भारतीय समाज में लड़के और लड़की के मध्य काफी समय से भेदभाव चलता आ रहा है। लड़कों को घर का वारिस और लड़कियों को पराया धन मानकर लड़कियों को कई चीजों से वंचित किया जाता है। किसी ने सही कहा है कि जब आप एक महिला को शिक्षा देकर शिक्षित करते हैं तो आप एक पूर्ण परिवार को शिक्षित करते हैं। समाज में जहाँ महिलाओं को 20वीं सदी के अंत तक शिक्षा से वंचित रखा गया है, वहीं अब महिलाओं को शिक्षित करने के लिए विशेष अभियान और योजनाएं आयोजित की जा रही हैं। लड़कियों को शिक्षा प्रदान करने से ना केवल वे अपना बल्कि देश के विकास और समृद्धि में भी मदद करेंगी।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक लड़की के जीवन में शिक्षा का कितना महत्व होता है। शिक्षा जीवन जीने का एक अनिवार्य हिस्सा होती है, जो एक व्यक्ति को निपुणता से नई चीजें सीखने और दुनिया के तथ्यों के बारे में जानने में मदद करती है। एक शिक्षित लड़की आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ दूसरों द्वारा किए जा रहे अत्याचार का भी खुद सामना कर सकती है। और साथ ही अपने बच्चों का पालन पोषण भी काफी अच्छे से कर सकती है। शिक्षा के माध्यम से, वे एक स्वस्थ और स्वच्छ जीवन शैली का नेतृत्व कर सकती हैं और अपने परिवार का भी बेहतर मार्गदर्शन कर सकती हैं। कई बार माता-पिता अपने बेटे से कहते हैं कि पढ़े-लिखे लोगों को समाज में काफी मान सम्मान मिलता है, यही बात लड़कियों में भी लागू होती है, यदि लड़कियाँ शिक्षित होंगी तो उन्हें गरिमा और सम्मान के साथ देखा जाने लगेगा। शिक्षित लड़कियां विभिन्न व्यवसायों (कुक, इंजीनियर, डॉक्टर या अपनी पसंद का व्यवसाय) में सफलता हासिल कर बाकी लड़कियों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन सकती हैं।
हाल ही में भारत में अयोजित ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान द्वारा कई कदम उठाए गये हैं, जिसमें एक था ‘सेल्फी विद डॉटर’ (Selfie With Daughter)। इसके अंतर्गत परिवारों को अपनी बेटियों के साथ फोटो खीचने के लिए प्रेरित किया गया था ताकि बेटियों को अहसास कराया जा सके कि वे भी उनके परिवार के प्रेम और समर्थन की उतनी ही हक़दार हैं जितना कि एक बेटा। डोराला (मेरठ) की बेटियों ने भी इसमें तत्परता से भाग लिया जिसका वीडियो आप नीचे देख सकते हैं:
कई देशों द्वारा किए गये अध्ययन से यह पता चलता है कि महिलाओं की स्कूली शिक्षा को एक वर्ष और अधिक बढ़ा देने से इनकी भविष्य की आय में 15 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है। हाल के दशकों में लड़कियों की शिक्षा में काफी प्रगति हुई है। 1970 और 1992 के बीच विकासशील देशों में लड़कियों का प्राथमिक और माध्यमिक नामांकन 38% से बढ़कर 68% हुआ, जिसमें सबसे अधिक पूर्वी एशिया (83%) और लैटिन अमेरिका (87%) में हुआ था। वहीं कम विकसित देशों में प्राथमिक स्तर पर केवल 47% और द्वितीयक स्तर पर 12% लड़कियों का नामांकन हुआ।
वैसे लड़कियों की शिक्षा में सुधार करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं, जिससे उनकी शिक्षा का विकास अच्छे से हो सकता है। कई ऐसी महिलाएं जिन्होंने भारत का गौरव बढ़ाया है, जिनमें से कुछ के बारे में आपको बताते हैं:
भक्ति शर्मा आंटार्टिक महासागर में 52 मिनट में 1.4 मील तक तैरने वाली पहली भारतीय और एशियाई महिला हैं।
प्रियंका चोपड़ा ने एक प्रमुख अमेरिकी टीवी शो में मुख्य भूमिका निभाई और ‘न्यू टीवी सीरीज़ में पसंदीदा अभिनेत्री’ के लिए पीपल्स चॉइस अवॉर्ड्स भी जीता।
तमिलनाडु की रूपा देवी भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय फीफा रेफरी (FIFA Referee) बनीं।
मैरी कॉम एकमात्र वो महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने 6 चैंपियनशिप में भाग लिया और उनमें से प्रत्येक चैंपियनशिप में पदक प्राप्त किया।
साइना नेहवाल ओलंपिक में बैडमिंटन के लिए पदक पाने वाली पहली भारतीय महिला हैं।
विंग कमांडर पूजा ठाकुर भारत में आ रहे एक विदेशी गणमान्य अतिथि के गार्ड ऑफ ऑनर का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं। ये अतिथि और कोई नहीं बल्कि बराक ओबामा थे।
ये तु कुछ ही नाम हैं, देश का नाम रोशन करने वाली ऐसी बेटियों की सूची बहुत लम्बी है। भारत और विश्व में ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने अपने-अपने देश को गौरवान्वित कराया है। तथा आज यह समझने की ज़रूरत है कि देश को यह गर्व महसूस करवाने के लिए पहले इन महिलाओं को सही शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
संदर्भ:
1.https://medium.com/@poojalate59/importance-of-educating-girl-child-in-indian-society-658e04f6cf66
2.https://www.unicef.org/sowc96/ngirls.htm
3.https://www.cosmopolitan.in/life/news/a3791/13-amazing-women-whove-made-india-proud-over-years
4.https://www.youtube.com/watch?v=7U-Nd2SPac0
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