मेरठ के समीप स्थित ऊंचगांव का गौरवमयी इतिहास

मेरठ

 24-10-2018 02:58 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

कुछ शहर अपना इतिहास देखते ही बयां करते हैं किंतु कुछ का इतिहास उसी स्‍थान में कहीं दबा रह जाता है। आज हम बात करेंगे ऐसे ही मेरठ से कुछ दूरी पर स्थित ऊंचगांव के आकर्षक इतिहास के विषय में।

अमर्थाल(बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश) उर्फ ऊंचगांव की स्थापना एक सिसोदिया/गेहलोत (बाचल वंश) के राजपूत प्रमुख खड़ग सिंह ने 4 शताब्दी पहले की थी। उनके द्वारा सबसे पहले, गंगा तट पर किलाबंद फरीदा गांव की स्थापना की गयी। जिसके अवशेष और राव गोपाल सिंह के शिलालेख अभी भी देखने को मिलते हैं। बाचालों द्वारा मुग़लों के विरूद्ध काफी विद्रोह किया गया, जो मुग़लों के लिए एक परेशानी का कारण बन गये। चौधरी खड़ग सिंह ने अपने गांवों को छोड़ दिया और बुलंदशहर में नए नरसेना और अमर्थाल जैसे गांवों की स्थापना की। जिनमें उन्होंने कई छोटे गांवों का भी निर्माण किया, जैसे सबदलपुर और पाली। जिसमें उन्होंने एक मिट्टी के किले का निर्माण कर वहाँ बनाए गए 52 गांव पर शासन किया। जब ब्रिटिश ने भारत पर कब्जा किया, तो चौधरी और अन्य बाचाल राजपुतों ने उनका विरोध कियाथा। लेकिन विरोध ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका, क्योंकि ब्रिटिश द्वारा चालाकी से उन्हें शांति समझौते के लिए जहांगीराबाद में बुलाया गया और वहाँ उनसे विश्वासघात कर चौधरी और उनके साथियों को मार डाला। मृत चौधरी के वंशज आज भी इन गांवों में रहते हैं।

आज ऊंचगांव का सूर्य महल एक सुंदर पर्यटक होटल बन गया है।19वीं शताब्दी के इस किले को दस साल की उम्र में राजा सुरेंद्र पाल सिंह को विरासत में दिया गया था। जिसकी देख रेख इन्हों ने स्वयं के दिशा-निर्देश में की, जिसकी स्पष्टता प्रारंभिक भारतीय और औपनिवेशिक वास्तुकला के मिश्रण से मिलती है। समय के साथ-साथ इसमें आधुनिक सुविधाओं को जोड़ा गया, जो इसे काफी आकर्षित बनाता है। वर्तमान में सुर्य महल में 21 दौहरे कमरे और कमरों के समुह और अन्‍य गतिविधियों के साथ-साथ यहांमनोरंजक खेल की सुविधाऐं भी प्रदान की जा रही हैं। बुलंदशहर से भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम और विवाह की एक अनुठी कहानी जुड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ स्थित अवंतिका देवी के मंदिर में कुंडलपुर के राजा महाराज भीष्मक की पुत्री सती रुक्मिणी द्वारा श्रीकृष्ण को अपने पति के रुप में पाने के लिए प्रर्थना की गयी थी। राजकुमारी रुक्‍मणी बाल्यावस्था में अपनी सहलियों के साथ कुंड(रुक्मिणी कुंड) में स्नान करने के बाद अवंतिका देवी के मंदिर में पूजन करती थी, और प्रार्थना करती थी,"हे जगतजननी! हे करुणामयी मां भगवती!! मुझे श्रीकृष्ण ही वर के रुप में प्राप्त हों।" जब महाराजा भीष्मक को यह बात ज्ञात हुयी तो वह इस विवाह के लिए तैयार हो गए। परन्तु राजकुमार रुक्मरथ(महाराजा भीष्मक के बड़े पुत्र) इसके विरुद्ध थे और रुक्मिणी का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से तय कर दिया। जैसे ही इस बात की सूचना रुक्मिणी को मिलि तो उन्हों ने एक ब्राह्मण के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण को संदेश भेजा और बताया कि वो श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती हैं। श्रीकृष्ण ने अवंतिका देवी के मंदिर से रुक्मिणी का हरण कर लिया और रुक्मिणी के भाई से विजय प्राप्त करने के बाद इसी मंदिर में उनसे विवाह किया।

अवंतिका देवी के मंदिर की ये मान्यता है, कि यहाँ जो भी भक्त माता पर सिन्दूर व देसी घी का चोला चढ़ाता है तो माता उसकी सारी मनोकामना पूर्ण कर देती है।

संदर्भ :-

1. https://en.wikipedia.org/wiki/Amarthal_urf_Unchagaon
2. https://www.patrika.com/noida-news/bulandshahar-avantika-devi-mandir-proof-
3. http://www.unchagaonresorts.com/index.php
4. http://www.arounddelhi.com/fort_unchagaon.htm

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