1857 की क्रांति में थी सदर बाजार की ख़ास भूमिका

मेरठ

 12-10-2018 05:04 PM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

1803 में औपचारिक रूप से मराठों के साथ एक संधि के माध्यम से ब्रिटिशों ने मेरठ में आगमन किया। साथ ही 1806 में मेरठ में विशिष्ट रणनीतिक हितों के लिए मेरठ छावनी को स्थापित किया गया, जो जल्द ही सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण सैन्य स्टेशनों में से एक बन गया। वहीं 1857 तक मेरठ छावनी में तीन मूल (भारतीय) रेजिमेंट और तीन ब्रिटिश रेजिमेंट थे, जो एक साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत संचालित मेरठ गैरीसन का गठन करते थे। भारतीय रेजिमेंट में दो पैदल सेना (11वीं और 20वीं एन.आई.) और एक घुड़सवार सेना (मूल लाइट कैवेलरी रेजिमेंट) थी। छावनी का मुख्य बाज़ार सदर बाज़ार था।

भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन के पहले चरण ‘1857 की क्रांति’ का प्रभाव मेरठ में भी स्‍पष्‍ट रूप से देखने को मिला। 23 अप्रैल 1857 में जब कर्नल कारमाइकल स्मिथ ने कैवलरी रेजिमेंट को एनफील्ड राइफल के कारतूस के उपयोग की नई तरकीब सिखाने हेतु एक परेड का आयोजन (24 अप्रैल, 1857 को) करने का आदेश दिया तो सिपाहियों द्वारा इस राइफल का उपयोग ना करने की शपथ ली गयी। जिसके पीछे उनकी धार्मिक भावना प्रमुख कारण थी।

24 अप्रैल को आयोजित परेड में, 90 में से 85 सिपाहियों ने विवादित कारतूस को छूने से इनकार कर दिया। वहीं उन 85 सिपाहियों के खिलाफ 6, 7, और 8 मई 1857 को एक विशेष अदालत का आयोजन किया गया जिसमें उन सबको 10 साल की सख्त कारावास की सजा सुनाई गयी। 24 अप्रैल से 9 मई 1857 के बीच, मेरठ छावनी की कई इमारतों में तीरों के द्वारा आग लगायी गयी, इस आग का कारण अंग्रेजों द्वारा तीव्र गर्मी समझा गया।

9 अप्रेल को ब्रिटिशों द्वारा इन्फैंट्री परेड ग्राउंड में मेरठ सैनिकों की एक विशेष परेड बुलायी गयी, जिसके माध्‍यम से वे भारतीय सैनिकों के अंदर अपना डर पैदा करना चाहते थे। ब्रिटिश सेना ने भारतीय सैनिकों को चारों ओर से घेर लिया। और सजा सुनाए गए 85 सैनिकों की वर्दी सार्वजनिक रूप से फाड़ दी गई और उन पर हथौड़े मारे गए। ब्रिटिश सरकार को लगा कि अब उनके खिलाफ कोई नहीं बोलेगा। परन्तु वे गलत थे, इस भयावह दृश्य को देख अन्‍य सैनिकों और मेरठ निवासियों के अंदर क्रोध उत्पन्न हो गया।

क्रोध में आए हुए लोगों ने अगले दिन 10 मई को ब्रिटिशों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। कई भारतीय नौकर ब्रिटिश के घरों में काम के लिए नहीं गए, और छुट्टी का दिन था तो ब्रिटिश सैनिक और अधिकारी मनोरंजन के लिए सदर बाज़ार चले गए। लेकिन शाम लगभग 5:30 बजे सदर बाज़ार में एक अफवाह फैल गयी कि ब्रिटिश अनुशासन मेरठ के मूल सैनिकों से अस्त्र-शस्त्र छीनने के लिए आ रहे हैं। यह एक ऐसी प्रमुख चिंगारी थी जिसने मेरठ के निवासियों के साथ-साथ सिपाहियों के दिलों में क्रोध की आग को और भी भड़का दिया। जिससे सिपाहियों और निवासियों द्वारा सदर बाज़ार में उपस्थित हर यूरोपीय पर हमला करना शुरु कर दिया गया। यहां तक कि सदर कोतवाली की पुलिस द्वारा कई मामलों में बाजार के निवासियों का नेतृत्व किया जा रहा था, जो बिना म्यान की तलवारों के साथ सामने आ रहे थे।

सदर बाज़ार इतना महत्वपूर्ण स्थान बन गया था कि 1910-1920 में अंग्रेजों द्वारा छपे गए चित्र पोस्टकार्ड में इसे भी एक स्थान दिया गया था। इस पोस्टकार्ड का चित्र नीचे दर्शाया गया है:

स्थिति को संभालने के लिए मूल रेजिमेंट के ब्रिटिश अधिकारी परेड मैदान में पहुंचे, लेकिन वहाँ मौजूद सिपाहियों ने दृढ़ता से कहा कि ‘कंपनी राज हमेशा के लिए खत्म हो गया है’। और साथ ही लॉ इन्फैंट्री के कमांडेंट, कर्नल जॉन फिनिस की गोली मार के हत्या कर दी गयी। और बाकी के अधिकारियों पर भी शूटिंग शुरू कर दी गयी। उसके बाद यहाँ तीन मूल रेजिमेंटों के सभी सिपाही की एक बैठक में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन लड़ने का फैसला लिया गया और वहाँ उपस्थित सभी को सूचित किया गया कि सबको दिल्ली पहुंचना होगा। यह आंदोलन अगले दिन 11 मई को किया गया, और इस प्रकार स्वतंत्रता संग्राम 1857 का आंदोलन शुरु हुआ।

संदर्भ:
1.http://www.indiandefencereview.com/spotlights/the-great-upsurge-of-1857-historical-sites-in-meerut-cantonment/
2.http://usiofindia.org/Article/Print/?pub=Journal&pubno=581&ano=766
3.https://www.ebay.ie/itm/India-Old-Colour-Postcard-Sudder-Bazaar-Meerut-Bazar-Market-Street-Scene-Carts-/382562816110?hash=item591285506e

RECENT POST

  • चलिए अवगत होते हैं, भारत में ड्रॉपशिपिंग शुरू करने के लिए लागत और ज़रूरी प्रक्रियाओं से
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:30 AM


  • आध्यात्मिकता, भक्ति और परंपरा का संगम है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:26 AM


  • भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लचीलेपन का श्रेय जाता है, इसके मज़बूत डेयरी क्षेत्र को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     13-01-2025 09:26 AM


  • आइए, आज देखें, भारत में पोंगल से संबंधित कुछ चलचित्र
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:30 AM


  • जानिए, तलाक के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए, कुछ सक्रिय उपायों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:26 AM


  • इस विश्व हिंदी दिवस पर समझते हैं, देवनागरी लिपि के इतिहास, विकास और वर्तमान स्थिति को
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:31 AM


  • फ़िनलैंड के सालाना उपयोग से अधिक विद्युत खपत होती है, क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:27 AM


  • आइए जानें, भारत और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के बीच के अंतरों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:26 AM


  • आइए जानें, हमारी प्रगति की एक प्रमुख चालक, बिजली के व्यापार के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:43 AM


  • भारत में परमाणु ऊर्जा का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक सशक्त कदम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id