कार्तिक मास के आगमन के साथ ही लाखों हिन्दुओं के मन में हर्षोल्लास की लहर दौड़ने लगती है। क्योंकि इस माह के साथ आगमन होता है भारत के सबसे प्रिय त्यौहार दिपावली का। जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले इस त्यौहार में विशेष महत्व होता है लक्ष्मी पूजन का। अधिकांश लोग लक्ष्मी को मात्र धन की देवी के रूप में पूजते हैं किन्तु लक्ष्मी शब्द और माता की छवि के विभिन्न हिस्सों का वास्तविक अर्थ अत्यंत विशाल है।
लक्ष्मी शब्द वास्तव में लक्ष से लिया गया है जिसका अर्थ है लक्ष्य तथा लक्ष्मी सर्वोच्च लक्ष्य की देवी है। संस्कृत में लक्ष का अर्थ लाख से होता है जिस कारण इन्हें धन की देवी के रूप में भी पूजा जाता है। वास्तव में अत्यधिक धन की प्राप्ति होना लक्ष्मी की प्राप्ति को इंगित नहीं करता वरन् सीमित धन के साथ सद्बुद्धि की प्राप्ति ही वास्तविक लक्ष्मी की प्राप्ति है। आपने चतुर्भुज माँ लक्ष्मी को कमल पर विराजमान देखा होगा जिनके चारों ओर से हाथियों द्वारा जलाभिषेक किया जाता है। इसमें प्रत्येक का विशेष महत्व है:
चार भुजाऐं: माता की चार भुजाओं में ऊपर की बांयी भुजा धर्म (कर्तव्य), नीचे की बांयी भुजा अर्थ (भौतिक संपत्ति), नीचली दांयी भुजा काम (कामना) और ऊपर की दांयी भुजा मोक्ष (मुक्ति) की प्रतीक है।
ऊपरी बांयी भुजा में कमल: ऊपरी बांयी भुजा में आधा खिला कमल साधना की सौ अवस्थाओं को दर्शाता है। अर्ध खिला कमल का लाल रंग रजोगुण (क्रियाशीलता) तथा सफेद लकीरें सतोगुण (शुद्धता) की प्रतीक हैं।
स्वर्ण मुद्रा: निचली बांयी भुजा से गिरने वाले सोने के सिक्के समृद्धि का प्रतीक है। नीचे बैठा उल्लू धन की प्राप्ति के बाद आने वाली अंधता और लालच से बचने के लिए प्रेरित करता है।
अभय मुद्रा: निचली दांयी भुजा की अभय मुद्रा भय पर विजय को दर्शाती है क्योंकि भय अनर्थक इच्छाओं का कारण होता है।
ऊपरी दांयी भुजा में कमल: इस एक हजार पंखुड़ी वाले पूर्णतः खिले कमल का विशेष महत्व है, जो सहस्त्र-चक्र (कुंडलीनी शक्ति के विकास का शीर्ष बिंदु) का प्रतीक है। तथा नीली आभा आकाश और लाल रंग रजोगुण का प्रतीक है।
लाल साड़ी: लाल साड़ी तथा इस पर की गयी कढ़ाई रजोगुण और समृद्धि के प्रतीक हैं।
कमलासन: माता का यह आसन अनासक्ति और विकास का प्रतीक है। अर्थात कमल पानी की सतह की मृदा से तो उत्पन्न होता है, किंतु वह पानी की सतह से ऊपर खिलता है।
श्वेत हाथियों द्वारा जलाभिषेक: माता के चारों ओर (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण) सफेद हाथियों द्वारा जलाभिषेक किया जाता है। हिन्दू धर्म में हाथी को ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है। जो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को ज्ञान, शुद्धता, और दान से सिंचित करते हैं।
इस प्रकार माता की एक छवि हमें बहुमुखी लक्ष्यों (धन, वैभव, समृद्धि, सद्बुद्धि, आत्म संयम आदि) की प्राप्ति करवाती है। मां लक्ष्मी के आठ रूपों को अष्ट लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है जिसमें सभी का विशेष महत्व है। इन आठ रूपों को एक तारे (श्रीयंत्र) में दर्शाया जाता है।
आदि लक्ष्मी: चार भुजाओं में एक कमल, सफेद झण्डा, अभय मुद्रा तथा वरदा मुद्रा हैं। यह ऋषि भृगु की बेटी के रूप में माता का प्राचीन अवतार है।
ऐश्वर्य लक्ष्मी: सफेद वस्त्र धारण किये माता की चार भुजाओं में दो कमल, अभय मुद्रा तथा वरदा मुद्रा हैं। जो समृद्धि की प्रतीक हैं।
धन लक्ष्मी: लाल वस्त्र धारण किये माता की इस छवि में छः भुजाऐं हैं जिनमें चक्र, शंख, कलश (जल, आम की पत्तियां तथा नारियल सहित), धनुष, कमल, अभय मुद्रा (स्वर्ण मुद्रा सहित) हैं। ये धन और स्वर्ण की प्रतीक हैं।
धान्य लक्ष्मी: हरित वस्त्र धारण किये ध्यान माता की अष्ट भुजाओं में दो कमल, गदा, धान की फसल, गन्ना, केला, अभय मुद्रा तथा वरदा मुद्रा हैं।
गज लक्ष्मी: लाल वस्त्रों वाली चतुर्भुज माता की भुजाओं में दो कमल, अभय मुद्रा तथा वरदा मुद्रा हैं। ये पशु धन की समृद्धि दाता मानी जाती हैं।
संतान लक्ष्मी: छः भुजाओं वाली माता की भुजाओं में कलश (जल, आम की पत्तियां तथा नारियल सहित), तलवार, कवच, उनकी गोद में एक बच्चा जिसे एक हाथ से थामा गया है, तथा अभय मुद्रा को दर्शाया गया है। बच्चे ने कमल को पकड़ा है। माता को श्रेष्ठ संतान प्राप्ति हेतु पूजा जाता है।
वीर लक्ष्मी: लाल वस्त्र धारण किये माता की अष्ट भुजाएं हैं जिनमें कमशः चक्र, शंख, धनुष, तीर, त्रिशूल (या तलवार), ताड़ के पत्तों पर लिखी पांडुलिपि, अभय मुद्रा तथा वरदा मुद्रा हैं। ये वीरता तथा साहस की प्रतीक हैं।
विजय लक्ष्मी: लाल वस्त्र धारण की गयी माता की अष्ट भुजाओं में चक्र, शंख, तलवार, कवच, कमल, पाशा, अभय मुद्रा और वरदा मुद्रा हैं। ये श्रेष्ठ वरदानों की प्रतीक हैं।
भारत के तमिलनाडू (1974), हैदराबाद आदि में तथा ऑस्ट्रेलिया के सिडनी, अमेरिका के कैलिफोर्निया में अष्टलक्ष्मी माता के मंदिर बनाए गये हैं।
संदर्भ:
1.https://www.speakingtree.in/blog/lakshmi-and-her-symbols
2.https://www.speakingtree.in/blog/just-sharing-ashta-lakshmi
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Lakshmi
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Ashta_Lakshmi
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