मुस्कुराता हुआ व्यक्ति किसे अच्छा नहीं लगता है, लेकिन आत्मविश्वास के साथ मुस्कुराने के लिये दांतों में चमक और उनका दुरुस्त होना बहुत ज़रूरी है। जिसके लिये आज हम सभी सुबह और रात सोने से पहले मंजन करते हैं। आज हमारे पास हज़ारों प्रकार के टूथपेस्ट (Toothpaste) मौजूद हैं लेकिन कभी सोचा है कि क्या पहले भी लोगों के लिये इतने ही प्रकार के टूथपेस्ट उपलब्ध हुआ करते थे और क्या पहले के टूथपेस्ट में आज के बराबर ही समाग्री हुआ करती थी।
यदि टूथपेस्ट के इजात और इतिहास पर नज़र डालें तो टूथपेस्ट की जड़ें हज़ारों साल पहले ही पड़ गयी थीं। सबसे पहले मिस्र के लोगों ने टूथपेस्ट का प्रयोग करना शुरू किया था लेकिन उस वक़्त आज के जैसे टूथपेस्ट न तो ट्यूब (Tube) में आया करता था और न ही आज जितनी समाग्री से बना होता था। मिस्र के लोगों ने सबसे पहले टूथपेस्ट 5000 ईसा पूर्व ही प्रयोग कर लिया था जिसे नमक, पुदीना, आईरिस (Iris) फूल और मिर्च के मिश्रण से बनाया जाता था। भारत और चीन के लोगों ने पहली बार टूथपेस्ट का प्रयोग 500 ईसा पूर्व किया था। ये लोग टूथपेस्ट को घोड़े के खुरों के टुकड़ों और अण्डों की बाहर की झिल्ली के जले हुए छिलके के साथ में झांवां को मिश्रित कर पेस्ट बना लिया करते थे और दांतों को साफ़ करते थे।
रोम और ग्रीक के लोग टूथपेस्ट के लिये हड्डियों और घोंघे का चूर्ण बना लिया करते थे और उससे दांत साफ़ किया करते थे। उस वक़्त भी टूथपेस्ट का उद्देश्य दांतो को साफ़ रखना, मसूड़ों को बचाना और ताज़ी साँसों को प्राप्त करना ही था। ग्रीक और रोम के लोग टूथपेस्ट में स्वाद लाने के लिये कोयला और पेड़ों की छालों का प्रयोग किया करते थे। चीन के लोग इसके लिये जिनसेंग (Ginseng) के पौधे, पुदीना संग नमक का प्रयोग किया करते थे।
आधुनिक समय में टूथपेस्ट सन 1800 से बनना शुरू हुआ। जो एक साबुन की तरह हुआ करता था और इसमें खड़िया मिश्रित हुआ करती थी। इंग्लैंड में 1800 के वक़्त लोग सुपारी से दांतों को साफ़ किया करते थे और 1860 में यहाँ लोगों ने कोयले से दांत साफ़ करना शुरू कर दिया था। कोलगेट ने 1873 में टूथपेस्ट को घड़े में बेचना शुरू दिया जिसमें लोग ब्रुश डूबा कर दांतों को साफ़ करते थे।
टूथपेस्ट को टूयूब में लाने का काम भी कोलगेट ने ही किया। इसका विचार कोलगेट को 1872 में पेंट (Paint) के कलर ट्यूब (Colour Tube) से मिला जो इतना मशहूर हुआ कि आज सभी अधिकतर टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर ही आते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के वक़्त टूथपेस्ट के ट्यूब पैकिंग की मांग काफी ज्यादा हो गयी थी। नये ज़माने में लोगों को अपने दांतों का सही से ख्याल रखने का श्रेय नासा को जाता है जिसने लोगों को दांतों का मूल्य समझते हुए कई अन्वेषण किये और एक बेहतर फार्मूला दिया ताकि अगर टूथपेस्ट गलती से भी निगल जाएं तो किसी को कोई नुकसान न हो।
सन्दर्भ:
1.http://www.speareducation.com/spear-review/2012/11/a-brief-history-of-toothpaste
2.https://www.canstarblue.com.au/health-beauty/the-history-of-toothpaste/
3.http://www.deltadentalar.com/blog/history-of-toothpaste
4.https://www.colgate.com/en-us/oral-health/basics/brushing-and-flossing/history-of-toothbrushes-and-toothpastes
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