ब्रिटिश शासन में कई उच्च आधिकारियों द्वारा सुरक्षा और राजनैतिक कारणों से कई यात्राएं की जाती थीं। इन यात्राओं ने भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन यात्राओं के कारण भारत से जुड़े उस काल के कई तथ्य सामने आये हैं। इन्हीं में से एक है 1819 और 1820 के दौरान की ब्रिटिश लेफ्टिनेंट थॉमस लम्सडेन द्वारा की गई दुर्लभ यात्रा। उनकी इस रिपोर्ट (“अरब, फारस, आर्मेनिया, जॉर्जिया, रूस, ऑस्ट्रिया, स्विट्ज़रलैंड और फ्रांस से होते हुए भारत के मेरठ से लंदन तक की एक यात्रा”) को 1822 में लंदन में प्राकाशित किया गया, जिसमें उनके द्वारा बनाया गया यात्रा का भ्रमण संबंधी एक मानचित्र भी शामिल है। इस किताब का नाम “भारत से ब्रिटेन तक की यात्रा” से जाना जाता है।
लेखक थॉमस लम्सडेन का जन्म 1789 में हुआ था, और 08 दिसंबर, 1874 को उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने सन 1821 में हे बर्नेट से विवाह किया था। उन्होनें इस यात्रा का प्रारम्भ मेरठ से कलकत्ता तक की यात्रा से किया था। उन्होंने बताया कि भारत में ग्यारह साल की सेवा करने के बाद उन्हें अपने मूल देश में जाने का मौका मिला था। इस यात्रा की शुरुआत मेरठ से रविवार 3 अक्टूबर 1819 को सुबह दो बजे हुई थी। थॉमस लम्सडेन ने बताया कि मेरठ (जो कि एक बड़ी सैन्य छावनी है) से उन्होंने मऊ गांव के लिये छोटी गाड़ियों में यात्रा की, जहां उनके घोड़े उनके आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। वहां से वे नौ मील दूर शाहजहांपुर गांव में चले गए, और कुछ खूबसूरत आम के पेड़ों की छाया के नीचे कैंप (Camp) डाला।
जब वे शाजहांपुर से लगभग दस मील दूर राजसी नदी के तट पर पहुंचे, तब प्रत्येक व्याक्ति उस नाव को देखने गया जहां उसके लिये सुविधा प्रदान करने के लिये नौकर पहले से ही तैयार थे। इसका भार लगभग बीस टन था, और लम्बाई चालीस फीट थी। यहां से थॉमस ने कलकत्ता में नाव के उपयोग के लिए कुछ पैसों का भुगतान किया और 1200 मील की दूरी पर स्थित कलकत्ता तक की अपनी यात्रा पूरी की।
उसके बाद उन्होंने नाव से अरब खाड़ी तक, और ज़मीन पर फ़ारस, कौकेसस और दक्षिणी रूस का सफ़र तय किया। साथ ही उन्होंने रस उल-खैमाह के खिलाफ ब्रिटिश नौसेना के विवादास्पद 1819 अभियान के तुरंत बाद मस्क़त से बुशेहर तक खाड़ी के माध्यम से अपनी यात्रा का वर्णन भी किया है।
इस तरह की यात्रा के दौरान विवरण करने वाला अपने जीवन को अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित कर देता है। वे यात्रा के दौरान दिन-प्रतिदिन हर परिस्थिति के बारे में, यात्रा कार्यक्रम, विभिन्न चरणों की स्थिति, एक स्थान की दूसरे से दूरी, जिनमें वे स्थित हैं उन स्थानों का नाम, दौरे की संबंधित तिथियां आदि का सही-सही वर्णन करते हैं। ताकि भविष्य में अन्य यात्रियों के लिए जितना संभव हो सके पूरे मार्ग के मानचित्र के साथ अच्छा काम किया जा सके।
संदर्भ:
1.http://www.sothebys.com/en/auctions/ecatalogue/lot.82.html/2017/travel-atlases-maps-l17405
2.https://goo.gl/HuuSRS
3.http://catherineclarke6.wixsite.com/myers/lumsden-family
4.https://www.abebooks.com/first-edition/Journey-Merut-India-London-Arabia-Persia/22823673980/bd
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