समय से आगे सोचने वाले ही सदैव सबसे प्रतिभाशाली और सफल अन्वेषक होते हैं। ऐसे ही लोगों में से एक थे रोबर्ट स्टीफनसन जिन्होंने सन 1829 में एक ऐसा निर्माण किया जो अपने समय के लिए काफी आधुनिक था। यह था ‘रॉकेट’, लेकिन धोखा ना खा जाइएगा, यह कोई सचमुच का रॉकेट नहीं बल्कि एक स्टीम इंजन (Steam Engine) वाली रेलगाड़ी थी जिसे इन्होंने रॉकेट का नाम दिया था।
असल में रोबर्ट का दावा था कि स्टीम से चलने वाली रेलगाड़ी ही उस समय बन रहे लिवरपूल और मेनचेस्टर रेल मार्ग पर सबसे कुशल साबित होगी। इस बात की पुष्टि करने के लिए एक प्रतियोगिता रखी गयी जिसमें 5 लोकोमोटिव (Locomotive) ने भाग लिया। इस दौड़ की लम्बाई 1 मील (1.6 कि.मी.) थी। इसी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए रोबर्ट ने रॉकेट का निर्माण किया था। रोबर्ट की रेल अकेली इस दौड़ को पूरा कर पाई तथा प्रतियोगिता की विजेता बनी।
हालांकि रॉकेट उस समय की पहली स्टीम इंजन वाली रेलगाड़ी नहीं थी परन्तु वह पहली ऐसी रेलगाड़ी थी जिसमें अलग-अलग नई पद्धतियों को जोड़कर उस समय की सबसे आधुनिक रेलगाड़ी बनाई गयी थी। इसके निर्माण में रोबर्ट को अपने पिता जॉर्ज स्टीफनसन से भी सहायता प्राप्त हुई थी। इसी के आधार पर अगले 150 साल तक नई रेलगाड़ियाँ बनाईं गईं।
क्योंकि कैमरे का अविष्कार रॉकेट के बनने के काफी वर्षों बाद हुआ, इसलिए रॉकेट के पहले सफ़र का कोई चित्र हमें उपलब्ध नहीं है। परन्तु निराश ना हों, 1923 की एक साइलेंट फिल्म (Silent film) ‘हॉस्पिटैलिटी’ (Hospitality) में दिए गए एक मज़ेदार सीन (Scene) के माध्यम से रॉकेट के पहले सफ़र की कल्पना की जा सकती है। वीडियो में आप देख सकते हैं कि शुरूआती रेल आज की आधुनिक रेल से कितनी अलग है। इस वीडियो को ऊपर प्रस्तुत किया गया है तथा इसे देखने के लिए बस वीडियो पर क्लिक करें।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Stephenson%27s_Rocket
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Rainhill_Trials
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