वेशभूषा हर व्यक्ति, समाज, पद, यहां तक कि राष्ट्र की पहचान होती है। मनुष्य द्वारा विभिन्न प्रकार के वस्त्र धारण किए जाते हैं, लेकिन कुछ वस्त्र हमारे जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाते हैं। उनमें से एक है, टोपी, जो एक प्रकार से आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक होती है और साथ ही यह हमें मौसम के अनुसार सुरक्षा भी प्रदान करती है।
बात करें भारत में टोपी की, तो भारत विश्व में एक मात्र ऐसा देश है जहां इतनी सारी विभिन्नताएं हैं, हर किसी धर्म, समुदाय की अपनी अलग पहचान है जैसे सिख, गुजराती, मराठी और राजस्थानी सिर पर पगड़ी धारण करते हैं, तो वहीं मुस्लिम लोग रोज़ की पांच नमाज़ों में सिर पर टोपी पहनते हैं। साथ ही भारत की हिमांचली टोपी भी काफी प्रसिद्ध है। भारत में स्वतंत्रता के दौरान भी टोपी की विशेष भूमिका रही है, विशेषकर गांधी जी जब स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर बल दे रहे थे तब उन्होंने स्वदेश निर्मित टोपी पहनना प्रारंभ किया। उनके अनुयायियों ने भी उनके समर्थन में इसको पहनना शुरू कर दिया, जो बाद में ‘गांधी टोपी’ के नाम से प्रसिद्ध हो गयी। स्वतंत्रता के बाद भी गांधी टोपी स्वतंत्रता के प्रमुख राजनेताओं द्वारा धारण की जाती थी जिनमें प्रमुख थे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू। वे कभी भी गांधी टोपी पहने बिना नहीं रहते थे। किंतु पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में आकर इसका प्रचलन धीरे-धीरे कम हो गया।
चलिए अब जानें थोड़ा हमारे रामपुर की रामपुरी टोपी के बारे में। यह विशेषतः मुस्लिम समुदाय द्वारा धारण की जाती है। इनकी अवधारणा है कि जो व्यक्ति सिर पर टोपी को पहनता है उस पर दिव्य शक्ति का प्रभाव बना रहता है। रामपुरी टोपी से जुड़ी एक रोचक घटना जानने के लिए यहाँ क्लिक करें- http://rampur.prarang.in/1803231076। मुस्लिम महिलाएं भी सिर को ढक के रखती हैं। इस प्रकार की टोपियां भारतीय मुस्लिम ही नहीं वरन विश्व के विभिन्न हिस्सों, जैसे अफगानिस्तान, चीन, इण्डोनेशिया और बांग्लादेश आदि देशों के मुसलमानों द्वारा भी पहनी जाती हैं। यह विश्व में उनकी एक अलग पहचान बनाती हैं। ये टोपियां ‘ताकियाह’ टोपी का एक प्रकार हैं। ये छोटी गोलाकार और रंग बिरंगी टोपियां होती हैं। प्रस्तुत चित्र में रामपुरी टोपियाँ दिखाई गईं हैं:
भारत में टोपियों का प्रयोग सिर्फ स्वयं के लिए ही नहीं वरन अतिथियों के सत्कार में भी किया जाता है जिसमें प्रमुख है हिमाचली टोपी। यह पहले बुज़ुर्गों द्वारा धारण की जाती थी, आज युवाओं में भी इसे पहनने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है।
विभिन्न प्रकार की टोपियों या पगड़ीयों को उस समुदाय द्वारा अपने धार्मिक कार्यों, विशेष त्यौहारों और शादियों में विशेष रूप से पहना जाता है। इसके माध्यम से उन्होंने अपनी संस्कृति और परंपराओं को बचा के रखा है।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Gandhi_cap
2.https://www.quora.com/What-is-the-history-of-Gandhi-Topi-Cap-Why-did-Indian-freedom-fighters-adopt-it
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Taqiyah_(cap)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.