
 
                                         
                                         
                                         
                                        