अरबी लिपि के विभिन्‍न सजावटी स्‍वरूपों में से एक रज़ा पुस्तकालय में

मेरठ

 12-10-2018 04:24 PM
ध्वनि 2- भाषायें

जब किसी बात को ज़ुबान से बयां करते हैं तो वहां भाषा का प्रयोग होता है तथा वही बात जब हम शब्‍दों में लिखकर बयां करते हैं तो वहां लिपि का प्रयोग किया जाता है। विभिन्‍न भाषाओं में अलग-अलग लिपियों का प्रयोग देखने को मिलता है। आज हमें कोई भी बात लिखनी हो या उसकी अन्‍य प्रतिलिपि तैयार करनी हो तो इसके लिए हमें अनेक आधुनिक विकल्‍प मिल जाऐंगे किंतु प्राचीन समय में इस प्रक्रिया हेतु हस्‍तलेखन एकमात्र साधन होता था। हमें आज जितने भी एतिहासिक ग्रंथ (धार्मिक या अन्‍य) प्राप्‍त हुए हैं वे सभी हस्‍तलिखित हैं बस उनमें अन्‍तर इतना था कि इन्‍हें तैयार करने के लिए भिन्‍न-भिन्‍न लिपियों (ब्रह्मी, देवनागरी, अरबी आदि) का प्रयोग किया गया था।

अरब में इस्‍लाम धर्म के उद्भव के साथ ही यह अत्‍यंत तीव्रता से विश्‍व में फैला। इसके विस्‍तार के साथ ही इसके सबसे पवित्र ग्रंथ कुरान का फैलाव भी विश्‍व में होना स्‍वभाविक था। कुरान प्रमुखतः अरबी लिपि में लिखी गयी थी तथा इस्‍लाम धर्म में पवित्र ग्रंथ में किसी भी प्रकार की मानवीय छवि के उपयोग की सख्‍त मनाही थी। अतः विभिन्‍न लेखकों द्वारा इस ग्रन्‍थ की प्रतिलिपियों को खूबसुरती से सजाने के लिए अनेक सजावटी लिपियों का प्रयोग किया गया, जिसके हस्तलिखित पृष्‍ठ आज भी विश्‍व के विभिन्‍न भागों में देखने को मिलते हैं।

7वीं से 8वीं शताब्‍दी के मध्‍य अरबी लिपि के एक प्राचीन रूप ‘कूफ़ी लिपि’ का विकास इराक के कुफा शहर में हुआ। 11वीं शताब्‍दी के दौरान कुरान की प्रतिलिपि तैयार करने के लिए यह लिपि प्रमुख लिपि बन गयी थी। इस लिपि का प्रयोग कुरान के लिए ही नहीं वरन् प्रारंभिक तुर्की साम्राज्‍य के सिक्‍कों, सार्वजनिक स्‍थलों, घरों, सेल्‍जुक की स्‍मारकों एवं सिक्‍कों की सजावट में भी देखने को मिलता है। आप आधुनिक इराक और इरान के झण्‍डों में भी इस लिपि का स्‍वरूप देख सकते हैं। इसी दौरान मात्र कूफ़ी ही नहीं वरन् विश्‍व के अन्‍य भागों में भी अनेक लिपियां उभरकर सामने आयीं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

मग़रीबी लिपि (11 वीं शताब्‍दी)

दक्षिणी स्‍पेन और उत्‍तरी अफ्रिका में इस लिपि का प्रयोग देखने को मिला। इस लिपि में उच्‍चारण चिह्नों, विभिन्‍न रंगों जैसे लाल, हरे, नीले, सुनहरे आदि से अक्षरों को सजाया जाता था। इस लिपि की कुरान को हल्‍के गुलाबी रंग के खुबसूरत पन्‍नों में लिखा गया है। जिसका स्‍वरूप मलेशिया के इस्लामी कला संग्रहालय में देखा जा सकता है।

रेहानी लिपि (12 वीं शताब्‍दी)

इस लिपि का प्रयोग मिस्र में किया गया। इरान के एक लेखक द्वारा इस लिपि में लिखा गया एक हस्‍तलेख अफ्रीका के एक कांग्रेस पुस्‍तकालय में रखा गया है। इसका चित्र नीचे ऊपर दर्शाया गया है।

मुहक्‍कक लिपि (14वीं शताब्दी)

14वीं शताब्‍दी में कूफ़ी लिपि के विभिन्‍न कर्सिव लेखन (Cursive writing) उभरे जिनमें से एक मुहक्‍कक लिपि भी थी। यह लिपि अपने पतले लंबवत और व्‍यापक स्‍वरूप के लिए प्रसिद्ध थी। कुरान की प्रतिलिपियां तैयार करने हेतु यह लिपि मिस्र, भारत में काफी लोकप्रिय हुयी।

नस्‍ख लिपि

इस लिपि में कुरान को मात्र कागज़ों में ही नहीं वरन् कपड़े पर रंग करके भी लिखा गया था। कपड़े में इस कुरान को तैयार करने में लगभग दो वर्ष का समय लगा। भारत (हैदराबाद) में आज भी कपड़े में कुरान लिखने की परंपरा मौजूद है।

बिहारी लिपि (1400)

इस लिपि में कुरान लिखने की परंपरा भारत से मानी जाती है। रंगीन पृष्‍ठ पर रंग बिरंगी दवात (नीली, लाल, सुनहरी) का प्रयोग करके कुरान लिखी गयी थी।

इस प्रकार अनेक लिपियों में तैयार कुरान की प्रतिलिपियां विश्‍वभर में संग्रहित हैं। 7वीं शताब्‍दी में लिखी गयी कुरान शरीफ की एक दुर्लभ प्रतिलिपि को रामपुर के प्रसिद्ध रज़ा पुस्‍तकालय में संरक्षित रखा गया है। इस क़ुरान के एक पन्ने को सबसे ऊपर दिए गए चित्र में दर्शाया गया है जहाँ लिखावट कूफ़ी लिपि में है।

संदर्भ:
1.https://en.m.wikipedia.org/wiki/Kufic
2.https://www.britannica.com/topic/Kufic-script
3.http://www.theheritagelab.in/quran-calligraphy/
4.https://ranasafvi.com/raza-library-rampur/

RECENT POST

  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id