प्रत्येक जीव जिसका जन्म इस पृथ्वी पर हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है। अक्सर हमारे दिमाग में ये प्रश्न आता है कि मृत्यु के बाद का जीवन कैसा होता है? परंतु इसका निश्चित प्रमाण आज तक किसी को ज्ञात न हो सका है। मृत्यु के बाद हर धर्म में व्यक्ति के मृत शरीर का अलग-अलग प्रकार से अंतिम संस्कार किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं, इन प्रक्रियाओं से जुड़ी अलग-अलग मान्याताओं के बारे में:
हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार
जैसा कि हम जानतें हैं हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार के रूप में मृत व्यक्ति के शरीर को जलाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसका उद्देश्य मृतक को इस जीवनकाल में उसके नकारात्मक कर्मों से मुक्ती दिलाना और उसे उनके बंधनों से मुक्त कराना है, ताकि वह अपने पुनर्जन्म तक का सफ़र शांति से बिता सकें। वहीं हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार पार्थिव शरीर को सूर्यास्त से पूर्व दाह संस्कार करने का नियम है। इस अनुष्ठान में किया जाने वाला पहला कार्य शुद्धिकरण और मुक्ति का होता है। फिर शरीर को पृथ्वी (ब्रह्मा) पर रख उसे अग्नि (शिव) को समर्पित कर दिया जाता है, और फिर उसके शरीर की राख को जल (विष्णु) में विसर्जित कर दिया जाता है।
हिंदू धर्म में बच्चों (5 वर्ष से कम आयु के) और संतों को दफनाया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इनकी आत्मा पवित्र होती है। किसी भी प्रकार का पाप करने के लिए व्यक्ति की उम्र 5 साल से अधिक होनी चाहिए अतः इससे कम आयु के बच्चे पूर्णतः पवित्र होते हैं तथा उन्हें शुद्धि की कोई आवश्यकता नहीं है।
बौद्ध धर्म में अंतिम संस्कार
बौद्धों में जलाने और दफनाने, दोनों की ही परंपरा है, जो कि स्थानीय संस्कृति में चले आ रहे रीति रिवाज पर निर्भर करती है। शरीर के अंतिम संस्कार के समय भिक्षु या परिवार के सदस्य प्रार्थना करते हैं। संस्कारित अवशेष अगले दिन परिवार द्वारा एकत्र किए जाते हैं, जिसे या तो परिवार द्वारा अपने पास ही रखा जाता है या किसी अस्थिशेष रखने को समर्पित भवन (Columbarium) में रखा जाता है या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है। वहीं जो अभी भी शरीर को दफनाते हैं, उनके द्वारा ताबूत में पहले शरीर को रखा जाता है, फिर प्रार्थना की जाती है। उसके बाद शरीर को दफनाया जाता है।
इस्लाम धर्म में अंतिम संस्कार
इस्लामी कानून (शरिया) के अनुसार मृतक के शरीर के लिए जल्द से जल्द अंतिम संस्कार प्रक्रिया और तैयारियां शुरू करनी चाहिए। शरीर को पहले ठीक से नहलाया जाता है, फिर उसे सफेद चादर में ढक दिया जाता है। आखिर में शरीर को अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए मस्जिद में ले जाया जाता है।
कैथोलिक धर्म में अंतिम संस्कार
ऐतिहासिक रूप से, कैथोलिक धर्म अंतिम संस्कार के रूप में पार्थिव शरीर को जलाने का समर्थन नहीं करते थे। हालांकि, अब कैथोलिकों द्वारा भी पार्थिव शरीर को जलाने का समर्थन किया जा रहा है। पर उनके द्वारा अवशेषों को ज़मीन या समुद्र के अंदर दफना दिया जाता है। वह इसे विसर्जित नहीं करते हैं।
पारसी (जोरास्ट्रियन) धर्म में अंतिम संस्कार
पारसी (जोरास्ट्रियन) समुदाय द्वारा मृतक के शरीर को एक ऊंची पहाड़ी में "टॉवर ऑफ साइलेंस" (Tower of Silence) नामक जगह पर रखा जाता है। वह खुला होता है, ताकि सूर्य की किरणों से शरीर विघटित हो जाए और उसे गिद्धों को खाने के लिए छोड़ दिया जाता है।
प्रक्रियाएं चाहे कितनी भी भिन्न हों लेकिन इन सबका उद्देश्य व्यक्ति के पार्थिव शरीर को सम्मान देना होता है, ताकि उसकी आत्मा को शांति प्राप्त हो सके।
संदर्भ:
1.https://www.everplans.com/articles/13-different-religious-perspectives-on-cremation
2.https://www.spiritualresearchfoundation.org/spiritual-research/death-and-dying/Cremation-vs-burial
3.https://www.quora.com/Hinduism-Why-are-dead-Hindu-children-buried-instead-of-cremated
4.https://www.hindustantimes.com/delhi-news/why-holy-men-are-buried/story-kr2qDyizQDE0iMlzX5MZ3N.html
5.https://thediplomat.com/2018/03/paying-attention-to-indias-saints-of-all-faiths/
6.https://www.diffen.com/difference/Burial_vs_Cremation
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