मेरठ के विश्वप्रसिद्ध पीतल वाद्ययंत्र

ध्वनि I - कंपन से संगीत तक
11-08-2018 11:07 AM

वर्तमान समय में आपने भारत ही नहीं वरन अन्य देशों में भी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अक्सर बैंड का उपयोग होते हुए देखा होगा। क्या आपको कभी यह जानने कि जिज्ञासा हुई है कि इनका निर्माण कहाँ, कैसे, और किसके द्वारा किया जाता है। चलिए तो इसके बारे में जानने के लिए चलते हैं दिल्ली से लगभग 70 किलोमीटर दूर, हमारे मेरठ की एक धूलदार गली, जली कोठी, में जहाँ ‘नादिर अली एंड कंपनी’ का एक कारखाना है जहाँ लगभग 100 से अधिक वर्षों से बैंड वाद्ययंत्र का निर्माण हो रहा है। 1885 में नादिर अली (जो कि ब्रिटिश सेना में एक बैंड मास्टर थे) द्वारा अपने चचेरे भाई के साथ बैंड वाद्ययंत्र के आयात का व्यापार मेरठ में शुरु किया गया था तथा कुछ समय पश्चात ही उन्होंने भारत में ही इसका निर्माण भी प्रारम्भ कर दिया।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने पीतल की रद्दी से उपकरण बनाना शुरू कर, सबसे पहले पहरेदारों के लिए पीतल की सीटी बनाई और फिर बिगुल का निर्माण किया। ऊपर दी गयी वीडियो में यूनाइटेड किंगडम की रॉयल मरीन और रॉयल नेवी (HM Royal Marines and Royal Navy) के बैंड की एक प्रस्तुति को देखा जा सकता है। 1947 तक, सियालकोट ने मेरठ को वाद्य यंत्रों के निर्माता के रूप में प्रतिद्वंद्वी बना रखा था, लेकिन विभाजन के बाद नादिर अली ने सम्पूर्ण भारतीय बाजार पर अपना एकाधिकार स्थापित कर लिया।

भारत का प्रमुख पारंपरिक समारोह शादी बिना बैंड के अधूरा लगता है, बैंड की आनंदमय शहनाई के बिना बड़े से बड़े व्यय वाली शादी भी पूरी नहीं होती है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि, भारत की 90% शादियों के बैंड उपकरणों का निर्माण जली कोठी कारखाने में किया जाता है। जली कोठी में बैंड उपकरणों के साथ-साथ बैंडवालों के लिये आकर्षक पोशाक बनाने का कार्य भी भरपूर किया जाता है। प्रस्तुत वीडियो में देखिये जबलपुर के मशहूर ‘इंटरनेशनल श्याम ब्रास बैंड’ की एक खूबसूरत प्रस्तुति:


पीतल के ये बैंड अभी भी दुनिया भर में संगीत की रंगभूमि में एक लोकप्रिय और प्रसिद्ध घटक बने हुए हैं। इसको बजाने की शैली और संगीत के प्रदर्शन ने लोगों के बीच पीतल बैंड की ओर रुचि पैदा कर दी है। जैसे-जैसे बैंड अपनी शैलियों को विकसित कर रहा है, युवा पीढ़ी में उसे सीखने की जिज्ञासा बढ़ती जा रही है तथा साथ ही यह हमारे पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाता आया है और आगे भी बढ़ाता रहेगा।

संदर्भ:
1.https://www.hindustantimes.com/photos/india-news/making-post-war-musical-instruments-for-uk-s-royal-navy-in-meerut/photo-B0bsdvZdi7VWiTk8K6BK7K.html
2.http://www.natgeotraveller.in/leader-of-the-brass-band-130-years-of-musical-history-in-meerut/