भगवान श्री कृष्ण की 200 ईसा पूर्व से पहले की मूर्तियों के अभाव से पुरातत्त्ववेत्ता और इतिहासकार वर्षों से परेशान होते आये हैं। कुषाण काल (200 ईसा पूर्व) से सम्बंधित मथुरा-वृन्दावन से उभरने वाली शुरूआती पत्थर की मूर्तियों से भी देवी पूजा (महिषासुर मर्दिनी) एवं बौद्ध और जैन प्रतीकों की लोकप्रियता ही प्राप्त होती है। इसलिए कुछ वर्षों पहले (2010 में) चीन के खोतान प्रांत में हुई एक खोज के बारे में जानना आज और भी दिलचस्प हो जाता है। यह खोज थी एक प्राचीन कालीन की जिस पर भारत की सबसे पुरानी समझी जाने वाली लिपि ‘ब्राह्मी’ के अक्षर ‘खोतानी’ भाषा (जिसपर प्राचीन संस्कृत और कश्मीरी का भी प्रभाव है) में लिखे हुए हैं। और यही नहीं, इस कालीन पर भगवान श्री कृष्ण की हस्तनिर्मित आकृति भी आसानी से देखी जा सकती है। तो चलिए देखें इस कालीन के कुछ दुर्लभ चित्र और जानें इसके बारे में गहराई से।
सन 2008 में खोतान जिले की लोप काउंटी के पुलिस विभाग ने इन कालीनों को 2 लुटेरों से बरामद किया। लुटेरों ने कुछ और भी कालीन चुराना क़ुबूल किया परन्तु वे पहले ही उन्हें बेच चुके थे इसलिए उन्हें हासिल नहीं किया जा सका। अन्वेषण के बाद दोनों कालीन तीसरी से पांचवी शताब्दी के माने गए।
इन सभी बातों और खोज पर गौर करके पता चलता है कि श्री कृष्ण के सबसे पुराने साक्ष्यों में से कुछ कालीन के रूप में भी मौजूद हैं तथा उस समय भी श्री कृष्ण की किंवदंतियों का प्रचलन था।
1.https://www.insa.nic.in/writereaddata/UpLoadedFiles/IJHS/Vol51_4_2016_Art12.pdf
2.https://www.brepolsonline.net/doi/abs/10.1484/J.JIAAA.1.103269?journalCode=jiaa&
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