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नवरत्न एक संस्कृत यौगिक शब्द है जिसका अर्थ है "नौ रत्न"। सामान्य तौर पर ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार ज्योतिष में मात्र नवरत्नों को ही प्रमुखता दी जाती है। भारतीय मान्यतों में माणिक्य, हीरा, मोती, नीलम, पन्ना, मूँगा, गोमेद, तथा वैदूर्य को नवरत्न माना गया है। ये रत्न ही समस्त सौरमण्डल के प्रतिनिधि माने जाते हैं। हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म,सिख धर्म तथा अन्य धर्मों में नवरत्न आभूषणों का बड़ा ही ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।
रत्न कोई भी हो अपने आप में प्रभावशाली होता है। रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज़्यादा पहने जाते हैं। हिंदू ज्योतिष के अनुसार, पृथ्वी पर जीवन नौ ग्रहों से प्रभावित है। प्रत्येक ग्रह एक व्यक्ति के जीवन को उसकी कुंडली के स्थान अनुसार विशिष्ट रूप से प्रभावित करता है।प्रत्येक ग्रह में एक संबंधित रत्न है जो बदले में उस विशेष ग्रह से जुड़े ब्रह्मांडीय किरणों की शक्ति का उपयोग करने की क्षमता रखता है। नौ रत्न पहनने से पहनने वाले को ज्योतिषीय संतुलन और लाभ प्रदान होता है। हिंदू ज्योतिष यह भी कहता है कि इन रत्नों का संभावित रूप से मानव जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव दोनों हो सकते हैं, और ज्योतिषीय रत्नों को वैदिक ज्योतिषी से परामर्श करने के बाद ही पहना जाना चाहिए।
आइये जानते हैं नौरत्नों और इनसे संबंधित ग्रहों के बारे में:-
माणिक्य सूर्य ग्रह का रत्न है। माणिक्य को अंग्रेज़ी में 'रूबी' कहते हैं। माना जाता है कि रूबी जीवन शक्ति, नेतृत्व, स्वतंत्रता और शुद्धता के गुणों को बढ़ाने के लिए उपयोगी होता है। ध्यान केंद्रित करने और नेतृत्व के गुणों को बनाए रखने के लिए अक्सर इस रत्न का उपयोग किया जाता था।
मोती चन्द्र ग्रह का रत्न है। मोती को अंग्रेज़ी में 'पर्ल' और संस्कृत में मुक्ता कहते हैं। प्राकृतिक मोती का उपयोग अक्सर औषधीय गुणों के लिए आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है। इसमें पहनने वाले की भावनात्मकता में स्थिरता, मानसिक शक्ति में वृधि, मित्रता और संतुष्टि बढ़ाने की क्षमता होती है।
मूँगा मंगल ग्रह का रत्न है। मूँगा को अंग्रेज़ी में 'कोरल' और संस्कृत में प्रवाल कहते हैं, जो आमतौर पर लाल रंग का होता है। लाल रंग को अक्सर जीवन शक्ति और कामुकता से जोड़कर देखा जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है यह पहनने वाले को ऊर्जा प्रदान करने के साथ में अंतर्दृष्टि और साहस भी प्रदान करता है।
पन्ना बुध ग्रह का रत्न है। पन्ना को अंग्रेज़ी में 'एमेराल्ड' और संस्कृत में मरकत कहते हैं। यह माना जाता है कि इसे पहनने वाले को मानसिक रूप से सतर्कता, संचार कौशल और मानसिक नियंत्रण में सुधार करने में मदद मिलती है । इसे पेट की बीमारियों के लिए भी अच्छा माना जाता है।
पुखराज गुरु या बृहस्पति ग्रह का रत्न है। पुखराज को अंग्रेज़ी में 'टोपाज' और संस्कृत में पुष्यराग कहते हैं।पुखराज एक मूल्यवान रत्न है। यह न्याय, उत्साह, आनंद और करुणा जैसे गुणों के लिए उपयोगी माना जाता है। जब इसे ज्योतिषी की सलाह से पहना जाता है, तो यह जीवन को खुशहाल और समृद्ध बना सकता है।
हीरा शुक्र ग्रह का रत्न है। अंग्रेज़ी में हीरा को 'डायमंड' और संस्कृत में वज्र कहते हैं। हीरा एक प्रकार का बहुमूल्य रत्न है जो व्यक्ति के जीवन में कृपा, आकर्षण और कलात्मक क्षमताओं को बढ़ाकर संतुलन लाने में मदद करता है। हीरे हर किसी के पहनने के लिए आमतौर पर सुरक्षित होते हैं।
नीलम शनि ग्रह का रत्न है। नीलम को अंग्रेज़ी में 'ब्लू सैफायर' तथा संस्कृत में इन्द्रनील कहते हैं। शनि ग्रह के साथ इसके संबंध के कारण नीलम सावधानी से पहनना चाहिए, और पहनते समय इसके आकार और शुद्धता का भी ध्यान रखना चाहिए।
गोमेद राहु ग्रह का रत्न है। गोमेद को अंग्रेज़ी में 'हेसोनाइट' तथा संस्कृत में गोमेदक कहते हैं। यह बाहरी स्रोतों के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है और पहनने वाले के दिमाग में स्पष्टता की भावना लाता है।
लहसुनिया केतु ग्रह का रत्न है। लहसुनिया रत्न में बिल्ली की आँख की तरह का सूत होता है। इसको वैडूर्य भी कहा जाता है।
मनुष्य अनादिकाल से ही रत्नों की तरफ आकर्षित रहा है, वर्तमान में भी है तथा भविष्य में भी रहेगा। रत्न प्राचीन काल से ही आभूषणों के रूप में शरीर की शोभा बढ़ाते आ रहे हैं।
आइए एक नजर नवरत्न आभूषण के ऐतिहासिक महत्व पर भी डालते है:
प्राचीन काल के दौरान, नवरत्न आभूषण मुख्य रूप से राजाओं और सम्राटों के द्वारा ही पहने जाते थे। उस समय माना जाता था कि प्रत्येक रत्न एक देवता से जुड़ा हुआ है ,इसलिए इन नौ रत्नों का संयोजन स्वर्गीय निकायों की वैश्विक शक्तियों का आह्वान करता है। इन नवरत्नों(विशेष रूप से हीरा)ने भारत के इतिहास को आकार देने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्राचीन भारत में नौ रत्नों को बहुत शक्तिशाली माना जाता था। उस वक़्त केवल महाराजा और उनके क़रीबी रिश्तेदारों को शाही पगड़ी पर रत्न पहनने की अनुमति थी। राजाओं और सम्राटों को ही नवरत्न आभूषण पहनने का विशेषाधिकार दिया गया था। नौ रत्नों में हीरा सबसे शक्तिशाली माना जाता है। ऐतिहासिक रूप से हीरे का महत्व बहुत है। हीरे को शासक सुरक्षा के बदले, श्रद्धांजलि के रूप में या दुश्मन राजा को आत्मसमर्पण करने पर एक प्रतीक तौर पर भेट किया जाता था।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Navaratna
2.https://www.culturalindia.net/jewellery/types/navratna-jewelry.html
3.http://www.navaratnagems.com/
4.https://www.gemstoneuniverse.com/navratnagemstonesinlanguages.php
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