योगा और सलात में समानता

मेरठ

 18-08-2018 12:08 PM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

आज की व्यवस्थता को देखते हुए योग शिक्षा का ज्ञान होना आवश्यक हो गया है क्योंकि सबसे बड़ा सुख शरीर का स्वास्थ्य है। यदि आपका शरीर स्वस्थ है तो आपके पास दुनिया की सबसे बड़ी दौलत है। योग हमारे शरीर के लिए कितना लाभदायक है, ये तो सबको मालूम होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं योग करने और नमाज अदा करने में कई समानताएं हैं। इस प्रकार, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि मूल ग्रंथों की भाषाएं और शब्द अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मन और शरीर को संतुलित करने की तकनीकें बहुत समान होती हैं। आइए सलात(नमाज) प्रथाओं और योग मुद्राओं के बीच की समानताओं के बारे में जानते हैं।

योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युजा’ से हुई है जिसका मतलब है "एकजुटता"। ठीक इसी तरह "सलात" शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द “सिला/विसाल” से हुई है, इसका मतलब भी "एकजुटता" ही है। नमाज और योग दोनो में मन को शांत कर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

अब अपको सलात के आसन और योग के पदों के बीच की समानताओं और उनके स्वास्थ्य लाभ के बारे में बताते हैं –

1. क़ियाम और नमस्ते के दौरान, दोनों चरणों में एक बराबर विभाजन होता है। यह तंत्रिका प्रणाली को आराम देती है और शरीर को संतुलित करती है। यह आसन पीठ को सीधा करता है और साथ ही मुद्रा में सुधार भी करती है।
2. रुक्कू और अर्ध उत्तानसना पूरी तरह से निचले हिस्से, सामने के धड़ और जांघों की मांसपेशियों को फैलाता है।
3. जुलोस और वज्रासन यकृत को साफ़ करने में सहायता करता है और बड़ी आंत के शारीरिक कार्य में सुधार करता है। यह आसन पेट की सामग्री को नीचे की ओर ढकेल के पाचन में सहायता करता है। यह फूली हुई नसों को और जोड़ों के दर्द को ठीक करने में मदद करता है, लचीलापन बढ़ाता है, और श्रोणि की मांसपेशियों को भी मजबूत करता है।
4. सुजुद और बालासन यह प्रार्थना का सबसे महत्वपूर्ण आसन है। यह आसन मस्तिष्क के सामने वाले प्रांतस्था को उत्तेजित करता है। यह मस्तिष्क की तुलना में हृदय को उच्च स्थिति में रख कर शरीर के ऊपरी क्षेत्रों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। साथ ही यह मानसिक विषाक्त पदार्थों को शुद्ध करता है।

योग का अर्थ केवल शारीरिक और मानसिक परेशानियों से मुक्ति पाने से है ना कि किसी धर्म विशेष से, हर धर्म में हमको कई समानताएं मिलती हैं, जिसका उपयोग हम अपनी दिनचर्या में करते हैं। इस से हमको यह पता चलता है, मुस्लिमों द्वारा नमाज के समय धारण किया जाने वाला आसन भी ध्‍यान केन्‍द्रि‍त करने की एक मुद्रा है, जो कि अप्रत्‍यक्ष रूप से योग का एक हिस्‍सा है।

संदर्भ

1. http://mvslim.com/5-ways-yoga-is-a-basic-practice-for-muslims/
2. https://www.quora.com/Is-the-Islamic-salat-namaz-a-lot-like-yoga-asanas

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