धरती पर मानव का करोड़ों वर्षों का विकास

मेरठ

 01-08-2018 12:04 PM
स्तनधारी

मानव का जन्म पृथ्वी के सबसे अंत में हुए बदलावों में से एक है, यह भी कहा जा सकता है कि मानव का जन्म पृथ्वी पर पाए जाने वाले समस्त प्राणियों से बहुत बाद में हुआ। एक समय यह हुआ करता था कि पृथ्वी पर जीवन की कोई संभावना न थी, परन्तु जल की वर्षा ने विभिन्न प्रकार के जीवों के उद्भव के लिए दरवाज़े खोल दिए। शुरुआती जीव एक अत्यंत सुलझा हुआ जीव हुआ करता था लेकिन कालांतर में विकास के साथ-साथ कई गूढ़ जीवों का जन्म हुआ। जीवों के विकास ने ऐसा बदलाव लिया कि मानो पूरा संसार एक ही राग में चल रहा था और वह था जीवन जीने के लिए अपने-आप को बदलना।

आज जिस प्रकार के मानवों को हम देखते हैं या जिस प्रकार की शारीरिक संरचना को हम लेकर आगे बढ़ रहे हैं, वह बहुत ही नयी है। मानव का विकास और डाइनासोरों का पतन पृथ्वी पर होने वाली दो बहुत ही महत्वपूर्ण घटनाएं हैं। इन घटनाओं को समझने के लिए हमें लाखों साल पहले तक का सफ़र तय करना पड़ेगा। सेनोज़ोइक युग (Cenozoic Era) ही वह युग था जिसमें आज पाए जाने वाले सबसे ज्यादा जीवों का विकास हुआ था। सेनोज़ोइक युग की शुरुवात 6.6 करोड़ साल पहले हुयी थी। यह युग तब से अभी तक चल रहा है लेकिन कुछ बातें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस युग के शुरूआती समय में पूरी पृथ्वी का वातावरण काफी गर्म हुआ करता था तथा ज्यादातर भाग उष्णकटिबंधीय भागों में विभाजित था।

प्रस्तुत चित्र में भिन्न युगों एवं कालों का क्रम दर्शाया गया है:

सेनोज़ोइक युग के शुरूआती 1 करोड़ साल में बड़े पैमाने पर जीवों का विलोपन हुआ। यह काल पेलियोजीन काल (Paleogene Period) के रूप में जाना जाता है। इस काल में डाइनासोर और समुद्र में रहने वाले समस्त बड़े सरीसृप ख़त्म हो चुके थे। सेनोज़ोइक युग के शुरुवाती 1 करोड़ साल को पालिओसीन इपोक (Paleocene Epoch) नाम से जाना जाता है। इस काल में बड़ी संख्या में जीवों का विकास हुआ जैसा कि माउसबर्ड (Mousebird) का विकास त्सिदियाज्ही (Tsidiiyazhi) नामक चिड़िया के रूप में हो गया था।

इसी प्रकार मानवों के सबसे पहले विकास की कड़ी जिसमें लीमर (Lemur) को लिया जा सकता है का विकास हुआ। कई वैज्ञानिक इसको हमारा सीधा पूर्वज नहीं मानते परन्तु इसकी शारीरिक संरचना से शुरूआती मानव की शारीरिक संरचना के कुछ गुण धर्म मिलते थे। इस काल की समाप्ति के बाद इयोसीन इपोक (Eocene Epoch) इपोक की शुरुआत हुयी जिसमें पृथ्वी का तापमान करीब 8 डिग्री तक बढ़ गया था। इस काल में भी जीवों में कई बदलाव आये। मिओसीन इपोक (Miocene Epoch) के साथ पृथ्वी के अन्दर की प्लेटों ने खिसकना शुरू किया जो आज भी शुरू है। इसी काल में कई पहाड़ों की स्थापना भी हुयी। यह वही काल था जब अफ्रीका में वनमानुशों का विकास शुरु हुआ और घास के मैदानों का विस्तार हुआ।

इस काल में वनमानुषों जैसे ओरांगुतान, गोरिल्ला, चिम्पांजी आदि का विकास हुआ और इसके बाद मानव का जीवन संभव हुआ। जो करीब 50 लाख साल पहले हुआ। इस काल के बाद प्लियोसीन इपोक (Pliocene Epoch) की शुरुआत हुयी। इस काल में मानव के पूर्वजों ने घास के मैदानी भाग में अपना पहला कदम रखा। ऑस्ट्रेलोपिथेकस (Australopithecus), हमारे शुरूआती पूर्वज थे जो कि 40 लाख साल पहले प्रकाश में आए। शोधकर्ताओं की मानें तो ये शुरूआती होमिनिड या हमारे पूर्वज घास को पचाने की क्षमता रखते थे। समय के साथ वे दौड़ने की प्रक्रिया की शुरुआत कर चुके थे और शिकार भी सीख गए थे। और वे हथियार बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत कर चुके थे।

28 लाख साल पहले हमारे पहले होमो मानव का जन्म हुआ जो कि इथियोपिया से प्राप्त हुआ था। भारत में सबसे पुराना मानव नर्मदा की घाटी से प्राप्त हुआ था जिसे होमो इरेक्टस नर्मादेन्सिस (Homo Erectus Narmadensis) के नाम से जाना जाता है। इस मानव को हथनोरा मानव के नाम से भी जाना जाता है। प्रस्तुत चित्र इस होमो इरेक्टस मानव की खोपड़ी प्रदर्शित करता है:

रामपुर हिमालय की तराई में बसा हुआ है। यहाँ पर बड़ी मात्रा में बदलाव सेनोज़ोइक युग में हुआ था। इसके बाद वर्तमान काल अर्थात क्वाटरनरी काल (Quaternary Period) की शुरुआत हुई थी। हिमालय के पास शिवालिक श्रृंखला से ही शिवापिथेकस (Sivapithecus) का जीवाश्म मिला था। ये सारे प्रमाण भारत में मानव के विकास को प्रदर्शित करते हैं।

संदर्भ:
1. https://www.facebook.com/EonsPBS/videos/601919620183459/
2. अंग्रेज़ी पुस्तक: Lambert, David. 1985. The World Before Man, Orbis Publishing Limited.
3. अंग्रेज़ी पुस्तक: Randhawa, M.S. 1969. The Evolution of Life, Publications & Information Directorate.
4. http://www.pnas.org/content/pnas/105/42/16065.full.pdf

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id