शौक, जुनून और सनक को समझाती एक शोर्ट फिल्म

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
07-10-2018 10:00 AM

अपने जीवन को एक संतुलित तरीके से जीने के लिए कोई न कोई शौक होना अत्यंत आवश्यक है। किसी को संगीत का शौक होता है तो किसी को पढ़ने का, किसी को लिखने का तो किसी को फिल्म देखने का। परन्तु हर किसी व्यक्ति का कोई न कोई शौक ज़रूर होता है जो उसकी ज़िंदगी में एक नाया रंग जोड़ता है तथा उसे एक ख़ुशी की भावना प्रदान करता है। आज हम आपके सामने एक ऐसा ही वीडियो प्रस्तुत करने जा रहे हैं जिसमें एक औरत को बुनाई का शौक होता है।

यह औरत एक पहाड़ी पर बैठी अकेले में कढ़ाई कर रही होती है परन्तु कुछ समय बाद कुछ ऐसा होता है जिसकी वजह से उसकी बुनाई में अड़चन आने लगती है। परन्तु उस परिस्थिति की गंभीरता को न समझते हुए वह अपनी बुनाई जारी रखती है। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तक इस औरत का शौक इसके जुनून में बदल चुका है। हर मुश्किल से लड़ती हुई वह बुनाई करती जाती है लेकिन एक समय पर ऊन का गोला ख़त्म हो जाता है। और फिर जो वह करती है, उससे यह साबित हो जाता है कि उसका जुनून अब एक सनक में परिवर्तित हो चुका है। वह चाहकर भी नहीं रुक सकती। फिर चाहे इससे उसे खुद किसी हानि का सामना क्यों न करना पड़ जाए।

मानव को अपने जीवन में एक संतुलन खोजने की बहुत अधिक आवश्यकता है। जिस प्रकार संतुलन के बिना एक दुपहिया वाहन डगमगाने लगता है, ठीक उसी प्रकार यदि हमारा जीवन भी संतुलित न हो तो वह डगमगाने लगता है और अंत में हश्र वही होता है जो एक डगमगाए वाहन का होता है। इसी पाठ को सीखिए ऊपर दिए गए वीडियो पर क्लिक करके इसे देखकर।

संदर्भ:
1. https://www.youtube.com/watch?v=1CbxMU6KaJU