मानव की एक प्रवृत्ति बड़ी विचित्र है, वह है दुर्लभ चीजों के प्रति सहज ही आकर्षित हो जाना, चाहे तब वह सजीव वस्तु हो या निर्जीव। यही कारण है कि आज प्रकृति की एक अद्भुत और अनश्वर देन रत्नों और क्रिस्टलों (Crystals) के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ता जा रहा है। इनका उपयोग सदियों पुराना है, जिसका वर्णन हमें हमारे एतिहासिक ग्रन्थों में भी देखने को मिलता है। प्रकृति में अब तक विभिन्न रंग-रूप, आकार-प्रकार के लगभग 4,000 खनिज ज्ञात हुऐ हैं जिनमें से प्रत्येक छः क्रिस्टलीय संरचनाओं (घन, चौकोर, समचतुर्भुजी, एकंताक्ष, षट्कोणीय, त्रितांक्ष) के किसी एक में आता है।
वास्तव में क्रिस्टल अणुओं और परमाणुओं की व्यवस्थित ज्यामितीय संरचना (वर्ग, आयात, त्रिकोणीय, षट्कोणीय) है, जिससे ठोस खनिजों को नियमित और सममित आकार मिलता है। शुद्ध क्रिस्टल पूर्णतः प्राकृतिक तथा रंगहीन होते हैं।
क्रिस्टलों का उपयोग आभूषण बनाने के लिए भी किया जाता है, किंतु सभी क्रिस्टल रत्न की श्रेणी में नहीं आते हैं। जितनों को भी रत्नों की श्रेणी में रखा जाता है, वे अधिकांश एकल स्वरूप में होते हैं। इन्हें निम्न गुणों के आधार पर रत्नों की श्रेणी में रख सकते हैं:
दुर्लभता:
वे क्रिस्टल जो सरलता से प्रकृति में पाये जाते हैं, उन्हें हम रत्नों की श्रेणी में नहीं रखते हैं। जैसे - स्फतीय खनिज, रॉक क्रिस्टल (Rock crystal), लौह पाइराइट (Iron Pyrite) आदि।
उत्तमता:
क्रिस्टल का एकल स्वरूप होना ही रत्न के लिए पर्याप्त नहीं है। इसका शुद्ध और स्पष्ट दिखना भी अनिवार्य है। कुछ परमाणुओं (सिलिकॉन और जर्मेनियम आदि) की सहायता से अशुद्ध क्रिस्टल को रत्न में परिवर्तित किया जा सकता है।
रंग:
क्रिस्टलों में अपना कोई रंग नहीं होता है। जबकि कई रत्न रंगीन होते हैं जैसे रूबी-लाल, नीलम- नीला, शैलमणि-बैंगनी आदि। इनके शुद्ध क्रिस्टल रत्न नहीं होते हैं, परमाणुओं के मिश्रण से इन्हें रत्न के रूप में तैयार किया जाता है।
कठोरता:
क्रिस्टलों की कठोरता रत्नों के लिये एक अच्छा अवयव है। हीरा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। जिसे दुनिया की सबसे कठोर वस्तुओं में गिना जाता है।
आकार की गणना:
कठोर रत्नों में हीरे का अमूल्य स्थान है। 1 कैरेट (0.2 ग्राम) के सौ हीरों की तुलना में 100 कैरेट का एक हीरा अधिक मूल्यवान होता है।
रत्न (गुलाबी रत्न, निलाबाज़्रो, तुरसावा, हरिताश्म, गंधर्व, रक्तमणि, मूंगा, नील, पुखराज, पन्ना, सुगंधिका आदि) क्रिस्टलों की तुलना में अधिक मूल्यवान होते हैं। रत्न प्रकृति में मुख्यतः खनिज के रूप में पाये जाते हैं, जिनको उनके क्रिस्टल की ज्यामितीय आकृति के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। जो रत्नों के भौतिक और प्रकाशिक गुण को समझने में सहायता करते हैं। प्राकृतिक रत्नों को उच्च ताप में गर्म करके उनके आकार में परिवर्तन किया जाता है।
1. हीरा एक बहुमुल्य रत्न है, जोकि एक ठोस षट्कोणीय कार्बन क्रिस्टल (Hexagonal carbon crystal) है। शुद्ध हीरा रंगहीन होता है। किंतु कुछ अशुद्धता के कारण इनके रंग में परिर्वतन देखने को मिलता है। हीरे को रत्न या क्रिस्टल दोनों की श्रेणी में इंगित किया जा सकता है, लेकिन सभी रत्न क्रिस्टल नहीं होते हैं।
2. हल्के नीले रंग का अत्यंत खूबसूरत रत्न एक्वामरीन (Aquamarine) क्रिस्टल की षट्कोणीय अवस्था में पाया जाता है। जो मुख्यतः भारत, ब्राजील, अमेरिका, अफगानिस्तान, रूस और पाकिस्तान में पाया जाता है।
3. शुद्ध एकल क्रिस्टल को क्रोमियम (Chromium) या टाइटेनियम (Titanium) के साथ संदुषित करने पर दो कीमती रत्न नीलम और रूबी प्राप्त होते हैं। नीलम वैसे तो मुख्य रूप से नीले होते हैं किंतु संदोषण के कारण इसका रंग पीला और बैंगनी भी हो जाता है।
4. रूबी को कृत्रिम रूप से भी तैयार किया जाता है। शुद्ध रूबी हीरे की तुलना में महंगा होता है। प्राकृतिक रत्न महंगा तथा कृत्रिम रत्न सस्ता होता है।
5. क्रिस्टलों की चतुष्कोणीय और आयताकार संरचना का एक स्वरूप बटरस्कॉच (Butterscotch) रंग के रत्न हैं।
6. खूबसूरत रत्नों में एक फिरोज़ा रत्न, रत्नों की दुनिया में विशेष स्थान रखता है। मानव द्वारा बनाये गये पहले चश्मे में फिरोज़ा रत्न का उपयोग किया गया था। लेकिन जो चश्मा आज हमारे द्वारा पहना जाता है, वह 11वीं शताब्दी में इटली में तैयार किया गया था।
7. शैल मणि स्वच्छ, सफेद तथा पारदर्शक होता है। यह त्रिकोणीय रॉक क्रिस्टल (Triangular rock crystal) से प्राप्त किया जाता है।
इन क्रिस्टलों को प्रकृति के अनेक उतार चढ़ाव (तापमान, दबाव, आद्रता आदि) झेलने के बाद अपनी-अपनी आकृति मिलती है, जो पूर्णतः गणित की ज्यामितीय संरचना के अनुरूप होती हैं। यहां तक कि आभूषणों के लिये जो कृत्रिम रत्न तैयार किये जाते हैं, उनकी आकृति भी इन्हीं क्रिस्टलों की आकृति से प्रेरित होती हैं। मेरठ में आज लोगों के बीच रत्न से बने आभूषणों की मांग बढ़ती जा रही है।
संदर्भ:
1.https://www.tf.uni-kiel.de/matwis/amat/iss/kap_6/advanced/t6_1_1.html
2.https://www.gemsociety.org/article/gems-ordered-crystal-system/
3.http://academic.emporia.edu/abersusa/go340/crystal.htm
4.http://gem5.com/tag/india/
5.https://www.importantindia.com/11431/hindi-names-of-gemstones/
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