हाल ही में जैन धर्म के अनुयायियों ने वार्षिक 'पर्युषण' महापर्व मनाया था। यह एक अवधि है जब जैन धर्मी कुछ दिनों तक उपवास करते हैं। आइए जानें उपवास के स्वास्थ्य लाभों को। उपवास, अर्थात शरीर को कुछ समय के लिए नियमित भोजन से मुक्त रखना। चिकित्स्कों के अनुसार उपवास हमारे शरीर के लिए बहुत लाभकारी है, बशर्ते सही मात्रा में फल, सब्जियां, दूध उत्पाद तथा शर्करा रहित पेय पदार्थों का सेवन किया जाए। किन्तु हर व्यक्ति उपवास रखने में समर्थ हो यह आवश्यक नहीं क्योंकि उपवास रखने के लिए हमारे शरीर का रोग मुक्त होना भी अनिवार्य है। एक व्यक्ति की दिनचर्या का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि, जाने अनजाने में हमारा शरीर तले भुने और मसालेदार भोजन की ओर आकर्षित हो चुका है, ऐसे में सात्विक भोजन खाना और उपवास रखना कई लोगों के लिए जटिल समस्या से कम नहीं।
पोषण और कल्याण विशेषज्ञों की मानें तो उपवास के अनेकों लाभ होते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. फल, लस्सी (मक्खन), नींबू पानी, सेंधा नमक जैसे हल्के भोज्य पदार्थ तंत्र को सही प्रकार से कार्य करने में मदद करते हैं, जो कब्ज और निर्जलीकरण को रोकने में मदद करता है।
2. उपवास मन को शांत करता है तथा व्यक्ति को आत्म-अनुशासित बनाता है, साथ ही हमें अनावश्यक भोजन खाने से दूर रखता है।
3. उपवास के कारण, शरीर में इंसुलिन कम हो जाता है क्योंकि शरीर में चीनी की पर्याप्त और स्थिर खुराक नहीं पहुँच पाती है। इसलिए, हार्मोन के गिरने से इंसुलिन प्रतिरोध वाले व्यक्तियों में इसकी संवेदनशीलता बढ़ती है।
4. उपवास के दौरान रक्त ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) कम हो जाते हैं। वसीय रक्त होने से संकुचित धमनियों के विकास का खतरा बढ़ जाता है। तो, उपवास इस खतरे को कम करता है।
5. नारियल पानी और हर्बल चाय जैसे तरल पदार्थ शरीर से विषाक्त पदार्थों को दूर करने और शरीर में इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं।
6. उपवास रखने से पुरानी प्रतिरक्षा कोशिकाएँ साफ़ होती हैं और पुन: निर्मित होती हैं। यह प्रक्रिया बढ़ती उम्र और कीमोथेरेपी (Chemotherapy) जैसे कारकों से हुई कोशिकाओं की क्षति से हमें बचाती है।
7. लेप्टीन, जो कि एक बहुतायत में मौजूद हार्मोन है, भी थायराइड हार्मोन का उत्पादन बढ़ाता है। उपवास के कारण, लेप्टिन संवेदनशीलता बढ़ जाती है और इससे, थायराइड मरीजों में चयापचय (Metabolism) की दर भी बढ़ जाती है।
कई लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि उपवास में कुछ प्रकार के भोजन का सेवन वर्जित होता है जबकि कुछ प्रकार के भोजन का सेवन किया जा सकता है जैसे सेंधा नामक, फल, दुग्ध पदार्थ इत्यादि।
सर्वप्रथम तो यह समझना आवश्यक है कि अन्न-जल त्याग देना किसी भी प्रकार उचित नहीं होता, ना ही यह मनुष्य को ईशवर से जोड़ता है। सात्विक भोजन और संतुष्ट मन ही सच्ची श्रद्धा के मानक हैं। नमक एक महत्वपूर्ण तत्व है जो हमारे शरीर के pH मान को सही बनाए रखने में मदद करता है और पाचन शक्ति मज़बूत करता है। नमक जल प्रतिधारण और रक्तचाप विनियमन में सहायता करता है। इसकी कमी अक्सर मांसपेशियों की ऐंठन का कारण बन सकती है। नमक का वर्णन आयुर्वेद में किया गया है, जिसके अनुसार सेंधा नमक, नमक का एक शुद्ध रूप है। इसमें सोडियम की मात्रा कम तथा पोटेशियम की मात्रा अधिक है, जो रक्तचाप के स्तर को प्रभावित किए बिना शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन रखने में मदद करता है।
सेंधा नमक को उपवास के दौरान भोजन में सम्मिलित करने के पीछे इसके गुणकारी लाभ हैं। यह आंखों को ठंडक पहुंचाता है और रक्तचाप के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। इसमें लौह, जस्ता, मैग्नीशियम और तांबे सहित कई अन्य खनिज तत्व शामिल होते हैं। नवरात्रि वर्ष में दो बार आती है, जब जलवायु परिवर्तन होता है, ऐसे में उपवास रखने से बदलते मौसम में शरीर को मज़बूत बनाने में मदद मिलती है। नियमित भोजन को पचाने में अधिक समय लगता है, यह शरीर में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जाना जाता है। नमक, शरीर के लिए खाए गए भोजन से आवश्यक पोषक तत्वों और खनिजों को अवशोषित करने में सहायता करता है।
इस प्रकार आप जान गये होंगे उपवास के धार्मिक लाभ की अपेक्षा बहुमुखी शारीरिक लाभ भी हैं। जिस कारण यह हर स्वस्थ व्यक्ति के लिए एक आवश्यक प्रक्रिया है।
संदर्भ:
1.https://indianexpress.com/article/lifestyle/fitness/benefits-of-fasting-which-you-should-know-4857744/
2.https://www.quora.com/Why-is-rock-salt-allowed-and-table-salt-not-allowed-during-navratri-fast
3.http://www.indiaparenting.com/indian-culture/70_5153/significance-of-paryushan-in-jainism.html
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