नाथूराम गोडसे एक ऐसा नाम जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के हत्यारे के रूप में पहचान मिली है। कुछ लोग गोडसे को महात्मा गांधी का क़त्ल करने वाला देशद्रोही बताते हैं तो कुछ लोग उन्हें देश के टुकड़े करने वाले गांधी को गोली मारने वाला देशभक्त मानते हैं। खैर गोडसे सही थे या गलत ये फैसला हम आपके विवेक पर छोड़ते हैं।
यह तो हम नहीं कह सकते कि नाथूराम गोडसे ने गांधी जी हत्या कर के सही किया या नाथूराम गोडसे जी को फाँसी दे कर गांधी जी और देश के साथ न्याय किया गया। परंतु इतना जरूर कह सकते हैं कि जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार हर इंसान में कुछ दोष के साथ कुछ गुण भी होते है या हम यह भी कह सकते हैं कि हर व्यक्ति के नायक और खलनायक दोनों रूप होते हैं। कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से संपन्न नहीं हो सकता है। कोई भी कभी भी जन समाज में हर व्यक्ति के लिये आदर्श नहीं बन सकता है। यदि हम किसी व्यक्ति को आदर्श मानते हैं तो कोई जरूरी नहीं होता है कि अन्य भी आपका समर्थन करे। आपके विचार अलग हैं तो अन्यों के अलग, और हमारा देश हर किसी को विचारों की स्वतंत्रता का हक है।
आज ऐसी ही दो विचारों के बीच की लड़ाई हमारे देश में देखनें को मिल रही है। जहां पूरा देश 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मना रहा है वहीं यूपी के मेरठ में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने अपने कार्यालय पर रविवार को नाथूराम गोडसे की मूर्ति का अनावरण करके उनका माल्यार्पण किया। अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने राष्ट्रपिता के जन्मदिन को 'धिक्कार दिवस' के रूप में मनाते हैं। इस महासभा ने इससे पहले दिसंबर 2014 में गोडसे की प्रतिमा का अनावरण करना चाहा था, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद से हिंदू संगठन लगातार इस कोशिश में लगा रहा। श्री शर्मा ने कहा कि अब कोई विवाद न हो इसी कारण मंदिर में अपने आवास पर प्रतिमा की स्थापना की है। महासभा के यूपी प्रेसिडेंट योगेन्द्र वर्मा ने बताया कि गोडसे की प्रतिमा पत्थर से बनी है और इसकी लंबाई-चौड़ाई दो फीट है। जयपुर में बनी यह प्रतिमा 50 किलो वजनी है और इसका का खर्च महासभा के मेरठ ऑफिस ने उठाया है।
इस घटना से कई लोग खुश हैं तो कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं। यहां तक की वे हिंसा पर भी उतारू होने की धमकी दे रहे हैं। अब कई लोगों के मन में कई प्रश्न भी उठ रहे होंगें:- जब कुछ लोग गोडसे को प्रशंसा करने योग्य कोई व्यक्ति मानते हैं उनकी मूर्तियां बनाना चाहते हैं तो उस का विरोध करके हम उनके विचार और भाषण की स्वतंत्रता का हनन नहीं कर रहे है? यदि किसी को गांधी की स्तुति करने का अधिकार है, तो क्या दूसरों को उनकी आलोचना करने का अधिकार है? परंतु हम सभी को सही गलत से उपर उठ कर सोचना होगा कि वास्तव में हम कितना भ्रष्टाचार, पाखंड और हिंसा के विचारों से दूर रहते है। हमने कितना गांधी जी के अहिंसा और त्याग के विचारों को अपनाया है। जब हम ही कितना भ्रष्टाचार और हिंसा के मार्ग पर चलेंगे तो हम कैसे कह सकते है कि क्या सही है और क्या गलत?
1. https://timesofindia.indiatimes.com/city/meerut/Nathuram-Godses-statue-unveiled-on-Gandhi-Jayanti-in-Meerut/articleshow/54639679.cms
2. https://www.indiatimes.com/news/india/india-s-first-statue-of-gandhi-killer-nathuram-godse-unveiled-by-hindu-mahasabha-in-meerut-262820.html
3. https://www.jagran.com/uttar-pradesh/meerut-city-statue-of-nathuram-godse-established-in-meerut-14812196.html
4. https://www.firstpost.com/india/gandhi-vs-godse-we-have-to-go-beyond-the-binaries-of-good-and-evil-1857109.html>
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