मेरठ एक ऐसी जगह है, जहाँ के लोगों में विभिन्नता में एकता साफ़ ज़ाहिर होती है। यहाँ विभिन्न जातीयता के लोग प्रेम से एक साथ बसे हुए हैं। और इसी तरह यहाँ के लोगों की मातृभाषा भी अलग-अलग है।
सन 2011 में की गयी जनगणना के भाषाई आंकड़े हाल ही में जारी किये गए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि ये आंकड़े सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि शहर के स्तर पर भी जारी किये गए हैं। इन्हीं में से एक रिपोर्ट (Report) में शहर के नागरिकों की मातृभाषा के भी आंकड़े दिए गए हैं। इस जानकारी के लिए शहर के नागरिकों के बीच एक सर्वेक्षण किया जाता है, जहाँ उनसे अपनी मातृभाषा पूछी जाती है। मातृभाषा वह भाषा होती है जो एक व्यक्ति अपने बचपन में अपनी माँ से प्राप्त करता है तथा उसी को सुनते हुए और बोलते हुए बड़ा होता है। माता की अनुपस्थिति में मातृभाषा उसे माना जाता है जिसे एक व्यक्ति बचपन से अपने आस-पास सुनते हुए एवं बोलते हुए बड़ा हुआ है। जो भी जवाब नागरिक से हासिल होता है, उसे बिना किसी पूछताछ के मान लिया जाता है। तो आइये जानते हैं मेरठ शहर में इन आंकड़ों से क्या जानकारी प्राप्त होती है।
मेरठ में विभिन्न भाषाएँ (जैसे हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, इत्यादि) बोली जाती हैं। मेरठ के लोग वार्तालाप के लिए प्रमुख रूप से हिन्दी का प्रयोग करते हैं। जनगणना 2011 (Census 2011) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक़ मेरठ शहर की आबादी के 14,40,869 लोगों (सर्वेक्षित नागरिकों का 81.91%) की मातृभाषा हिन्दी है। हिंदी का इतना विस्तारित रूप से प्रयोग किये जाने का एक कारण यह हो सकता है कि ऐतिहासिक रूप से मेरठ में अनौपचारिक वार्तालाप के लिए खड़ी बोली का प्रयोग किया जा रहा है तथा आम तौर पर बोली जाने वाली हिंदी भाषा इसी का एक विकसित रूप है।
इसी रिपोर्ट के मुताबिक़ उर्दू भी कई मेरठवासियों की मातृभाषा है। आंकड़ों की मानें तो उर्दू भाषा का प्रयोग 2,94,206 लोग (सर्वेक्षित नागरिकों का 16.73%) करते हैं। जनगणना 2011 के मुताबिक मेरठ शहर में पंजाबी को मातृभाषा बताने वाले लोगों की संख्या करीब 9,833 है। दूसरे शब्दों में कहें तो मेरठ की आबादी के 0.56% लोग पंजाबी को अपनी मातृभाषा बताते हैं। उर्दू और पंजाबी आज भी मेरठ के नौचंदी मेले में कविता प्रतियोगिता आदि में सुनने को मिल जाती हैं।
वहीं मेरठ शहर में 5,631 लोग (सर्वेक्षित नागरिकों का 0.32%) बंगाली को अपनी मातृभाषा बताते हैं। मेरठ के पास हस्तिनापुर में मछली बाज़ार नामक क्षेत्र प्रसिद्ध है, जहाँ प्रमुख रूप से बंगाली लोग बसे हुए हैं। इसी वजह से इस क्षेत्र में बंगाली भाषा सुनने को मिल जाती है। यहाँ के लोग प्रमुख रूप से मछली-उत्पादन का काम करते हैं। तथा यहाँ एक देवी का मंदिर भी स्थापित है जो मुख्य रूप से बंगालियों की श्रद्धा का स्थल है। आप यदि इस स्थान पर जाएं तो आप देखकर हैरान रह जाएँगे कि कितनी बड़ी आबादी यहाँ बंगाली का प्रयोग करती है।
मातृभाषा के बारे में सवाल पूछने पर मेरठवासियों द्वारा दिए गए बाकी सभी जवाबों का विभाजन ऊपर दिए गए चित्र तथा नीचे दी गयी सूची में विस्तार से प्रदर्शित किया गया है। चित्र को स्पष्ट रूप से देखने के लिए ज़ूम (Zoom) करें या चित्र को डाउनलोड (Download) करके देखें। नीचे दी गयी सूची के अध्ययन से दिखता है कि मेरठ शहर में सर्वेक्षण किये गए कुल नागरिकों की संख्या मेरठ शहर की 2011 की आबादी से भी अधिक है। इस अंतर पर नीले रंग से रोशनी डाली गयी है।
संदर्भ:
1. जनगणना 2011
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Meerut
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