रविवार के इस दिन चलिए बात करते हैं बचपन में रविवार से जुड़ी कुछ यादों की। बचपन से ही रविवार का इंतज़ार हमें बड़ी उत्सुकता से रहता था। ऐसा इसलिए क्योंकि यही एक दिन था जब हमें ना तो स्कूल ट्यूशन की चिंता थी, न ही पढ़ाई की और न ही किसी और चीज़ की। और इस सब में एक और चीज़ थी जो हमें रविवार को सुबह जल्दी उठकर नहाकर तैयार होने की प्रेरणा देती थी। हम बात कर रहे हैं हर रविवार सुबह टी.वी. पर प्रसारित होने वाली ‘महाभारत’ की।
क्यों, आ गयी ना बचपन की याद। परन्तु यदि अब हम आपको बोलें कि बी.आर. चोपड़ा द्वारा बनाये गए इस कार्यक्रम की प्रेरणा असल में विदेश से भारत में आई तो? नहीं मानते न। परन्तु सन 1988 में टी.वी. पर महाभारत के प्रसारण से पहले सन 1985 में एक ब्रिटिश नाटककार और पटकथा लेखक पीटर ब्रुक ने फ्रांस में इसे एक नाटक का रूप दिया था। यह एक 9 घंटे का नाटक था जिसे बाद में टी.वी. के लिए करीब 6 घंटे का कर दिया गया। इस फिल्म को ऊपर दिए गए वीडियो पर क्लिक कर देखा जा सकता है। इसकी पटकथा लिखने में पीटर को 8 साल लगे थे तथा इसमें उनकी सहायता की थी जॉन क्लौड केर्रिएर और मैरी हेलेन एसटीएन ने।
जब इस नाटक को एक फिल्म में तब्दील करने की बात आई तो 16 देशों से 21 कलाकारों को चुना गया। फिल्म में प्रयोग किया गया संगीत रबिन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित था जिसे आप ऊपर दिए गए वीडियो में देख सकते हैं। भारत की मल्लिका साराभाई ने द्रौपदी का किरदार निभाया, वहीँ अफ्रीकी कलाकारों ने भीम, भीष्म, कर्ण और कुंती का किरदार निभाया और एशियाई कलाकारों ने द्रोणाचार्य और गांधारी का किरदार निभाया। सभी महाकाव्यों की तरह, महाभारत भी सिर्फ अपनी सृष्टि वाली भूमि के लिए नहीं था। यह वास्तव में एक वैश्विक परियोजना थी, जिसने दुनिया भर के दर्शकों के आगे भारतीय महाकाव्य को पेश किया।
संदर्भ:
1.https://scroll.in/magazine/881133/mahabharata-doesnt-belong-to-one-country-or-race-peter-brooks-nine-hour-play-is-proof-of-that
2.https://en.wikipedia.org/wiki/The_Mahabharata_(1989_film)
3.https://en.wikipedia.org/wiki/The_Mahabharata_(play)
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