1930 में भरी गयी थी इंग्लैंड से भारत की ओर पहली उड़ान

गतिशीलता और व्यायाम/जिम
04-09-2018 02:47 PM
1930 में भरी गयी थी इंग्लैंड से भारत की ओर पहली उड़ान

दुनिया में आये दिन अ‍नगिनत हादसे (कुछ बड़े और कुछ छोटे) होते हैं, जिनमें से कुछ हम भूल जाते हैं, तो कुछ हमेशा के लिए अपने जख्‍म छोड़ जाते हैं। दुनिया में अब तक अनगिनत अविष्‍कार हुए हैं, प्रत्‍येक अविष्‍कार से सबकी कोई ना कोई उम्‍मीद जुड़ी होती है, क्‍या होता है जब किसी अविष्‍कार से एक या दो व्‍यक्ति की नहीं वरन् पूरे राष्‍ट्र की उम्‍मीद जुड़ी हो और वह किसी हादसे का शिकार हो जाए। जी हां हम बात कर रहे हैं, 5 अक्‍टूबर 1930 में ब्रिटेन से भारत आने वाली ज़ेप्‍लीन की पहली फ्लाइट R.101 के हादसे की। चलिए जानें इस विमान हादसे की पूरी कहानी।

नागर विमानन (जिनकी शुरूआत द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद हुयी) द्वारा जो सुविधाऐं प्रदान की जाती हैं, ये सभी उम्‍मीदें 1930 में ब्रिटेन में तैयार किये जा रहे, जैप्‍लिन R101 से की जा रही थी,जो आकाश में उड़ने वाली विश्‍व की सबसे बड़ी एयरशीप बनके उभरने वाली थी। ब्रिटेन सरकार के पास 1922 में बनी योजना के तहत एक एयरशीप बनाने का प्रस्‍ताव आया। 1923 के चुनाव के बाद ब्रिटेन के नये वायुमंत्री लॉर्ड थॉमसन ने दो प्रयोगात्‍मक एयरशीप R101 और R100 बनाने की योजना तैयार की। इस एयरशिप का पूरा कार्यक्रम एयरशिप डेवलपमेंट के निदेशक (डीएडी), कैप्टन पेरेग्रीन फेलोस के दिशा निर्देश में प्रारंभ हुआ। विशिष्‍ट सुविधाओं से भरपूर तथा कठोर धातु से निर्मित 731 फिट (223 मीटर) लंबी, दुनिया की सबसे बड़ी एयरशीप का निर्माण 1929 में पूरा हुआ। यह ब्रिटेन की सरकार के लिए बहुत उत्‍साहवर्धक था, समुद्र में प्रचम लहराने के बाद, इसके माध्‍यम से वे आकाश में विजय पाना चाहते थे।

इतने वर्षों की मेहनत के बाद 5 अक्‍टूबर 1930 को वह एतिहासिक दिन आया जब इसने लॉर्ड थॉमसन सहित इसकी निर्माण समिति के 48 लोगों को लेकर ब्रिटेन से भारत के लिए अपनी पहली उड़ान भरी। लेकिन कौन जानता था की यह पहली उड़ान आखिरी बन जाएगी, फ्रांस के पास पहुंचने पर, यह एक पहाड़ी से टकरा गयी; जिस कारण इसका हाइड्रोजन गैस बैग फट गया तथा यह वहीं धराशाई हो गयी। इसमें उपस्थित 48 लोगों की मृत्‍यु हो गयी। इसके लिए एक सबसे बड़ा कारण यह भी माना जाता है कि इसकी पहली उड़ान भरने से पूर्व मौसम की स्थिति नहीं जांची गयी, साथ ही कम इधन तथा अतिरिक्‍त भार के साथ इस विमान ने उड़ान भर ली। इस फ्लाइट में भारत (नासिक) में जन्‍में इंग्‍लैण्‍ड के वायु मंत्री, क्रिस्टोफर थॉमसन भी बहुत सारे सामान (चांदी के बने पदार्थ, कालीन, शैंपेन आदि) के साथ इस विमान में उपस्थित थे। यह दुर्घटना जर्मनी के "हिडनबर्ग" से भी भयावह रही। थोड़ी सी सावधानी के साथ शायद इस विमान को बचाया जा सकता था, किंतु यह हादसा भविष्‍य के लिए सबको एक बड़ा सबक है।

संदर्भ :

1.https://en.wikipedia.org/wiki/R101
2.http://www.airships.net/blog/british-airship-r101-crashes-killing-48-day-1930/
3.https://medium.com/@engineerguytwit/fatal-flight-b370625d9928
4.http://www.engineerguy.com/airship/