महिलायें वर्षों से यौन उत्पीड़न और प्रताड़ना की शिकार होती आयी हैं। घर हो या कार्यस्थल महिलाओं को कभी घरेलू हिंसा तो कभी कार्यस्थल पर यौन अपराध की मार झेलनी पड़ती है। इन सब अपराधों से महिलाओं को बचाने के लिये ही कई कानून बनाये गए हैं लेकिन महिलाओं को इनकी जानकारी न होने के कारण वो अपने साथ होने वाले अपराधों के खिलाफ अपनी आवज़ प्रकट नहीं कर पाती है, आईये जानते हैं कार्यस्थल यौन शोषण कानून के बारे में, इसकी शुरुआत 1992 में राजस्थान की राजधानी जयपुर के गॉव भटेरी से हुई। जहाँ बाल विवाह के विरोध में अभियान चला रही भवरी देवी नाम की महिला के साथ बलात्कार किया गया। भवरी देवी को इन्साफ और अन्य महिलाओं के बचाव में क़ानून बनाने के लिये विशाखा और अन्य संगठनों ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। जनहित याचिका में कोर्ट से कामकाजी महिलाओं के लिए संविधान की धारा 14,19 और 21 के तहत अधिकारों को सुनिश्चित करने की मांग की गयी। कोर्ट ने कामकाजी महिलाओं को यौन उत्पीड़न, हिंसा और प्रताड़ना से बचने के लिये विशाखा के दिशा, निर्देशों को जानने को कहा जिससे महिलायें अपना बचाव कर सकती थी। 1997 में कोर्ट ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की परिभाषा दी।
किन स्थियों में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत की जा सकती है:
1. यदि कार्यस्थल पर कोई सहकर्मी, सीनियर (Senior) और जूनियर (Junior) शारारिक सम्पर्क के लिये दबाव बनाता है या अन्य तरीकों से ऐसा करने के लिये दबाव बनाता है।
2. यदि कार्यस्थल पर कोई सहकर्मी और सीनियर यौन सम्बन्ध बनाने का अनुरोध या दबाव बनाता है।
3. यदि ऑफिस में कोई पुरूष महिला पर या उनके कपड़ों पर गंदा या अभद्र टिप्पणियां करता है।
4. यदि कार्यस्थल पर कोई मौखिक या अमौखिक तरीके से अभद्र टिप्पणियां करता है।
क्या कहता है कार्यस्थल यौन उत्पीड़न एक्ट 2013
कार्यस्थल यौन उत्पीड़न एक्ट 2013 के अनुसार दफ्तरों को आंतरिक शिकायत समिति यानि आईसीसी का बनाना जरुरी है। इस कमेटी में महिलाओं की संख्या आधी से ज्यादा होनी चाहियें साथ ही इस कमेटी की मुख्या भी एक महिला ही होगी। इस कमेटी में एक बाहरी सदस्य का होना भी जरुरी है। यदि कोई महिला शिकायत ले कर कमेटी के पास जाती है तो कमेटी को उसका निवारण 90 दिनों के भीतर करना होगा। यदि कमेटी 90 दिनों में शिकायत का समाधान नहीं कर पाती है तो समय बढ़ाया जा सकता है। एक्ट की धारा 26 (1) के अनुसार यदि कोई इम्प्लॉयर नियमों का पालन नहीं करता है, तो उस पर 50 हज़ार रुपयें का जुर्माना और कंपनी का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
सन्दर्भ:
1. https://indianexpress.com/article/explained/sexual-harassment-at-workplace-vishaka-guidelines-metoo-5394486/
2. https://www.onlymyhealth.com/health-slideshow/how-to-handle-sexual-and-mental-harassment-at-work-in-hindi-1453119320.html
3. https://hindi.oneindia.com/news/features/law-against-sexual-harassment-at-the-workplace-in-india-380141.html
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